Jhansi News: मछुआरों की समितियों को किया दरकिनार, जल प्रदूषण से बढ़ा खतरा

Jhansi News: नगर निगम, जेडीए और पीपीपी मॉडल के जिम्मे होने के बाद तालाब में मछुआरों को मछलीपालन से दरकिनार कर दिया गया है।

Report :  Gaurav kushwaha
Update: 2024-06-29 06:18 GMT

Jhansi News (Pic: Newstrack) 

Jhansi News: नगर निगम के स्वामित्व में महानगर के तीन प्रमुख तालाब स्मार्ट सिटी के पास जाने के बाद यहां चमक-दमक खूब हुई।  लेकिन तालाब को काई व जलकुंभी से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले मछुआरों की समितियों को दर किनार कर दिया गया। वहीं मछली पालन से नगर निगम को लाखों के राजस्व से हाथ भी धोना पड़ा। इसके साथ 110 परिवार इससे मिलने वाले रोजगार से वंचित रह गए।   

तालाब पर हो रहे अवैध कब्जे                                       

मालूम हो कि महानगर के बीचों बीच स्थित आंतिया तालाब जिनका कुल क्षेत्रफल लगभग 6 एकड़ है। इसी तरह लक्ष्मीतालाब  जिसका क्षेत्रफल अब सिमटकर 5 एकड़ ही बचा है।  इसके अलावा बिजौली का तालाब जिसका क्षेत्रफल 5.5 एकड़ ही बचा है। लक्ष्मीतालाब के सुंदरीकरण के कार्य का तत्कालीन नगर पालिका परिषद और  झांसी विकास प्राधिकरण ने खाका खींचा था। काम भी प्रारंभ हो गया। इस बीच नगर पालिका परिषद नगर निगम में तब्दील हो गई। वहीं तालाब की भूमि पर बेतहाशा कब्जे और अदालती विवादों  के चलते काम प्रभावित होने लगा । इसके बाद तीनों तालाब पीपीपी मॉडल के तहत ठेकेदार को दे दिए गए।

मछुआरों को भुला दिया गया

हालांकि इस दौरान भी इन तालाबों पर लोग मछली पालन करते थे जिससे 110 मछुआ परिवारों को रोजगार मिलता था। इसके बाद तीनों तालाब स्मार्ट सिटी लिमिटेड के जिम्मे हो गए। तालाबों के सुंदरीकरण की एक बार फिर कवायद की जाने लगी। वहीं मछुआरों को भुला दिया गया। बताया गया कि तीनों तालाबों में मछली पालन का ठेका स्थानीय मत्स्यजीवी सहकारी समितियों को दिया जाता था। इससे नगर निगम को करीब सवा दो लाख रुपए की आय होती थी। वहीं मछली पालन से सहकारी समितियों से जुड़े सदस्यों को रोजगार भी मिलता था। वहीं तालाब का पानी भी स्वच्छ और प्रदूषण रहित रहता था। 

मछुआरों को नहीं दिया गया पट्टा

मत्स्यजीवी सहकारी समिति से जुड़े किशोरीलाल रायकवार का कहना है कि तत्कालीन जिलाधिकारी ने तालाब को जलकुंभी से मुक्त कराने के लिए मछुआरों को दायित्व सौंपा था। इसके बाद झांसी स्मार्ट सिटी झांसी द्वारा उक्त तालाब का सौंदर्यीकरण कार्य कराया गया तब से उक्त तालाब मे मछुआरों व उक्त समिति को प्रतिबन्धित कर दिया गया। उनका आरोप है कि स्मार्ट सिटी द्वारा रखे गए अप्रशिक्षित मछुआरों और मत्स्य समिति की देखरेख के अभाव में उक्त तालाब के पानी में ऑक्सीजन कम होने लगी। जिससे कुछ दिन पूर्व तालाब की कुंतलों मछलियां मर गईं। जबकि कई बार स्थानीय पार्षद व उक्त समिति द्वारा उक्त तालाब में समिति को मत्स्य पालन आखेट का पट्टा दिलाने की मांग को लेकर ज्ञापन और आवेदन दिए गए। लेकिन मछुआरों को पट्टा नहीं दिया गया।

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