डिफॉल्टर कम्पनियों के निदेशकों की सूची रद्द करने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर हाईकोर्ट का जवाब तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबन्धित डिफाल्टर कम्पनियों के निदेशकों की सूची को रद्द करने तथा अन्य कम्पनियो के डायरेक्टर बनने पर रोक लगाने के खिलाफ याचिकाओं पर भारत सरकार व् कार्पोरेट कम्पनियो के निबन्धक से जवाब मांगा है।

Update: 2019-07-10 17:11 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबन्धित डिफाल्टर कम्पनियों के निदेशकों की सूची को रद्द करने तथाअन्य कम्पनियो के डायरेक्टर बनने पर रोक लगाने के खिलाफ याचिकाओं पर भारत सरकार व् कार्पोरेट कम्पनियो के निबन्धक से जवाब मांगा है और याचिकाओं को सुनवाई हेतु 7 अगस्त को पेश करने का निर्देश दिया है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजीव मिश्र की खंडपीठ ने मनोरमा गुप्ता व् सैकड़ो अन्य याचिकाओं पर दिया है।याची अधिवक्ता ने केंद्र सरकार द्वारा जवाब न दाखिल करने पर कोर्ट का ध्यान खींचा तो कोर्ट ने भारत सरकार को याचिकाओं पर 3 सप्ताह में जवाब दाखिल करने समय दिया है।

मालूम हो कि कारपोरेट मामलो के मंत्रालय ने 2लाख 9 हजार 32 डिफाल्टर कम्पनियो का पंजीकरण निरस्त करने की कार्यवाही की और इनके बैंक खाते सीज कर दिए।

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केंद्र सरकार ने एक लाख 6 हजार 578 निदेशकों को 12 सितम्बर 2017 को अयोग्य घोषित कर दिया।ये वे कम्पनियां है जिन्होंने पिछले 3 वर्षों के वार्षिक रिटर्न नही जमा किये थे।इन कम्पनियों के निदेशकों को 5 साल के लिए दूसरी कम्पनियों का निदेशक बनने पर रोक लगा दिया है।भारत में 13 लाख कम्पनियां पंजीकृत है। फर्जी कम्पनियों के बन्द होने के बाद इस समय लगभग 11 लाख कम्पनिया एक्टिव है।बन्द कम्पनियो के निदेशकों के दूसरी कम्पनी का निदेशक बनने पर लगी रोक को व्यवसाय के अधिकार के खिलाफ करार देते हुए हटाये जाने की मांग की गयी है।

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