कुशवाहा की तर्ज पर भाजपा में शामिल होकर बाहर हुए पूर्व विधायक जितेंद्र सिंह बबलू

जितेंद्र सिंह उर्फ बबलू को भाजपा से बाहर कर दिया गया। इसी तरह 2012 में बसपा से भाजपा में आए पूर्व विधानपरिषद सदस्य बाबू सिंह कुशवाहा को भी एक हफ्ते में ही बीजेपी से निकलना पड़ा था।

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Published By :  Ashiki
Update: 2021-08-10 17:05 GMT

 बाबू सिंह कुशवाहा-जितेंद्र सिंह उर्फ बबलू (Photo- Social Media)

लखनऊ: आखिरकार पूर्व विधायक जितेंद्र सिंह उर्फ बबलू (Jitendra Singh Bablu) को भाजपा से बाहर कर ही दिया गया। उम्मीद भी यही की जा रही थी। एक सप्ताह तक भाजपा (BJP) सदस्य रहने के बाद जब मीडिया में तरह तरह की चर्चाएं होने के साथ ही पार्टी के अंदर जितेंद्र सिंह बबलू का विरोध शुरू हुआ तो इस बात की संभावना बनने लगी थी कि जल्द ही पार्टी को उन्हे बाहर करना पड़ेगा। आखिकार आज भाजपा हाईकमान ने उन्हे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

बाबू सिंह कुशवाहा का भी हुआ था यही हाल

पूरे मामले की पुनरावृत्ति 2012 में बसपा से भाजपा में आए पूर्व विधानपरिषद सदस्य बाबू सिंह कुशवाहा (Babu Singh Kushwaha) की तरह ही हुई। उन्हें भी भाजपा में शामिल होने के केवल एक सप्ताह के अंदर ही पार्टी से बाहर होना पड़ा था। 2012 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में कई हजार करोड़ के घोटाले के आरोपी और मायावती सरकार में उनके करीबी मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा को भाजपा में शामिल किया गया था। उनके शामिल होते ही पार्टी के अंदर बड़ा घमासान हुआ था। उस समय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही थे।


बाबू सिंह ने स्वयं दिया था अपना इस्तीफा

दिलचस्प बात यह रही कि उस दौरान भाजपा केन्द्र और प्रदेश विपक्ष की भूमिका निभा रही थी। हैरानी तो तब हुई थी जब भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री किरीट सौमेया स्वयं केन्द्र सरकार और सीबीआई के प्रमाणों के साथ आए दिन प्रेस कांफेन्स कर कुशवाहा पर फर्जी कंपनी बनाकर करोडों की हेराफेरी के आरोप लगा रहे थे, फिर भी उन्हे तब पार्टी में शामिल किया गया था। इस पूरे प्रकरण में न तो पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को इसकी भनक लगी थी और न सुषमा स्वराज और अरूण जेटली को, लेकिन जब पार्टी के अंदर और बाहर हंगामा हुआ तो बाबू सिंह ने स्वयं अपना इस्तीफा दे दिया था। इसके पहले 2004 में भी आपराधिक छवि के पूर्व विधायक डीपी यादव को भाजपा में शामिल करने का निर्णय हुआ। तब भी शोर शराबा मचने पर केन्द्रीय हाईकमान ने डीपी यादव को पार्टी से बाहर किया गया था।

उल्लेखनीय है कि बहुजन समाज पार्टी के पूर्व विधायक जितेन्द्र सिंह बबलू पर भाजपा सांसद डा रीता बहुगुणा जोशी का घर जलाने का आरोप लगा था। यह घटना 2009 की है और प्र्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी। दरअसल, वह 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। इसके बाद तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. रीता बहुगुणा जोशी की तरफ से तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ कथित तौर पर की गयी एक अभद्र टिप्पणी के बाद उनके घर को जलाए जाने की कोशिश की गयी थी, जिसका आरोप बसपा विधायक जितेन्द्र सिंह बब्लू पिंर लगा था।


रीता बहुगुणा जोशी के घर को जलाए जाने के मामले में जितेन्द्र सिंह पर हुसैनगंज थाने में एक एफआईआर भी दर्ज हुई थी। जांच में उनका नाम सामने आने के बाद बबलू की गिरफ्तारी भी हुई थी। यहां यह बताना जरूरी है कि उस समय प्रेमप्रकाश लखनऊ के एसएसपी और हरीश कुमार एसपी पूर्वी थे।

गौर करने वाली बात यह है कि बसपा अध्यक्ष मायावती ने जितेन्द्र सिंह बबलू को पार्टी से बाहर किया था जिसके बाद वह पीस पार्टी में शामिल हो गए थें पर वहां भी वह काफी विवादों में रहे। पर सत्ताधारी दल में कुछेक नेताओं की कृपा से उनको शामिल कर लिया गया।

उनके भाजपा में शामिल होते ही पार्टी सांसद डा रीता बहुगुणा जोशी ने अपनी आपत्ति जताई। साथ ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी उनके समर्थन में आ गए। उन्होंने भी जितेंद्र सिंह बब्लू के पार्टी में शामिल होने पर अपनी गहरी नाराजगी जताई। जिसके बाद पार्टी को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसेअपना फैसला बदलना पड़ा।

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