IAS विजय किरन आनंद का दामन भी हुआ दागदार, बचाने में जुटे वरिष्ठ आईएएस

Update:2017-09-15 15:37 IST

राजकुमार उपाध्याय

लखनऊ: सीएम योगी आदित्यनाथ ने सरकारी कार्यक्रमों में पधारने वाले महानुभावों को फूलों के गुलदस्ते या बुकें भेंट करने की परंपरा पर रोक लगाई। पर अफसर पहले से ही कमाई का नायाब फार्मूला ईजाद कर चुके हैं। कार्यक्रमों में महानुभावों को फूल की कली पेश की जाती है। पर मंच बगीचे की शक्ल में होता है। पंचायतीराज विभाग के अफसर इसमें सबसे आगे हैं।

बीते महीनों पंचायतीराज दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में अंजाम दी गईं उनकी करतूतें हैरान करने वाली है। मंच सजाने का ठेका 10 गुना ज्यादा दरों पर टेंडर डालने वाली फर्म को दिया गया। जलपान के दाम भी कागजों में बढ़े। इस गोलमाल की शिकायत पर निदेशक पंचायतीराज विजय किरन आनंद समेत छोटे अफसर शासन के राडार पर आएं। जांच में गड़बड़ी भी सामने आई, छोटे अफसरों से जवाब मांगा गया, पर वरिष्ठ आईएएस अफसर, विजय किरन आनंद को बचाने में जुटे हैं।

दरअसल, बीते 24 अप्रैल को लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में 'राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस' का ​आयोजन किया गया था। 18 अप्रैल को इसके लिए टेंडर आमंत्रित किए गए। मंच सजावट के लिए मेसर्स भारतीय एडवरटाइजिंग, लखनऊ की तरफ से टेंडर में टैक्स सहित 4.41 लाख रुपए की दरें दर्ज की गई। दूसरी फर्म मेसर्स मोक्ष एडवरटाइजिंग एण्ड इवेन्ट्स मैनेजमेंट की तरफ से सर्विस टैक्स के अतिरिक्त 45.43 लाख की दरें टेंडर में अंकित की गई।

पर विभागीय अफसरों ने मंच सजाने के लिए कम दर वाली फर्म के टेंडर को स्वीकार नहीं किया। इसके बजाए दूसरी फर्म जिसने 10 गुना अधिक दर पर टेंडर डाला था। उसे मंच सजाने का ठेका दे दिया गया। प्रकरण की शिकायत हुई तो अधिकारियों ने तर्क दिया कि इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और यूपी कैबिनेट के सदस्यों को शिरकत करनी थी। देश के सभी राज्यों के प्रतिभागी और गणमान्य लोग कार्यक्रम में उपस्थित रहते। ऐसे में वह फर्म जिसने कम दरों पर टेंडर डाले थे, व्यवहारिक नहीं पाई गई।

भोजन-जलपान के भी अधिक दर पर दिए गए टेंडर

विभाग के घोटालेबाज अफसर यही नहीं रूके। बल्कि उन्होंने कार्यक्रम में भोजन और जलपान के टेंडर में भी वही खेल किया जो खेल मंच के सजावट में हुआ था। इसमें भी कम दरों पर टेंडर डालने वाली फर्म को बाहर का रास्ता दिखाया गया। यहां भी यही तर्क दिया गया कि अतिविशिष्ट व्यक्तियों के कार्यक्रम में होने की वजह से इन दरों पर गुणवत्तापूर्ण भोजन और जलपान दिया जाना व्यावहारिक प्रतीत नहीं होता है। अनुभव को लेकर भी फर्म पर निशाना साधा गया।

जांच रिपोर्ट में अनियमितता जाहिर

जांच रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि टेंडर की शर्तों के मुताबिक निविदादाता को किसी भी सरकारी विभाग में टेंडर के जरिए काम करने का एक वर्ष का अनुभव होना अनिवार्य है। पर उसमें इस तरह की कोई शर्त नहीं रखी गई थी कि अतिविशिष्ट व्यक्तियों के कार्यक्रमों के आयोजन का अनुभव होना आवश्यक है। इसके अलावा मंच की सजावट के लिए जिस फर्म को टेंडर दिया गया। उसकी दरें सबसे ज्यादा थी। सर्विस टैक्स का भुगतान अतिरिक्त है। जबकि सबसे कम दर पर टेंडर डालने वाली फर्म ने टैक्स सहित अपनी दरें दर्ज की थी। बहरहाल, जांच रिपोर्ट में निविदा के मूल शर्तों के विपरीत लिए गए निर्णय में गड़बड़ी बताई गई है।

टेंडर के लिए गठित की गई थी यह समिति

राष्ट्रीय पंचायत दिवस के आयोजन में विभाग की तरफ से 13 अप्रैल को टेंडर की कार्रवाई पूरी की गई। इसके लिए अपर निदेशक शिव कुमार पटेल (पं.) की अध्यक्षता एक चार सदस्यीय समिति गठित की गई थी। केशव सिंह, मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी को सदस्य/सचिव, एसएसन सिंह, उपनिदेशक और गिरीश चन्द्र रजक, उपनिदेशक को सदस्य बनाया गया था। समिति ने कार्यक्रम के आयोजन पर आने वाले खर्च के लिए बजट की व्यवस्था, कामों के टेंडर तय किए थे। विभागीय जानकारों के मुताबिक निदेशक पंचायतीराज ने इस पर सहमति दी थी और उनकी सहमति के बाद ही भुगतान हुआ था।

विजय किरन आनंद की मूक सहमति भ्रष्टाचार को दे रही बढ़ावा

आईएएस अफसर विजय किरन आनंद ने बतौर डीएम शाहजहांपुर में खूब वाहवाही बटोरी थी। मई 2016 में जब उनका तबादला डीएम वाराणसी के पद पर हुआ तो शाहजहांपुर में खूब हंगामा मचा था। उनकी विदाई के दौरान हजारों लोगों ने कलेक्ट्रेट घेर लिया। यही कारण है कि योगी सरकार बनने के बाद जब उन्हें पंचायतीराज विभाग का निदेशक बनाया गया तो उम्मीद जगी कि अब विभाग से भ्रष्टाचार का सफाया होगा। पर इसके उलट निदेशालय में उनके आस-पास मंडराने वाले भ्रष्ट अधिकारियों की करतूतों पर विजय किरन आनंद की मूक सहमति विभाग में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है। उनके आस-पास मंडराने वाले भ्रष्ट अधिकारियों की फौज जिन घोटालों को लेकर पहले से बदनाम रही है। अब उन्हीं के कामों को बतौर निदेशक आनंद आगे बढ़ाते दिख रहे हैं।

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