Jaunpur: कोर्ट आज पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर सुनाएगी सजा, 10 साल की सजा या फिर उम्रकैद, जानें क्या मामला

Jaunpur News: पुलिस ने धनंजय सिंह को उसके आवास से गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था, जहां से वह न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत पर धनंजय जेल से बाहर आया था।

Report :  Kapil Dev Maurya
Update: 2024-03-06 03:56 GMT

former MP Dhananjay Singh   (फोटो: सोशल मीडिया )

Jaunpur News: नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का करीब तीन साल दस महीने पहले अपहरण कराने, रंगदारी मांगने और गालीगलौज कर धमकाने के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को एडीजे चतुर्थ (एमपी-एमएलए) शरद कुमार त्रिपाठी की अदालत ने दोषी पाया है। अदालत बुधवार को मामले में सजा सुनाएगी।

अभिनव सिंघल ने दर्ज कराई थी धनंजय सिंह के खिलाफ FIR

दरअसल, मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी और अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व संतोष विक्रम सिंह और दो अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। अभिनव सिंघल का आरोप था कि संतोष विक्रम सिंह और अन्य दो लोग पचहटिया स्थित साइट पर आए थे, वहां से असलहे के बल पर चारपहिया वाहन से उनका अपहरण कर मोहल्ला कालीकुत्ती स्थित धनंजय सिंह के घर ले जाया गया। धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आया और गालीगलौज करते हुए उनकी फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव डालने लगा। उनके इन्कार करने पर धमकी देते हुए धनंजय ने रंगदारी मांगी। किसी प्रकार से उनके चंगुल से निकलकर लाइन बाजार थाने गए और आरोपियों के खिलाफ तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने धनंजय सिंह को उसके आवास से गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था, जहां से वह न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत पर धनंजय जेल से बाहर आया था।

अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि मामले का अभियुक्त पूर्व सांसद है। उसके ऊपर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उसका क्षेत्र में काफी नाम है, जबकि वादी मात्र सामान्य नौकर है। ऐसी स्थिति में वादी का डरकर अपने बयान से मुकर जाना अभियुक्त को कोई लाभ नहीं देता है, जबकि मामले में अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य मौजूद हों।

सांसद ने आरोपों को बताया निराधार

रंगदारी और अपहरण के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और संतोष विक्रम सिंह की ओर से अदालत में दलील दी गई कि उनके ऊपर लगे आरोप निराधार है। वादी और उसका गवाह अपने बयान से मुकर गए। उन्हें रंजिश में गलत तरीके से फंसाया गया। इस पर एमपी-एमएलए कोर्ट की अदालत ने कहा कि किसी सांसद या विधायक को यह हक या फिर अधिकार नहीं है कि वह किसी सरकारी कर्मचारी को फोन करके जबरन अपने घर बुलाए।

दोश सिद्ध होने पर पूर्व सांसद ने ये कहा

दोष सिद्ध होने का आदेश आने के बाद अभियुक्त एवं पूर्व सांसद धनंजय सिंह का बयान आया कि पूरा मामला भ्रष्टाचार का था, इसके बारे में सबको पता है। वादी ने अदालत में शपथ पत्र भी दिया था कि हम पर लगाए गए आरोप गलत हैं। न्यायपालिका के ऊपर हम सवाल नहीं खड़ा कर सकते हैं। अदालत का आदेश देखेंगे।

अपहरण के मामले में 10 वर्ष तक के कठिन कारावास का प्रावधान है। रंगदारी में भी 10 वर्ष तक के कारावास और जुर्माना दोनों का प्रावधान है। अपमानित करने में दो वर्ष तक के कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित करने का प्रावधान है। आपराधिक धमकी के मामले में दो वर्ष तक के कारावास या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

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