जानिए, जौनपुर और मछली शहर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा का सूपड़ा साफ होने के लिए जिम्मेदार कौन?

Jaupur News : लोकसभा चुनाव खत्म होने के साथ ही अब जिले के चट्टी चौराहे एवं चाय की अड़ियों पर जौनपुर की दोनों संसदीय सीट 73 जौनपुर एवं 74 मछलीशहर (सुरक्षित) पर भाजपा की हार के कारणों की कहानी सामने आने लगी है।

Report :  Kapil Dev Maurya
Update:2024-06-08 18:27 IST

Jaupur News : लोकसभा चुनाव खत्म होने के साथ ही अब जिले के चट्टी चौराहे एवं चाय की अड़ियों पर जौनपुर की दोनों संसदीय सीट 73 जौनपुर एवं 74 मछलीशहर (सुरक्षित) पर भाजपा की हार के कारणों की कहानी सामने आने लगी है। चुनाव परिणाम आने के एक दो दिन बाद हार के कारण की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। जन चर्चाओं पर विश्वास करें तो भाजपा की पराजय के पीछे खुद भाजपाई और भाजपा के कोर वोटर ही नजर आ रहे हैं।

73 जौनपुर संसदीय सीट की बात करें तो यहां भाजपा ने जौनपुर से राजनीति करने वालों की उपेक्षा करते हुए महाराष्ट्र की राजनीति करने वाले कांग्रेस से आए कृपाशंकर सिंह पर दांव लगाया था। इनके मुकाबले सपा ने पीडीए का फार्मूला अख्तियार करते हुए यूपी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूसिंह कुशवाहा को सपा के बैनर तले चुनाव मैदान में उतारा था, जो भाजपा को 99,335 वोटों से पराजित कर लोकसभा की दहलीज पर पहुंच गए हैं।

धनंजय सिंह के सपोर्ट के बावजूद चुनाव हारे

बता दें कि कृपाशंकर सिंह के प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही जौनपुर भाजपा के लाेग नाराज हो गए और मतदान तक उनकी नाराजगी दूर नहीं की जा सकी। इतना ही नहीं, जौनपुर के भाजपा के नेता जान गये कि अगर कृपाशंकर सिंह सांसद बने तो जौनपुर के नेताओं की राजनीति नेपथ्य में चली जाएगी। इसीलिए जिले के बड़े नेताओं से लेकर बूथ कार्यकर्ता तक सक्रिय नहीं हुए और कृपाशंकर सिंह को हार का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं, कृपाशंकर सिंह के साथ आठ से दस की संख्या में जिले के ऐसे लोगों ने शुरूआती दौर में घेराबन्दी कर ली थी, जिसकी आम छवि जौनपुर की जनता के बीच बहुत ही नकारात्मक रही है। यह भी भाजपा की हार का एक बड़ा कारण रहा।

यहां, कृपाशंकर सिंह ने चुनाव जीतने के लिए साम, दाम, दन्ड भेद सब कुछ आजमाया। इसी के तहत धनंजय सिंह पर भी दबाव बनाया गया, उनकी पत्नी ने बसपा से मिले टिकट को वापस कर दिया था। इसके बाद धनंजय सिंह ने बाहर से भाजपा को सपोर्ट तो किया, लेकिन जहां उनका दबदबा था यानी मल्हनी विधान सभा, वहां से भी बीजेपी हार गई। इसके अलावा बदलापुर, शाहगंज और मुंगराबादशाहपुर विधानसभाओं से भी भाजपा को पराजय मिली। खुद कृपाशंकर सिंह ने प्रदेश की समीक्षा बैठक में अपनी हार के लिए भाजपा के जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह और महामंत्री सुशील मिश्रा को जिम्मेदार ठहराया है। ।

राजपूत और ब्राह्मण की नाराजगी बनी हार का कारण

इसी तरह 74 मछलीशहर (सुरक्षित) लोकसभा पर नजर डाली जाए तो यहां भाजपा की हार के लिए खुद प्रत्याशी ही जिम्मेदार है। बता दें कि मछलीशहर सीट से चुनाव मैदान में उतारे गए वीपी सरोज 2019 के चुनाव में 182 वोट से जीत गए थे। सांसद बनने के बाद उन पर अहंकार और जातिवाद का भी आरोप लगा था। बताया जा रहा है कि उन्होंने अपने पांच साल के कार्यकाल में 1365 सवर्ण खास कर राजपूत और ब्राह्मण परिवार के लोगों के खिलाफ थाने में हरिजन बनाम सवर्ण का मुकदमा लिखवाया और उनको जेल भेजवाया था। अब पुन: 2024 में टिकट मिलने पर क्षेत्र के राजपूत और ब्राह्मण मतदाता अपने ऊपर हुए जुल्म का बदला लेने का मन बना लिए थे।

भाजपा नेतृत्व के दबाव में अपनी पीड़ा दबाते हुए राष्ट्र के नाम पर भाजपा के साथ जाने का मन बना रहे थे, तभी चुनाव में मतदान के तीन दिन पूर्व वीपी सरोज ने मछलीशहर विधानसभा क्षेत्र में अपने भाषण के दौरान कहा था कि उत्तर प्रदेश में अगर बुलडोजर बाबा लखनऊ में बैठे है तो जौनपुर में हम यानी वीपी सरोज एससी- एचटी बाबा हैं। इसके बाद फिर सवर्ण मतदाता भड़के और बूथ गए ही नहीं, जो गया उसने नोटा दबा दिया। जिसका परिणाम रहा कि सपा प्रत्याशी प्रिया सरोज जो केराकत विधायक तूफानी सरोज की बेटी थी ने जनता का मन जीता और 35,850 वोटों से भाजपा के वीपी सरोज को पटखनी देते हुए लोकसभा की दहलीज पर पहुंच गयी है। इस तरह भाजपा को यहां पर सवर्ण मतदाताओं की नाराजगी भारी पड़ गई।

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