लखनऊ : यूपी पुलिस के मुखिया का पद संभालते ही नए डीजीपी ओम प्रकाश सिंह के सामने आईएएस और आईपीएस अफसरों के बीच बढ़ने वाले टकराव से निपटने की बड़ी चुनौती होगी। सूबे में आईपीएस एसोसिएशन और पीपीएस एसोसिएशन को डीएम के प्रति जवाबदेही मंजूर नहीं है। कलेक्टर के प्रति या कलेक्टर के माध्यम से सरकार के प्रति जवाबदेही आईपीएस अफसरों को पुरानी अवधारणा नजर आ रही है। एसोसिएशन के प्रतिनिधिमण्डल ने मंगलवार को सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर प्रदेश में कमिश्नरी सिस्टम लागू करने की मांग की है।
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यूपी में पुलिस की जवाबदेही किस के प्रति
एसोसिएशन का कहना है, कि दूसरे राज्यों की व्यवस्था का अध्यन कर यूपी को अपना मॉडल तैयार करना चाहिए। इस के मुताबिक नया पुलिस एक्ट बनाया जाए। इस काम को आईपीएस आईएएस की तनातनी से उठ कर देखा जाए और मॉडल का भविष्य जन प्रतिनिधियों को तय करना चाहिए। पुलिस आयुक्त जनता द्वारा चुनी सरकार के प्रति जवाबदेह होता है। उसे सभी जरूरी संसाधन और शक्तियां मिली होती हैं। फिर भी जरूरी है, कि सख्त सेफ गार्ड हो। ताकि शक्तियों का दुरूपयोग व भर्ष्टाचार न हो। सीएम को सौंपे ज्ञापन में एसोसिएशन ने कहा है, कि अंग्रेजों की बनाई पुलिस व्यवस्था ब्रिटिश राज के प्रति जवाबदेह थी। और जिले में कलेक्टर उन का प्रतिनिधि था। इस लिए हमारे कानून में ऐसा प्रावधान है, कि कलेक्टर का लॉ एन्ड आर्डर में रोल है। दूसरे देशों में पुलिस को नागरिकों के प्रति जवाब देह बनाया गया है। जन प्रतिनिधियों की समिति बनी हुई है। जो पुलिस के काम को परखती है।
एसोसिएशन ने 7 सितम्बर 2017 के उस आदेश को निरस्त करने की मांग की है। जिस में डीएम को थानेदारों की समीक्षा पुलिस लाइन में करने का निर्देश दिया गया है। असोसिएशन के प्रतिनिधियों का मानना है, कि यह आदेश पुलिस एक्ट 1861 के अनुरूप नहीं है। इससे एसपी के कार्यछेत्र में अनावश्यक हस्तक्षेप होगा। इससे पहले पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने भी पत्र के माध्यम से 7 सितम्बर के आदेश को निरस्त करने का अनुरोध किया था।