IIT छात्रों का कामल: बना डाला पोर्टेबेल वेंटीलेटर, कीमत जान कर दंग रह जाएंगे

कोरोना महामारी के गंभीर मरीजों के लिए वेंटीलेटर की आवश्यकता से सभी वाकिफ है। महंगा होने के कारण देश में वेंटीलेटर की संख्या मरीजों की जरूरत को देखते हुए कम है।

Update: 2020-06-09 09:29 GMT
Portable ventilator

लखनऊ: कोरोना महामारी के गंभीर मरीजों के लिए वेंटीलेटर की आवश्यकता से सभी वाकिफ है। महंगा होने के कारण देश में वेंटीलेटर की संख्या मरीजों की जरूरत को देखते हुए कम है। लेकिन अब कानपुर के भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के दो स्नातक छात्रों ने बहुत ही सस्ते पोटेंबल वेंटीलेटर बनाया है। आईआईटी के इन छात्रों ने मंगलवार को किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट व अन्य वरिष्ठ विशेषज्ञों के सामने इस वेंटिलेटर को पेश करा और इसका प्रयोग करके दिखाया।

ये भी पढ़ें:यहां बंद हुए सारे सड़क यातायात, रेलवे करने जा रही ये काम

आईआईटी कानपुर के छात्रों ने बनाया ऐसा वेंटीलेटर

आईआईटी कानपुर के छात्रों निखिल कुरूले और हर्षित राठौर ने अपने पोर्टेबल वेंटीलेटर के बारे में बताया कि बाजार में वेंटिलेटर की कीमत चार लाख रुपये से शुरू होती है। जबकि यह पोर्टेबल वेंटीलेटर केवल 70 हजार रुपये में ही निर्मित हो जाता है। इस पोर्टेबिल वेंटीलेटर से वह सभी कार्य हो सकते है जो एक सामान्य वेंटीलेटर करता है। उन्होंने बताया कि इसके इस्तेमाल में लाने से एक वेंटीलेटर की कीमत में छह वेंटीलेटर आ जायेंगे। जिससे कोरोना महामारी के समय में मरीजों को काफी राहत मिलेगी।

आईआईटी कानपुर के प्रो. अमिताभ ने बताया कि इस पोर्टेबिल वेंटीलेटर के उत्पादन के लिए तैयारी हो चुकी है। भारत डायनामिक्स लिमिटेड और नोका रोबोटिक्स लिमिटेड के साथ इस पोर्टेबिल वेंटीलेटर की 1000 यूनिटों का उत्पादन करने के लिए अनुबंध किया गया है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज इस पोर्टेबल वेंटीलेटर के तकनीकी विकास में सहयोग करेगी। केजीएमयू में प्रदर्शन के दौरान कंपनियों के साथ इसके संबंध में हुई चर्चा में इसकी कीमत में और कमी लाने तथा और सुधार करने के लिए विस्तार से चर्चा हुई। केजीएमयू जल्द ही इस पोर्टेबिल वेंटीलेटर का परीक्षण व प्रयोग करेगा।

कोरोना महामारी से पूरी दुनिया परेशान है

ये भी पढ़ें:उमड़ा श्रद्धालुओ का जनसैलाव, रामराजा की नगरी ऐसा था हाल

बता दे कि मौजूदा समय में कोरोना महामारी से पूरी दुनिया परेशान है और इसकी वैक्सीन ढ़ूढंने में जुटी हुई है। इसके साथ ही दुनिया भर में इस खतरनाक बीमारी से बचाव के लिए प्रयोग होने वाले चिकित्सा उपकरणों के निर्माण मूल्य में भी कमी लाने पर काम किया जा रहा है। इस महामारी के फैलने से पहले भारत में पीपीई किट व एन-95 फेस मास्क का निर्माण नहीं होता था लेकिन अब भारत में पीपीई किट व एन-95 मास्क का इतना उत्पादन हो रहा है कि देश इसको निर्यात करने की स्थिति में आ चुका है।

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Tags:    

Similar News