HC सख्त, चुनाव आयोग से कहा- झूठा घोषणा-पत्र देने वाली पार्टियों पर हो कार्रवाई

Update:2016-09-15 19:49 IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में समाजवादी पार्टी की ओर से साल 2012 के विधानसभा चुनाव के पूर्व जारी घोषणा पत्र में झूठे वायदे किए जाने का दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की गई। जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने टिप्पणी की, कि चुनाव आयोग संविधान में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए ऐसे कदम उठाए जिससे चुनावों की शुचिता को बनाए रखा जा सके।

न्यायमूर्ति एपी शाही और न्यायमूर्ति डॉ. विजयलक्ष्मी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी अजमल खान की ओर से दाखिल याचिका पर की। याचिका में कहा गया था कि वर्ष 2012 के विधांनसभा चुनावों के समाजवादी पार्टी की ओर से जारी घोषणा पत्र में झूठे वायदे किए गए थे।

याची ने ऐसे आचरण रोकने की मांग की थी

याची ने इसे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत भ्रष्ट आचरण की परिभाषा में मानते हुए भविष्य में ऐसे आचरण रोकने के लिए चुनाव आयोग को संज्ञान लेने के निर्देश देने की मांग की थी। इसके साथ ही उचित कार्रवाई का निर्देश भी दिए जाने की मांग की गई थी।

अधिकार क्षेत्र से बाहर का किया था वादा

याचिका में कहा गया था कि घोषणा पत्र में शिक्षा क्षेत्र में लैपटॉप बांटे जाने का वायदा, अति पिछड़े मुसलमानों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाना और सौर उर्जा से चालित रिक्शे बंटवाने का वायदा झूठा था। याची ने मुसलमानों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने के वायदे पर जोर देकर कहा, कि यह राज्य सरकार के अधिकार में है ही नहीं। इस सम्बंध में कोई भी निर्णय केंद्र सरकार ही ले सकती है, बावजूद इसके सपा ने मतदाताओं को लुभाने के लिए यह वायदा कर दिया।

आगे की स्लाइड में पढ़ें शेष खबर ...

याची ने झूठे, भ्रामक और गलत वायदों पर रोक के लिए कोर्ट से आदेश जारी किए जाने की मांग की, जिसमें चुनाव आयोग को सभी राजनीतिक दलों को सुधारात्मक आदेश दिए जाने के निर्देश दिए जाएं।

सरकार ने नहीं माना 'भ्रष्ट आचरण'

याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय के एक निर्णय का हवाला देते हुए दलील दी कि चुनावी घोषणा पत्र में किए वायदे को 'भ्रष्ट आचरण' की परिभाषा में नहीं माना गया है। दोनों पक्षों की बहस और शीर्ष अदालत के फैसलों को मद्देनजर रखते हुए हाईकोर्ट ने भी वायदों को भ्रष्ट आचरण की संज्ञा में मानने से इंकार कर दिया।

अनुच्छेद-324 का हो उपयोग

हालांकि कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव जरूरी है। चुनावों में निष्पक्षता और शुचिता सुनिश्चित करने के लिए आयोग संविधान के अनुच्छेद-324 में प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हुए, निवारक व सुधारात्मक उपायों को अपना सकता है।

क्या है अनुच्छेद-324?

अनुच्छेद-324 निर्वाचनों का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना बताता है। संविधान ने अनुच्छेद 324 में ही निर्वाचन आयोग को चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेदारी दी है।

चुनाव आयोग करे शक्तियों का प्रयोग

हाई कोर्ट ने कहा कि याची चुनाव आयोग के समक्ष अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र है। आयोग के पास अधिकार है कि वह संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए ऐसे कदम उठाए जिससे चुनाव की शुचिता को बनाए रखा जा सके।

घोषणा पत्रों की भी होगी स्क्रूटनी

चुनाव आयोग हाई कोर्ट के इस फैसले का संज्ञान लेकर सख्त कदम उठाने पर विचार कर सकता है। आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि 'चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए सख्त नियम हैं, पर इस बार चुनाव में पार्टियों के घोषणा पत्रों की भी स्क्रूटनी होगी।

Tags:    

Similar News