लखनऊः हिंदू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष कमलेश तिवारी पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाने के मामले में बुधवार को यूपी सरकार को जोरदार झटका लगा है। राजधानी के महानगर स्थित फोरेंसिक साइंस लैब ने कमलेश की ओर से कथित तौर पर जारी प्रेस नोट की फोटोस्टेट कॉपी में दस्तखत का कमलेश के दस्तखत से मिलान करने से मना कर दिया है। लैब का कहना है कि फोटोस्टेट कॉपी के दस्तखत से असली दस्तखत नहीं मिलाया जा सकता।
कमलेश को मिल सकती है राहत
-लखनऊ के डीएम ने हाईकोर्ट को बताया कि लैब ने दस्तखतों का मिलान करने से इनकार किया है।
-कमलेश पहले ही कह चुके हैं कि प्रेस नोट उन्होंने जारी नहीं किया था।
-प्रेस नोट में पैगंबर मोहम्मद के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी गई थीं।
-समुदाय विशेष की भावनाएं आहत करने पर कमलेश को एनएसए के तहत जेल भेजा गया था।
-लखनऊ पुलिस कह चुकी है कि मूल प्रेस नोट नष्ट हो चुका है।
-ऐसे में कमलेश को जस्टिस अजय लांबा औऱ जस्टिस आरएन मिश्र द्वितीय की बेंच से राहत मिल सकती है।
दो सिपाहियों को उम्रकैद
-लखनऊ के गाजीपुर में 25 साल पहले युवक की हत्या करने वाले दो सिपाहियों को उम्रकैद।
-एडिशनल सेशन जज रमेश कुमार यादव ने सिपाहियों पर 50-50 हजार का जुर्माना बी लगाया।
-कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा देने वाले अगर ऐसा करें तो कोई नरमी नहीं बरती जा सकती।
-12 फरवरी 1991 को महादेव नाम के युवक की सरकारी रायफल से गोली चलाकर की थी हत्या।