योगी सरकार को वापस लेना पड़ा अपना फैसला

गौरतलब है कि इसी साल सितंबर में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओबीसी की 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के योगी सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी।

Update: 2019-11-01 16:22 GMT

लखनऊ: पिछली कई सरकारों में राजनीति का केन्द्र बने रहे 17 जातियों को एससी का दर्जा दिए जाने का मामला एक बार फिर उलझता नजर आ रहा है। पहले आदेश देने के बाद राज्य सरकार अब अपना ही आदेश वापस ले लिया है।

गौरतलब है कि इसी साल सितंबर में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओबीसी की 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के योगी सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी।

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पिछड़े वर्ग (ओबीसी) की 17 जातियों को अनुसूचित जातियों की सूची में डाल दिया गया था। जिनमें कंहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर आदि शामिल हैं। योगी सरकार ने अपने इस फैसले के बाद सभी जिलाधिकारियों को इन जातियों के परिवारों को प्रमाण दिए जाने का आदेश दे दिया था।

योगी आदित्यनाथ सरकार ने बीती 24 जून को एक आदेश जारी कर 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कर दिया था। सामाजिक कार्यकर्ता गोरख प्रसाद ने याचिका दाखिल कर इस शासनादेश को अवैध ठहराया था। जिस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजीव मिश्र की डिवीजन बेंच ने सुनवाई की।

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कोर्ट ने माना कि सरकार का फैसला गलत है और सरकार को इस तरह का फैसला लेने का अधिकार नहीं है। संसद ही एससी-एसटी की जातियों में बदलाव कर सकती है। कोर्ट ने माना कि सरकार का फैसला गलत है और सरकार को इस तरह का फैसला लेने का अधिकार नहीं है। सिर्फ संसद ही एससी-एसटी की जातियों में बदलाव कर सकती है. केंद्र व राज्य सरकारों को इसका संवैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं है।

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