IPS Prabhakar Chaudhary: बार-बार बेटे के ट्रांसफर पर भड़के IPS प्रभाकर चौधरी के पिता, बीजेपी के खिलाफ खोला मोर्चा
IPS Prabhakar Chaudhary: आईपीएस प्रभाकर चौधरी के तबादले के बाद से सोशल मीडिया पर उनकी तुलना हरियाणा के चर्चित आईएएस अधिकारी अशोक खेमका से होने लगी, जिन्हें अपने सर्विस में कहीं भी टिक कर काम करने का मौका नहीं मिला।
IPS Prabhakar Chaudhary: उत्तर प्रदेश के तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों में शामिल आईपीएस प्रभाकर चौधरी के तबादले का मामला अब भी सुर्खियों में छाया हुआ है। बरेली के एसएसपी रहे चौधरी को पिछले दिनों लखनऊ पीएसी में ट्रांसफर कर दिया गया था। उनके तबादले का आदेश शासन की ओर से ऐसे में आया था, जब महज कुछ घंटे पहले ही बरेली में कांवड़ियों पर लाठीचार्ज हुआ था। बताया जाता है कि इससे स्थानीय बीजेपी नेता नाराज थे, जिसके सरकार ने उनका ट्रांसफर कर दिया।
बरेली एसएसपी का चार्ज संभाले उनका ठीक से पांच माह भी नहीं हो पाया था। आईपीएस प्रभाकर चौधरी के तबादले के बाद से सोशल मीडिया पर उनकी तुलना हरियाणा के चर्चित आईएएस अधिकारी अशोक खेमका से होने लगी, जिन्हें अपने सर्विस में कहीं भी टिक कर काम करने का मौका नहीं मिला। बार-बार ट्रांसफर पर IPS प्रभाकर चौधरी के पिता पारस नाथ चौधरी पहली बार मीडिया के सामने आए हैं। उन्होंने अपने बेटे के साथ हो रहे इस व्यवहार को लेकर नाराजगी जाहिर की और साथ ही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान भी कर दिया।
बेटे ने दंगा होने से बचा लिया
पारस नाथ चौधरी ने कहा कि उनका बेटा (आईपीएस प्रभाकर चौधरी) काफी समझदार और होनहार है। इसलिए उसने यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा क्रैक की। बरेली की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अगर उनके बेटे ने दोनों पक्षों को समझाय-बुझाया न होता तो दंगे हो सकते थे। जिस रास्ते से कांवड़िए जाने की जिद कर रहे थे, अगर उन्हें जाने दिया जाता तो 25 से अधिक लोग मारे जाते। उनके बेटे ने शहर में दंगा होने से बचा लिया, जिसकी सजा उसे ट्रांसफर के रूप में मिली।
बार-बार ट्रांसफर से हूं दुखी
पारसनाथ चौधरी ने अपने बेटे आईपीएस प्रभाकर चौधरी के बार-बार तबादले से खुद को आहत बताया है। उन्होंने कहा कि प्रभाकर का बार-बार ट्रांसफर किया जा रहा है। सरकार उसके अच्छे काम को नजरअंदाज न करें। एक ही नहीं प्रदेश में कई ऐसे जिले हैं, जहां प्रभाकर ने बड़े-बड़े बवाल होने से बचाए। उन्होंने सोनभद्र जिले में हुए उभा कांड का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार को उस समय प्रभाकर की ही याद आई थी और उसने वहां पर स्थिति को अच्छे से संभाला भी। स्थिति नियंत्रण में आने के बाद दो महीने में ही उसका ट्रांसफर कर दिया गया।
बीजेपी के खिलाफ जंग का किया ऐलान
आईपीएस प्रभाकर चौधरी के पिता पारसनाथ चौधरी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से खासे नाराज दिखे। उन्होंने जीवनभर बीजेपी के खिलाफ लड़ाई लड़ने का ऐलान तक कर दिया। उनका कहना है कि बार-बार बेटे के ट्रांसफर के पीछे बीजेपी नेताओं का ही हाथ है। पारसनाथ ने कहा कि मेरा बेटा नेताओं की सुनता नहीं है। नेता लोग दबाव डालकर गलत काम कराना चाहते हैं, जिसे वह इनकार कर देता है, इसलिए वह उनके आंखों में खटकता है। उन्होंने कहा कि मैं पहले बीजेपी का बड़ा पदाधिकारी था। लेकिन अब तय कर लिया है कि आज से बीजेपी के खिलाफ ही रहूंगा और अपने जिले के 10-20 इलाकों में बीजेपी को कभी जीतने नहीं दूंगा। उन्होंने कहा कि वह 40 सालों से बीजेपी से जुड़े रहे हैं। वह आरएसएस के स्वयंसेवक भी रह चुके हैं। राजनीति उन्होंने बीजेपी में ही सीखी। लेकिन अब बीजेपी को कभी जीतने नहीं दूंगा।
कौन हैं आईपीएस प्रभाकर चौधरी ?
मूलतः अंबेडकरनगर जिले के रहने वाले प्रभाकर चौधरी ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा को पास कर लिया था। 2010 बैच के यूपी कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी हैं। वे यूपी के कई जिलों में एसएसपी और एसपी के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वे बलिया, बिजनौर, देवरिया, बुलंदशहर और कानपुर देहात के पुलिस अधीक्षक के तौर पर काम कर चुके हैं। इसके अलावा वाराणसी, आगरा, मुरादाबाद और आगरा जैसे बड़े जिलों के एसएसपी रह चुके हैं। बरेली के एसएसपी के पद पर इसी साल मार्च माह में उनका तबादला हुआ था।
2010 में आईपीएस के तौर पर अपना करियर शुरू करने वाले प्रभाकर चौधरी मात्र 13 साल में 21 ट्रांसफर पा चुके हैं। इस साल मार्च में जब उनकी बरेली के एसएसपी के पद पर तैनाती हुई थी, तब उन्होंने मीडिया को बताया था कि ये उनका 18वां जिला है। इनमें केवल मेरठ ही ऐसा जिला था, जहां उन्होंने एक साल कार्यकाल पूरा किया था। बाकी के जिलों में वे महज छह-सात माह ही टिक पाए।
ट्रांसफर की क्या है हकीकत ?
मीडिया और आम लोगों के बीच जहां ये चर्चा है कि आईपीएस प्रभाकर चौधरी का तबादला बरेली में कांवड़ियों पर हुए लाठीचार्ज के कारण हुआ है, जबकि पुलिस महकमे से जुड़े सूत्र कोई और वजह ही बता रहे हैं। बताया जा रहा है कि कुछ महीनों पहले ही प्रभाकर चौधरी ने खुद शासन से अपना तबादला लखनऊ पीएसी करने का अनुरोध किया था। ऐसा ही उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से किया था। पुलिस महकमे से जुड़े लोग इसे महज संयोग ही बता रहे हैं कि तबादले की सूची शासन ने ठीक उसी दिन जारी की, जिस दिन बरेली में बवाल हुआ था। वरिष्ठ होने के कारण ही सूची में उनका नाम पहले नंबर पर रखा गया था। आईपीएस प्रभाकर चौधरी उन पुलिस अधिकारियों में शामिल हैं, जिनका डीआईजी के पद पर प्रमोशन जल्द हो सकता है।