नोएडा: मां की पिटाई ने दिमाग में घोला जहर, कर दी मां-बहन की हत्या
सोफे पर बैठकर पढ़ने को लेकर मां ने मना किया। कहा डाइनिंग टेबल पर बैठकर पढ़ों। घटना के दिन इस बात को लेकर मां और बेटे के बीच झगड़ा हो गया।
नोएडा: सोफे पर बैठकर पढ़ने से मां ने मना किया। कहा डाइनिंग टेबल पर बैठकर पढ़ो। घटना के दिन इस बात को लेकर मां और बेटे के बीच झगड़ा हो गया। मां अंजली ने इसको लेकर बेटे की पिटाई कर दी। आरोपी बेटे ने इस बात को लेकर जिद पकड़ ली। जिसके बाद दोबारा उसकी पिटाई की। एसएसपी लव कुमार ने बताया कि उसके बेटे के दिमाग में द्वेष का यह जहर घुलता रहा। सोमवार 4दिसम्बर रात करीब 10 बजे उसने पहले बैट सेे मां और बहन को मारा। इसके बाद घरेलू कैंची से गला रेत दिया। रात करीब 11:15 पर वह घर से बैग व मां का मोबाइल फोन लेकर चला गया।
आपको बताते चलें कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट के गौर सिटी-2 के 11 एवेन्यू के फ्लैट नंबर 1446 में मां और उसकी मासूम बेटी की बेरहम तरीके से हत्या कर हो गई थी ।
बताया गया कि दोनों की बैट से पीट-पीट कर हत्या की गई है। मां की उम्र 35 वर्ष नाम अंजलि अग्रवाल व बेटी की उम्र 12 वर्ष कनिका है। वहीं, घर में मौजूद बेटा गायब था। सोसाइटी के लोगों ने बताया कि 4दिसम्बर शाम आठ बजे के बाद घर का कोई भी सदस्य कमरे से बाहर नहीं आया था। रिश्तेदार लगातार फोन कर रहे थे।लेकिन जब किसी ने भी फोन नहीं उठाया तब पास रहने वाले रिस्तेदारों को फोन किया गया। फिर पुलिस को कॉल किया तब पुलिस ने गेट खोला तो घर के अंदर बेड रूम के अंदर मां बेटी की लाश मिली। उसके बाद पुलिस ने लड़के को गिरफतार कर पूछताछ की तो चौकने वाली कहानी समने आई। लड़के का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था।
कैसे पहुंचा बनरास
साइको प्रवृति का होने के चलते उसे खुद नहीं पता था कि वह कहा जा रहा है। एसएसपी ने बताया कि आरोपी बिल्डिंग के बेसमेंट से बाहर निकला। यहां कैब बुक कर वह नई दिल्ली स्टेशन गया। वहां से वह जम्मू की ट्रेन में बैठ गया। जिसके बाद लुधियाना पहुंचा। वहां से वह बस के जरिए चंडीगढ़ गया। इसके बाद वह बस से शिमला गया। शिमला से दोबरा चंड़ीगढ़ आया।उसके बाद से वह ट्रेन पकड़कर रांची गया रांची से मुगलसराय गया। पिता की याद आने पर मुगलसराय से उसने पिता को फोन किया। फोन अननोन नंबर से किया गया। इसके बाद वह वाराणसी चला गया। वाराणसी से एक और फोन किया। फोन सर्विलांस पर लगाया गया। अमुक से लड़के के बारे में बताया गया। जिसके बाद पुलिस को एयरलिफ्ट के जरिए भेजा गया। वहां वाराणसी से पुलिस ने उसे रिकवर किया।
मन में आया छत से कूद जाऊ
पूछताछ में बताया कि आरोपी लड़के ने घटना को अंजाम देने से पहले सोचा कि वह अपने को खत्म कर ले। लेकिन ऐसा वह कर नहीं पाया। दिमाग में जो पहले विचार आया उसके बाद उसने पहले मां फिर बहन को बैट से मारा। इसके बाद पिज्जा कटर से गला रेत दिया। घटना से पहले मां बहन के साथ आरोपी बेटे ने चिली पोटैटो खाया। उसके बाद वह सो गया। लेकिन बाद में उसने ऐसा क्यों किया उसे नहीं पता। वह सिर्फ उन्हें मारता रहा।
अब हो रहा पछतावा
पूछताछ के दौरान उसे पछतावा होता रहा। वह रोता भी रहा। लेकिन पछताने से अब कुछ नहीं होगा। घटना को अंजाम देने के बाद उसे पछतावा हुआ। फिलहाल वह जो बैग लेकर गया थाए वह बैग गयाब है। साथ ही मां का मोबाइल भी गायब है।
क्या कहते है पड़ोसी
पड़ोसियों ने बताया कि वह अक्सर दूसरे के फ्लैटों की घंटी बजाकर भाग जाया करता था। यही नहीं कोई और बच्चा उसके घर की डोर बेल बजाकर जाता तो उससे वह बेहद झगड़ा करता था। साइको प्रवृति का नाबालिग फेसबुक व मोबाइल पर बेहद एक्टिव था। उसने कुछ ही महीनों में तीन फेसबुक आईडी तक बना ली थी। पड़ोसियों ने बताया कि सितंबर माह में पिता सौम्य ने उसे कड़ी फटकार लगाई थी। यह डांट मोबाइल को लेकर लगाई थी। जिसके बाद मोबाइल छीन कर मां को दे दिया था। इससे वह बहुत परेशान रहने लगा था। मां से मोबाइल मांगने पर भी नहीं मिलता था। पड़ोसियों ने बताया कि सौम्य अक्सर उसके मोबाइल गेम्स से परेशान था। बताया गया कि इस वजह से वह फेसबुक, वाट्सएप व अन्य सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं था। इसको लेकर प्रतिदिन उसे डांट पड़ती थी। दादा सुरेश अग्रवाल ने लोगों से अपील भी की है कि वह अपने बच्चों को इस तरह के खतरनाक मोबाइल गेम्स व सोशल मीडिया के ज्यादा करीब न जाने दे। एसएसपी ने बताया कि यह मामला गेम से जुड़ा नहीं है। गेम की वजह से उसने घटना को अंजाम नहीं दिया।
क्या कहते है साइकोलाजिस्ट
कैलाश अस्पताल के साइकोलाजिस्ट डाक्टर अजय डोगरा ने बताया कि बार बार किसी परेशानी की वजह से दिमाग में सोचने समझने की क्षमता कम हो जाती है। बच्चे का दिमाग क्या गलत है क्या सहीं वह उसे नहीं समझ पाता। इसे साइको पैथिक स्टेज कहते है। जिसमे वह क्या कर रहा उससे नहीं पता होता उसे अफसोस भी नहीं होता। हालांकि घटना करने के बाद उसे डर लगता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह मामला ब्लू व्हेल गेम से संबंधित इसलिए नहीं है कि क्योकि उसमें पहले अपने पर डिपेंड होने वाले लोगों को गेमर मारता है। इसके बाद अपने को खत्म करता है। यहा मामला उल्टा है। दिमाग साइकोपैथिक स्टेज पर था।