इलाहाबादः मायावती की सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे राकेशधर त्रिपाठी को हाईकोर्ट ने झटका दिया है। आय से ज्यादा संपत्ति रखने के मामले में भ्रष्टाचार निवारण संबंधी वाराणसी के विशेष कोर्ट ने राकेशधर के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट जारी किया था। राकेशधर ने इस वॉरंट पर रोक लगाने की अर्जी हाईकोर्ट में दी थी। इस अर्जी को अदालत ने ठुकरा दिया है।
बता दें कि राकेशधर के खिलाफ आय से ज्यादा संपत्ति और भ्रष्टाचार का केस साल 2013 में इलाहाबाद के मुट्ठीगंज थाने में दर्ज कराया गया था। उनके खिलाफ आरोपों की जांच सतर्कता विभाग ने की थी। जांच में राकेशधर के पास आय से ज्यादा संपत्ति मिली थी। राकेशधर की आय 2011 से 2013 में 45 लाख रुपए थी, जांच में उनके पास 122 करोड़ की संपत्ति मिली थी। गवर्नर ने 15 फरवरी 2016 को राकेशधर के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी।
कोर्ट में सतर्कता विभाग ने राकेशधर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस पर कोर्ट ने बीती 13 अप्रैल को गैर जमानती वॉरंट जारी कर दिया था। राकेशधर ने इसे रद्द करने की अर्जी में कहा था कि उनके खिलाफ राजनीतिक द्वेष से कार्रवाई की जा रही है। अभियोजन की मंजूरी से पहले उनको सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि दो बार गवर्नर ने पूर्व मंत्री को नोटिस भेजा, जिसका उन्होंने जवाब भी दिया है। इसके बाद हाईकोर्ट ने राकेशधर की अर्जी खारिज कर दी।
रमारमण को भी राहत नहीं
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के सीईओ रमारमण के काम करने पर लगाई रोक को फिलहाल हटाने से मना कर दिया है। चीफ जस्टिस डीबी भोंसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच ने कहा कि मुख्य सचिव का हलफनामा आ गया है। ऐसे में याची को एक मौका दिया जाता है कि वह इस हलफनामे का जवाब दाखिल करे। कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई आगामी 10 अगस्त बुधवार को करेगा।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि 10 अगस्त को याची मुख्य सचिव के हलफनामे का जवाब दाखिल नहीं करता, तो कोर्ट रमारमण के काम करने पर लगाई रोक को वापस लेने पर विचार करेगा। बता दें कि हाईकोर्ट ने रमारमण के नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे अथारिटी के चेयरमैन के रूप में एक साथ काम करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर उनके काम करने पर एक जुलाई 2016 को रोक लगा रखी है।