कानपुरः डगराहा गांव के जीतू बिना टेक्निकल पढ़ाई किए सांइस के क्षेत्र में नए नए अविष्कार कर रहें है। उनका दावा है कि वह पानी वाले जहाज़ से लेकर टाइम बम तक बना सकते हैं, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से मजबूर हैं। इसके बावजूद वह छोटी-छोटी पुरानी चीज़ों से नए नए आविष्कार कर रहे हैं। पूरा गांव उसे छोटा कलाम कह कर बुलाता है।
बचपन से बनना चाहते थे सांइटिस्ट
-कानपुर देहात के डगराहा गांव के जीतू बीएससी सेकेंड इअर में पढ़ते हैं।
-उन्होंने पुरानी वस्तुओं से हेलीकॉप्टर,एंबुलेंस और कई उपकरण बनाए हैं।
-इसे देखकर गांव वाले उन्हें छोटा कलाम बुलाने लगे हैं।
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-जीतू बचपन से सांइटिस्ट बनना चाहते थे।
-आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से वह टेक्निकल पढ़ाई नहीं कर पाए।
क्या कहते हैं जीतू?
-घर में पड़ी फालतू चीजो को मैं कभी नहीं फेकता हूं।
-उनका इस्तेमाल सही जगह पर करने की कोशिश करता हूं।
-हेलीकाप्टर मैंने मोटर और बैट्री की मदद से बनाया है।
-पानी के जहाज में चारो तरफ प्लास्टिक के पंखे लगाए हैं।
-इन पंखो को घुमाने के लिए बैट्री का उपयोग किया है।
-इसको और भी बेहतर बनाया जा सकता था लेकिन मेरे पास उपकरण नहीं है।
-यह उपकरण बाजार में बहुत महंगे है जो मेरे पहुंच के बाहर हैं।
-मुझे देश के लिए कुछ करना है इसके लिए मैं पूरी मेहनत करूंगा।
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-मेरे आइडियल कलाम साहब है उनकी जीवनी मैंने पढ़ी है।
-वह कितनी मेहनत कर इस मुकाम पर पहुंचे थे तो मैं क्यों नहीं पहुंच सकता।
क्या कहते हैं पिता दयाल सिंह?
-वह खेती किसानी कर के अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं।
-परिवार में पत्नी और एक बेटा और बेटी है।
-जीतू का आईक्यू लेबल अच्छा है, वह टेक्निकल बातों को जल्दी कैच कर लेता है।
-मेरे पास इतना रूपया नहीं है कि मैं बेटे को इंजीनियरिंग करा सकूं।
-गांव में पानी वाले इंजन में कोई प्रोब्लम होती है तो जीतू उसे ठीक भी कर देता है।
-वह पूरे दिन अपनी खोजबीन की दुनिया में खोया रहता है।
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