IAS की मुश्किलें बढ़ी: इस घोटाले की जांच हुई शुरू, खुलेंगे कई चिट्ठे
अधिकारियों को पूरी उम्मीद है कि बहुत जल्द शासन से डॉ हरिओम के विरुद्ध कार्रवाई के लिए अभियोजन स्वीकृति मिल जाएगा । इनके विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति का मसला तकरीबन तीन वर्ष से प्रदेश शासन में लंबित है ।
बलिया । बलिया के संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के बहुचर्चित खाद्यान्न घोटाले में आने वाले समय में भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी डॉ हरिओम की मुश्किलें बढ़ सकती है । घोटाले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा के वाराणसी सेक्टर से जुड़े अधिकारियों को डॉ हरिओम के विरुद्ध शीघ्र ही प्रदेश शासन से अभियोजन स्वीकृति मिलने की पूरी उम्मीद है । उधर जिला पंचायत के दो पूर्व अध्यक्ष राजमंगल यादव व भारती सिंह भी जांच एजेंसी के राडार पर आ गए हैं तथा इनकी भी शीघ्र ही गिरफ्तारी होने की संभावना है ।
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प्रदेश शासन पर दबाव बढ़ाया
योगी सरकार में महत्वहीन कर दिये गये प्रदेश शासन के सचिव डॉ हरिओम की आने वाले समय में परेशानी और बढ़ने के आसार हैं । बलिया के संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत खाद्यान्न वितरण में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले में जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा , वाराणसी सेक्टर के अधिकारियों ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी डॉ हरिओम के विरुद्ध लंबित अभियोजन स्वीकृति को लेकर प्रदेश शासन पर दबाव बढ़ा दिया है । इस सिलसिले में ई ओ डब्ल्यू के अधिकारियों का दल पिछले दिनों राज्य मुख्यालय गया था । ई ओ डब्ल्यू के वाराणसी सेक्टर के अधिकारियों का कहना है कि जांच एजेंसी के पास डॉ हरिओम के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध है ।
तीन वर्ष से प्रदेश शासन में लंबित
अधिकारियों को पूरी उम्मीद है कि बहुत जल्द शासन से डॉ हरिओम के विरुद्ध कार्रवाई के लिए अभियोजन स्वीकृति मिल जाएगा । इनके विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति का मसला तकरीबन तीन वर्ष से प्रदेश शासन में लंबित है । डॉ. हरिओम पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, गबन, धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश के आरोप हैं। घोटाले के दौरान वह बलिया में मुख्य विकास अधिकारी के पद पर तैनात थे। जांच एजेंसी ने जिला पंचायत के दो पूर्व अध्यक्ष राज मंगल यादव व भारती सिंह पर भी दबाव बढ़ा दिया है । ई ओ डब्ल्यू के अधिकारियों के मुताबिक इन दोनों पूर्व अध्यक्ष की किसी भी समय गिरफ्तारी की जा सकती है ।
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आठ मामलों की जांच सीबीआई को दे दिया था
उल्लेखनीय है कि बलिया में संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत खाद्यान्न वितरण में वर्ष 2005 में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 2006 में मामले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान (ईओडब्ल्यू) को सौंपी थी। घोटाला सामने आने के बाद जिले के 17 विकास खंडो के 6049 लोगों के खिलाफ 14 थानों में 51 मुकदमा दर्ज हुआ था । हाई कोर्ट के हस्तक्षेप पर शासन की ओर से आठ मामलों की जांच सीबीआई को दे दिया गया था ।
घोटाले में शामिल रहने का आरोप लगा
शेष 43 मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) , वाराणसी सेक्टर कर रही है । इस मामले में वर्ष 2000 से वर्ष 2005 तक जिले में तैनात रहे तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी राममूति वर्मा, अश्वनी कुमार श्रीवास्तव व दीनानाथ पटवा पर भी घोटाले में शामिल रहने का आरोप लगा है। राज्य सरकार इन तीन तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति दे चुकी है । यह तीनों अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं ।
रिपोर्टर- अनूप कुमार हेमकर, बलिया