सुपरटेक के निदेशकों को कोर्ट से झटका, 5 जून तक करना होगा सरेंडर
रियल इस्टेट क्षेत्र की अग्रणी कंपनी सुपरटेक के निदेशक को अदालत से बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हरित पट्टी पर दुकान बनाकर बेचने के मामले में पूर्व में जारी स्थगनादेश को समाप्त कर दिया। कम्पनी के निदेशक समेत चारों आरोपियों को 30 दिन के भीतर निचली अदालत में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है।
प्रयागराज: रियल इस्टेट क्षेत्र की अग्रणी कंपनी सुपरटेक के निदेशक को अदालत से बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हरित पट्टी पर दुकान बनाकर बेचने के मामले में पूर्व में जारी स्थगनादेश को समाप्त कर दिया। कम्पनी के निदेशक समेत चारों आरोपियों को 30 दिन के भीतर निचली अदालत में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि वे यदि जमानत अर्जी देते हैं, तो अमरावती केस के फैसले के अनुसार उसे निर्णीत की जाय। यह अवधि पांच जून को पूरा होगी।
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गौरतलब है कि वैशाली में रहने वाली महिला सोनम रुंगटा ने सुपरटेक के निर्माणाधीन व्यावसायिक कांप्लेक्स में वर्ष 2006 में 15 लाख 70 हजार रुपये में दुकान लिया था। हरित पट्टी पर बनी दूकानों को जीडीए ने अवैध बताकर ध्वस्त कर दिया था। तब रुंगटा ने बिल्डर कंपनी के पदाधिकारियों से अपने पौने अठारह लाख रुपये मांगे थे। रुपये नहीं देने पर इंदिरापुरम थाने में मुकदमा करा दिया था।
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रिपोर्ट में धोखाधडी किए जाने में सुपर टैक के चैयरमेन आरके अरोड़ा, ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर संगीता अरोड़ा, प्रबंध निदेशक मोहित अरोड़ा और निदेशक जीएल खेड़ा को नामजद कराया था। सीजेएम कोर्ट ने बीते वर्ष सभी आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। इसके बाद आरोपियों ने उच्च न्यायालय से याचिका दायर कर गिरफ्तारी पर रोक का आदेश प्राप्त कर लिया था। जस्टिस एस डी सिंह ने यह आदेश दिया है।