आफतः धान में भारी नुकसान का अनुमान, 10 हजार हेक्टेयर में फैला तनाछेदक

Hapur News: वेस्ट यूपी में सबसे ज्यादा क्षेत्र में बासमती धान की फसल है। पिछले साल बासमती धान में तनाछेदक कीट फैल गया था। इससे पैदावार में करीब 30 प्रतिशत का नुकसान हुआ था।

Report :  Avnish Pal
Update:2024-08-06 16:30 IST

धान में भारी नुकसान का अनुमान, 10 हजार हेक्टेयर में फैला तनाछेदक (न्यूजट्रैक)

Hapur News: वेस्ट यूपी में धान की फसल में भारी नुकसान होने का अनुमान है। बासमती धान के खेतों में तनाछेदक कीट फैल गया है। किसानों को अभी तक इसकी जानकारी नहीं है। विशेषज्ञों के सैंपल सर्वे में सामने आया कि जिले में 22 हजार हेथक्टेयर में से करीब 10 हजार हेक्टेयर धान के खेतों में तनाछेदक फैल रहा है। वहीं वेस्ट यूपी में चार लाख हेक्टेयर धान की फसल इससे प्रभावित है। यदि तत्काल उपाय नहीं किया गया तो पैदावार में भारी नुकसान होगा। वहीं रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग करने व पैदावार कम होने से किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ेगा।वेस्ट यूपी की धान की खेती बड़े क्षेत्रफल पर की जाती है। यहां पर बासमती चावल का रिकार्ड उत्पादन होता है। आजकल किसानों ने मोटे धान की खेती को लगभग बंद कर दिया है।

40 प्रतिशत खेतों में तनाछेदक कीट फैल रहा

वेस्ट यूपी में सबसे ज्यादा क्षेत्र में बासमती धान की फसल है। पिछले साल बासमती धान में तनाछेदक कीट फैल गया था। इससे पैदावार में करीब 30 प्रतिशत का नुकसान हुआ था। वहीं किसानों को काफी धनराशि रसायनों के छिड़काव पर खर्च करनी पड़ी थी। उसके बावजूद कीट पर काबू नहीं पाया गया था। जिससे किसानों को आर्थिक और पैदावार दोनों स्तर पर नुकसान का सामना करना पड़ा था। इसके चलते कृषि विशेषज्ञों ने अबकी बार पहले से ही तैयारी आरंभ कर दी थी। कृषि विभाग के डायरेक्टर डा. पीके सिंह ने विशेषज्ञों की टीम भेजकर धान के खेतों में सैंपल सर्वे कराया था। सैंपल सर्वे में सामने आया कि 40 प्रतिशत खेतों में तनाछेदक कीट फैल रहा है।

पत्ती के पीछे देखकर करें पहचान

विशेषज्ञों ने बताया कि धान के खेत में पत्तियों के पिछले हिस्सों को पलटकर देखें। पत्तियों को ध्यान से देखनें पर तीन पंक्तियों में कीट के अंडे दिखाई देंगे। यह बहुत बारीक होते हैं। अंडा समानांतर तीन पंक्तियों में सात-सात की संख्या में होते हैं। इन अंडों में से एक सप्ताह में लार्वा निकलेगा। वह लार्वा पौधों की गोभ में प्रवेश कर जाएगा। किसानों को अभी इसका पता नहीं चलेगा। अगले महीने जब पौधों पर बाली आएगी, तो वह दाना पड़ने से पहले ही सूख जाएगा। उस समय इस कीट पर नियंत्रण करना बड़ा मुश्किल होगा और पैदावार में नुकसान भी ज्यादा होगा। इसके गोभ में प्रवेश करने से पहले किसान आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं।

अभी नियंत्रण है आसान

विशेषज्ञों का दावा है कि अभी अंडा और लार्वा बनने तक इस कीट पर नियंत्रण पाना आसान है। यह कीट पौध लगने के 20 से 45 दिन तक ज्यादा असर करता है। इसको जैविक व रासायनिक दोनों तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैस्ज्ञानिकों के अनुसार खेत में काटोप हाईड्रोक्लोराइड दानेदार रसायन का प्रयोग करें। इसको डेढ़ किलोग्राम लेकर बालू में मिला लें और खेत में बुरकाव कर दें। उससे तनाछेदक के अंडे नष्ट हो जाते हैं। वहीं जैविक तरीके से नियंत्रित करने के लिए ट्राईकोगार्ड का प्रयोग किया जाता है। ट्राईकोगार्ड में परजीवी के अंडे होते हैं। इसके दो पैकेट लेकर एक हेक्टेयर में लगा देते हैं। उनके परजीवी कीट निकलता है और तनाछेदक के अंडों को खा जाता है। ट्राईकोगार्ड का एक पैकेट 45 रुपये में मिलता है। इसको कृषि विश्वविद्यालय मोदीपुरम मेरठ से प्राप्त किया जा सकता है।

प्रधान वैज्ञानिक ने दिया सुझाव

प्रधान वैज्ञानिक व प्राचार्य कृषि विज्ञान केंद्र डा. अरविंद कुमार ने बताया कि तनाछेदक के कीट धान के खेतों में फैल रहे हैं। करीब 10 हजार हेक्टेयर खेतों में वह अंडे दे चुके हैं। किसानों को अपनी फसलों की पत्तियों के पिछले हिस्सें का बारीकी से परीक्षण करना है। पत्तियों पर तीन समानांतर लाइन में सात या आठ अंडे प्रत्येक में मिलेंगे। अभी इसका नियंत्रण आसान है। तत्काल दिए गए रसायनों का प्रयोग करें। देरी करने से कीट बेकाबू हो सकता है।

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