Dhananjay Singh की बढ़ी मुश्किलें, यहीं रुक जाएगा राजनीतिक सफर?

Janupur News: जौनपुर स्थित थाना लाइन बाजार में 10 मई 2020 को दर्ज हुए मुकदमें में अभिनव सिंघल के अपहरण के मामले में धनंजय सिंह को अपर सत्र न्यायाधीश ने दोषी करार दिया है।

Report :  Kapil Dev Maurya
Update:2024-03-05 21:19 IST

धनंजय सिंह को कोर्ट ने पाया दोषी। (Pic: Social Media)

Jaunpur News: जनपद की सियासत में उथल-पुथल मचाने का माद्दा रखने वाले बाहुबली नेता एवं पूर्व सांसद धनंजय सिंह की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। मंगलवार 05 मार्च को जौनपुर स्थित थाना लाइन बाजार में 10 मई 2020 को दर्ज हुए मुकदमें में अभिनव सिंघल के अपहरण के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व संतोष विक्रम को अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ शरद त्रिपाठी ने दोषी करार दिया गया है। इस मामले में सजा को लेकर बुधवार 06 मार्च को फैसला की तिथि मुकर्रर कर दी गई है।

मुश्किलों भरा रहा राजनीतिक सफर

बता दें कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह का राजनीतिक सफर काफी मुश्किलों भरा रहा है। वह 2002 में पहली बार रारी विधानसभा से निर्दलीय विधायक चुने गए। 2007 के आम चुनाव में लोजपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे। धनंजय सिंह 2009 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीत कर देश की बड़ी पंचायत लोकसभा के सदस्य बन गए। 2009 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद रिक्त हुई विधानसभा सीट पर अपने पिता राजदेव सिंह को खड़ा किया और जितवाने में सफल रहे। राजदेव सिंह रारी विधानसभा के अन्तिम विधायक रहे। क्योंकि 2012 में रारी विधानसभा मल्हनी हो गई और तब अब तक उसपर सपा का कब्जा है।

कई बार जा चुके हैं जेल

तत्कालीन सपा महासचिव अमर सिंह से मुलाकात और धनंजय सिंह को कांग्रेस में जाने की सुगबुगाहट के बाद 21 सितंबर 2011 को बसपा नेता मायवती ने धनंजय सिंह को पार्टी से निलंबित करने का ऐलान कर दिया था। निलंबन का सांसद ने खुला विरोध किया। इस बीच 26 सितंबर को सीबीसीआईडी ने बेलांव घाट के डबल मर्डर की दोबारा जांच शुरू कर दी। 20 नवंबर को सांसद की बसपा में वापसी हो गई। 11 दिसंबर 2011 को सांसद को बेलांव घाट के दोहरे हत्याकांड में गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी विधानसभा चुनाव के ठीक पहले की गई थी। पुलिस ने गैंगस्टर भी तामील करा दिया। विधानसभा चुनाव बीतने के बाद मार्च में उच्च न्यायालय से जमानत हुई। वर्ष 2012 में विधानसभा के आम चुनाव में मल्हनी विधानसभा क्षेत्र से अपनी दूसरी पत्नी डॉ. जागृति सिंह को निर्दलय प्रत्याशी के रूप में उतारा। उन दिनों वह जेल में थे। जागृति भी चुनाव हार गईं। चुनाव में सपा उम्मीदवार और उद्यान मंत्री रहे पारसनाथ यादव से डॉ. जागृति का मुकाबला हुआ। सांसद के जेल में होने के बावजूद डॉ. जागृति सिंह को 50,100 वोट मिले। जबकि विजयी प्रत्याशी पारसनाथ यादव को 81, 602 मत मिले और विजयी हुए।

चुनाव लड़ने से हो सकते हैं वंचित

17 जनवरी, 2013 को बक्शा के पूरा हेमू निवासी अनिल मिश्रा हत्याकांड में सांसद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। तत्कालीन एसपी मंजिल सैनी ने विवेचना कराई तो पता चला कि मर्डर अनिल मिश्रा के गुट के लोगों ने ही कराया था। इस पर पुलिस ने सांसद को क्लीनचिट दे दी थी। इसके बाद 10 मई 2020 को नमामि गंगे परियोजना के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण के मामले में धनंजय सिंह और संतोष विक्रम सिंह अभियुक्त बने। दोनों के खिलाफ धारा 364, 386, 504, और 129 बीएसए के तहत मुकदमा दर्ज हो गया था। इस मुकदमें में सजा से बचने के लिए धनंजय सिंह और उनके साथियों ने बड़ा प्रयास किया। यहां तक की सभी गवाहो को पक्ष द्रोही (होस्टाइल) कराने में सफल रहे। इसके बाद भी मुकदमे के जिरह के दौरान कुछ ऐसे साक्ष्य मिले जिसके आधार पर न्यायधीश ने दोषी करार दे दिया है। इस मुकदमे में जो धाराएं लगी है उसमें दस साल से लगायत आजीवन कारावास की सजा का प्राविधिक है। हलांकि न्यायधीश ने अगर दो साल से अधिक की सजा देदी तो धनंजय सिंह के राजनैतिक जीवन यहीं पर रूक सकता है। क्योंकि दो साल से अधिक की सजा मिलने पर चुनाव लड़ने से कानूनन वंचित हो सकते है।

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