Gorakhpur News: मंदिरों से 500 मीटर के दायरे में नहीं होंगी मीट की दुकानें, पोल्ट्री उद्योग मुश्किल में

Gorakhpur News: गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र में 20 हजार से अधिक मीट और मछली की दुकानें हैं। गोरखपुर में 80 वार्ड हैं। प्रत्येक वार्ड में कम से कम 50 दुकानें हैं।;

Update:2025-04-12 11:21 IST
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Gorakhpur News: प्रदेश में सभी प्रमुख मंदिरों के आसपास मीट-मांस की दुकानों को लेकर सख्ती ने अधिकारियों को मुश्किल में डाल दिया है। मंदिरों के आसपास मीट की दुकान तलाशने निकले अधिकारी हकीकत देख परेशान हो गए। पूरे गोरखपुर में एक भी मंदिर ऐसा नहीं मिल रहा, जिसके 500 मीटर के दायरे में मीट मांस की दुकानें नहीं हो।

शासन का निर्देश है कि मंदिरों से 500 मीटर के दायरे में मीट-मांस की दुकानें नहीं लगेंगी। डीएम की अध्यक्षता में हर जिले में बनाई गई दस अफसरों की कमेटी इस मामले की जांच कर सख्त कार्रवाई करेगी। अवैध पशुवधशालाओं पर भी यह कमेटी सख्त कदम उठाएगी। जहां वैध पशुवधशाला है, वहां भी पशुओं की गिनती की जाएगी जिससे अवैध रूप से पशुओं को काटा न जा सके।

इस संबंध में प्रमुख सचिव की ओर से अप्रैल के प्रथम सप्ताह में प्रदेश के सभी जिलों के लिए आदेश जारी किया गया है। आदेश में गाइडलाइन के मुताबिक काम करने का निर्देश देते हुए प्रदेश में संचालित अवैध पशुवधशालाओं को बन्द किए जाने एवं यान्त्रिक पशुवधशालाओं पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित करने को कहा गया है।

20 हजार से अधिक हैं मीट की दुकानें

गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र में 20 हजार से अधिक मीट और मछली की दुकानें हैं। गोरखपुर में 80 वार्ड हैं। प्रत्येक वार्ड में कम से कम 50 दुकानें हैं। शहरी क्षेत्र के वार्डों में तो यह संख्या काफी अधिक है। इसी तरह कस्बाई इलाकों में भी मीट मांस की दुकानों की भरमार है। अधिकारी स्वीकार रहे हैं कि नियम का ठीक से अनुपालन हो तो पोल्ट्री उद्योग पूरी तरह धड़ाम हो जाएगा।

कमेटी को सौंपनी है रिपोर्ट

समिति में डीएम के अलावा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/ पुलिस अधीक्षक, क्षेत्रीय अधिकारी, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, संभागीय परिवहन अधिकारी/ सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी, श्रम प्रवर्तन अधिकारी, जिला पंचायत राज अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी,खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के विहित प्राधिकारी, सम्वन्धित नगर आयुक्त/ अधिशासी अधिकारी, नगर निगम/ नगर पालिका परिषदें और नगर पंचायत शामिल है।

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