Jhansi News : व्यवसाय के रूप में अपनाएं मछली पालन, इसमें अपार संभावनाएं : डॉ. अशोक

Jhansi News : रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झाँसी के कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में 'भारतीय मेजर कार्प - मछलियों का पालन एवं प्रबंधन' विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण मछली पालकों के लिए प्रारम्भ हुआ।

Report :  Gaurav kushwaha
Update: 2024-07-01 13:56 GMT

Jhansi News : रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झाँसी के कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में 'भारतीय मेजर कार्प - मछलियों का पालन एवं प्रबंधन' विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण मछली पालकों के लिए प्रारम्भ हुआ। कुलपति ने कहा कि बुंदेलखण्ड में मछली उत्पादन बढ़ाने एवं मछली पालकों की आय बढ़ाने के लिए यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि बुंदेलखण्ड में नदियां, तालाब सबसे अधिक हैं, सबसे महत्त्वपूर्ण है कि उनका पानी स्वच्छ एवं साफ है। यह मछली के लिए अमृत समान है। इसीलिए बुंदेलखण्ड की मछलियों के दाम अन्य जगह की मछलियों की अपेक्षा महंगे हैं। अन्य देशों में इनकी मांग अधिक रहती है। कुलपति ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि बांध एवं नदियों का उपयोग कर इनमें मछली पालन कर सकते हैं। इसके अलावा अपने खेत में तालाब बनाकर मछली पालन किया जा सकता है। इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण में मछली पालने की वैज्ञानिक विधि बताई जाएगी। इसके साथ-साथ मछली का बीज उत्पादन कैसे करें, यह भी प्रशिक्षण में बताया जाएगा। उन्होंने युवा मछली पालकों से आवाहन किया कि इसे व्यवसाय के रूप में करें। इसमें एक एकड़ के तालाब में मछली पालने पर इतना लाभ है कि 10 एकड़ की खेती करने पर उतना लाभ नहीं होता है।

3 एकड़ में 22 लाख रुपए की आमदनी

कुलपति ने सासाराम बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां पर एक किसान आन्ध्र प्रदेश से आकर 3 एकड़ में मछली पालन से 22 लाख रुपए की आमदनी की है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि विवि में स्थापित मॉडल को अवश्य देखें, उसमें मछली पालन, बकरी पालन, गााय पालन, सब्जी उत्पादन आदि एक साथ हो रही है। विवि आगे 3 महीने का मछली पालन प्रशिक्षण इण्टरमीडिएट पास युवाओं को देगा।

निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. एसएस सिंह ने कहा कि मत्स्य महाविद्यालय में प्रसार, शिक्षा एवं शोध यह तीनों एक साथ कार्य कर रही है। बुंदेलखण्ड में खेती के लिए सिंचाई के अच्छे स्रोत  हैं एवं सरकार भी पानी के श्रोत बढ़ाने पर लगातार प्रयास कर रही है। किसान मछली पालन कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। विवि मत्सय पालन महाविद्यालय भी एक तालाब को मछली पालन के मॉडल के रूप में विकसित करेगा। इस प्रशिक्षण में विवि ज्ञान देगा, उत्तर प्रदेश सरकार के मत्स्य विभाग के अधिकारियों से वित्त सहयोग यह सभी समावेश का किसान लाभ लें।


मछली पालन के साथ - साथ मुर्गी एवं बतख भी पालें

अधिष्ठाता पशु चिकित्सा महाविद्यालय डॉ. वीपी सिंह ने कहा कि मछली पालक जहां तालाबों में मछली पालन कर रहे हैं, वहां पर पशुपालन भी करें। इससे आपकी आय बढ़ेगी। मछली पालन के साथ - साथ मुर्गी एवं बतख भी पाल सकते हैं। अधिष्ठाता उद्यानिकी एवं वानिकी डॉ. मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि बुंदेलखण्ड में मछली पालन की अपार संभावनाएं हैं। मछली पालन में कौन-कौन सी प्रजाति लाभकारी हैं व उनका प्रबंधन कैसे करें, यह इस प्रशिक्षण में बताया जाएगा।

अधिष्ठाता मात्स्यिकी महाविद्यालय डॉ. मनमोहन डोबरियाल ने कहा कि इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण में झाँसी, शिवपुरी, दतिया के मछली पालक किसान सम्मिलत हैं। इसमें मछलियों के प्रजनन एवं संवर्धन में रोग निवारण, मछलियों को पालने के लिए भूमि का चुनाव, जल गुणवत्ता प्रबंधन, तालाब का निर्माण भारतीय मेजर कार्प मछलियों का आरएएस में पालन बुंदेलखण्ड में मीठे जल में पाली जाने वाली प्रमुख मछलियों के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा।

ये लोग शामिल हुए

इस अवसर पर डॉ. तनुज मिश्रा, डॉ. गिरिजा सौरभ बेहरे, डॉ.आशुतोष शर्मा, डॉ. सुधांशु रमन, गणेश कुमार टी., डॉ. गौरव कुमार, डॉ. संजीव कुमार, सत्यनारायण परिडा, अजय कुमार राउत, चरन सिंह कुशवाहा, गुलाब सिंह रायकवार आदि उपस्थित रहे। संचालन डॉ. पार्थसारथी त्रिपाठी ने डॉ. नीलेश कुमार ने सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।

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