HC ने पूछा- VVIP मूवमेंट के दौरान इमरजेंसी वाहन सेवाओं के लिए क्या है सरकार का कदम
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बुधवार (17 मई) को राज्य सरकार से पूछा है कि वीवीआईपी मूवमेंट्स के समय फायर ब्रिगेड और एम्बुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाओं के वाहनों के आवाजाही में किसी प्रकार की रुकावट न पैदा हो इसके लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि वह इस बारे में क्या प्रस्ताव कर सकती है।
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बुधवार (17 मई) को राज्य सरकार से पूछा है कि वीवीआईपी मूवमेंट्स के समय फायर ब्रिगेड और एम्बुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाओं के वाहनों के आवाजाही में किसी प्रकार की रुकावट न पैदा हो इसके लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि वह इस बारे में क्या प्रस्ताव कर सकती है।
यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस वीरेंद्र कुमार (द्वितीय) की खंडपीठ ने 'वी द पीपुल संस्था' की ओर से 2010 में दायर एक विचाराधीन जनहित याचिका पर दिए।
याचिका दायर कर कहा गया था कि वीवीआईपी दौरों के समय सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही पर प्रभाव पड़ता है। कई बार तो आपातकालीन सेवाओं के वाहनों के आवाजाही में भी रुकावट उत्पन्न हो जाती है। इससे गंभीर हालत के मरीज ले जा रही एम्बुलेंस भी प्रभावित होती है। जिसका परिणाम कई बार ठीक नहीं होता।
मांग की गई कि ऐसे वाहनों के बिना रुकावट संचालन की व्यवस्था की जानी चाहिए। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रमुख सचिव, गृह को 24 मई तक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा कि आपातकालीन वाहनों के आवाजाही में रुकावट से बचने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
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8 साल बाद भी दुधवा की तीन परियोजनाएं न पूरी होने पर कोर्ट सख्त
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रमुख सचिव सिंचाई और दुधवा टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर को 24 मई को तलब कर पूछा है कि पर्यावरण से जुड़ी दुधवा नेशनल पार्क की तीन परियोजनाओं का कार्य एक महीने में पूरा करने का आश्वासन देने के आठ साल बीत जाने के बावजूद भी कोई काम पूरा न होने के मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्यों न अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।
जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस वीरेंद्र कुमार (द्वितीय) की खंडपीठ ने यह आदेश श्री रामलीला कमेटी पलिया कलां और अन्य की ओर से साल 2008 में दायर याचिका पर बुधवार (17 मई) को सुनवाई करते हुए दिया।
याचिका में झाड़ी ताल परियोजना को तय समय सीमा में पूरा करने की मांग की गई थी। याचिका में दूसरी मांग थी कि दुधवा नेशनल पार्क की बाउंड्री पूरी करने के लिए कदम उठाए जाएं। इसके साथ ही सुहेली नदी की सफाई के लिए तत्काल उपाय किए जाने की भी मांग याचिका में की गई थी।
1 अप्रैल 2009 को मामले की सुनवाई के दौरान तीनों ही कार्यों में सरकार के ढुलमुल रवैये पर कोर्ट ने सख्त एतराज जताया था। उस दिन सुनवाई के समय तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई हरविंदर राज सिंह और डिप्टी डायरेक्टर, दुधवा टाइगर रिजर्व पीपी सिंह भी कोर्ट में मौजूद थे।
तत्कालीन प्रमुख सचिव ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि बाउंड्री और नदी की सफाई का कार्य 30 अप्रैल 2009 तक पूरा कर लिया जाएगा। इस पर कोर्ट ने उनके आश्वासन को रिकॉर्ड में लेते हुए, 20 मई 2009 तक राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट भी तलब की थी।
बुधवार को मामला जब फिर से कोर्ट के सामने सुनवाई के लिए आया तो कोर्ट ने पाया कि अब तक कोई स्टेटस रिपोर्ट नहीं दी गई है और न ही कार्य पूर्ण किए गए हैं।