प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारत सरकार से कहा है कि आईटीआई कंपनी नैनी ,इलाहाबाद में उत्पादन ठप होने के बावजूद चेयरमैन, प्रबन्ध निदेशक,निदेशक आदि बड़े अधिकारी क्यों बने हुए है और बिना किसी काम किये सरकारी खजाने से उन्हें वेतन आदि का भुगतान क्यों किया जा रहा है।
कोर्ट ने कहा है कि बड़े अधिकारी वेतन व सारी सुविधाएं ले रहे हैं और रिटायर कर्मचारियो को कंपनी की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल होने के आधार पर उनका भुगतान नही कर रहे हैं। कोर्ट ने इसे निंदनीय करार दिया है।
कोर्ट ने कंपनी को याची सेवा निवृत्त सहायक अभियंता को 299 दिन के अवकाश नकदीकरण भुगतान का एक माह में गणना कर 3 माह में 8 फीसदी व्याज के साथ भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कंपनी पर 50 हजार रूपये का हर्जाना भी लगाया है।
कोर्ट ने कहा है कि याची को 31 जुलाई 2012 सेवा निवृत्ति तिथि से भुगतान किए जाने तक देय राशि पर व्याज की गणना करने को कहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति इफ़ाक़त अली खान की खंण्डपीठ ने दीन दयाल सिंहल की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए दिया है।
कोर्ट ने सेवा निवृत्ति परिलाभों व् अन्य देयो के भुगतान में थोड़ी देरी पर व्याज देने से इंकार कर दिया।कोर्ट ने कहा कि याची ऐसा कोई नियम नही बता सका कि जिसमे सेवा निवृत्ति की तिथि के तुरंत बाद भुगतान अनिवार्य हो। कोर्ट ने कहा युक्तियुक्त समय के भीतर भुगतान कर दिया गया था।ऐसे में ब्याज की मांग सही नही मानी जा सकती। किन्तु टिप्पणी की कि बड़े अधिकारी मौज कर रहे और आर्थिक संकट बताकर छोटे अधिकारियो का भुगतान नही कर रहे हैं। इसे उचित नही माना जा सकता।