HC: जल निगम में अभियंताओं की भर्ती का मामला, धांधली के आरोपों की जांच के आदेश
याचिका में कहा गया कि कई सफल अभ्यर्थियों को समान अंक देने के बाद साक्षात्कार में अधिकतम अंक देकर सफल घोषित कर नियुक्ति दे दी गई। कई सवालों के गलत उत्तर विकल्प देने का भी आरोप है।गलत उत्तर देने वालों को भी अंक देकर चयन परिणाम में शामिल किया गया है।
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश जल निगम में अभियंताओं की भर्ती में धांधली के आरोपों की जांच के आदेश दिये हैं। कोर्ट ने कार्यवाही के लिए 6 सप्ताह की समय दिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि नियुक्तियों पर फैसला जांच के परिणामों पर निर्भर होगा।
यह आदेश न्यायमूर्ति एपी शाही तथा न्यायमूर्ति डीएस त्रिपाठी की बेंच ने कानपुर देहात के शुभम सचान की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याची को कट ऑफ मार्क से एक ही कम अंक मिला है।
धांधली का आरोप
उत्तर प्रदेश जल निगम में 122 सहायक अभियंताओं की भर्ती के लिए परीक्षा हुई थी। चयन प्रक्रिया के बाद नियुक्तियां कर दी गईं। इन परिणामों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। याचिका में कहा गया कि कई सफल अभ्यर्थियों को समान अंक देने के बाद साक्षात्कार में अधिकतम अंक देकर सफल घोषित कर नियुक्ति दे दी गई।
याचिका में कई सवालों के गलत उत्तर के विकल्प देने का भी आरोप है और कहा गया है कि गलत उत्तर देने वालों को भी अंक देकर चयन परिणाम में शामिल किया गया है। याची का कहना है कि चयन सूची के आधार पर फरवरी 2017 में नियुक्ति पत्र जारी किया गया। इसके बाद उत्तर कुंजी व उत्तर पुस्तिका को ऑन लाइन किया गया। ऐसा जान बूझकर किया गया ताकि चयन में गड़बड़ी की किसी को जानकारी न होने पाए।
जांच जारी
उ.प्र. जल निगम के चेयरमैन आरपी सिन्हा के जवाबी हलफनामे में कहा कि चयन में गड़बड़ी की शिकायत परीक्षा कराने वाली कमेटी को भेज दी गयी है। यदि शिकायत सही पायी गयी तो नियमानुसार संशोधित चयन परिणाम जारी किया जायेगा।
जल निगम ने 19 नवम्बर 16 को 122 सहायक अभियंताओं का पद विज्ञापित किया था, जिसमें 100 अंकों की परीक्षा में 80 अंक लिखित व 20 अंक साक्षात्कार के निर्धारित किये गये थे। 4 जनवरी 17 को अंतिम परिणाम घोषित किया गया था, जिसे चुनौती दी गयी है।