Kalyan Singh Death Anniversary: कल्याण सिंह का राजनीतिक केंद्र रहा मिर्जापुर, बाबू जी कहकर बुलाती थी जनता

Mirzapur: मुख्यमंत्री बनने के बाद कल्याण सिंह ने मां विंध्यवासिनी मंदिर के विकास को लेकर सरकार का खजाना खोल दिया था। भाजपा के नेताओं में साथ ही जिले की जनता उन्हें बाबू जी कहकर बुलाती थी।

Report :  Brijendra Dubey
Update:2022-08-21 15:54 IST

कल्याण सिंह का राजनीतिक केंद्र रहा मिर्जापुर

Mirzapur: जिले से पूर्व मुख्यमंत्री स्व कल्याण सिंह (Former UP Chief Minister Late Kalyan Singh) का गहरा नाता है। जब कभी कल्याण सिंह संकट में होते थे तो जिले में स्थित माँ विंध्यवासिनी मंदिर (Maa Vindhyavasini Temple) में दर्शन पूजन के जरूर आते थे। मुख्यमंत्री रहते हुए भी कल्याण सिंह कई बार मिर्ज़ापुर जनपद के दौरे पर आए थे। मिर्ज़ापुर आने के बाद स्व कल्याण सिंह (Former UP Chief Minister Late Kalyan Singh) सबसे पहले मां विंध्यवासिनी का दर्शन पूजन करके आशीर्वाद लेते थे, तब कही कार्यक्रम में शामिल होते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद कल्याण सिंह (Former UP Chief Minister Late Kalyan Singh) ने मां विंध्यवासिनी मंदिर के विकास को लेकर सरकार का खजाना खोल दिया था। भाजपा के नेताओं में साथ ही जिले की जनता उन्हें बाबू जी कहकर बुलाती थी। जब कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया तो वो मां के दरबार में आकर फुट फुटकर रोये थे।

राजनैतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है मिर्ज़ापुर

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Former UP Chief Minister Late Kalyan Singh) की राजनैतिक गतिविधियों का केंद्र मिर्जापुर जिला रहा है। उत्तर प्रदेश में उस समय जब भाजपा की सरकार (BJP Government) बनी थी तो कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया था। कल्याण सिंह की कैबिनेट (Kalyan Singh Cabinet) में मिर्ज़ापुर जिले से तीन विधायक को मंत्री बनाया गया था। जिसमें वर्तमान समय में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अलावा पूर्व मंत्री सरजीत सिंह डंग व ओम प्रकाश सिंह शामिल थे। जिले के राजनैतिक जानकार बताते है कि ओम प्रकाश सिंह (Om Prakash Singh) उस समय कल्याण सिंह के सबसे करीबियों में से एक थे। कल्याण सिंह की कैबिनेट में ओम प्रकाश सिंह को सिंचाई ने साथ साथ लोक निर्माण मंत्रालय भी देकर भी रखा था, वहीं डॉ. सरजीत सिंह डंग को उन्होंने वन व पर्यावरण मंत्री बनाया था।


राजनाथ सिंह को मिली थी नकल रोकने की जिम्मेदारी

वर्तमान समय में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) को कल्याण सिंह ने नकल रोकने को लेकर जिम्मेदारी दी थी। उन दिनों उत्तर प्रदेश के स्कूलों में हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा में खुलेआम नकल होता है। इसी पर रोक लगाने के लिए कल्याण सिंह ने राजनाथ सिंह को शिक्षामंत्री बनाकर जिम्मेदारी दी, जिसके बाद पूरे प्रदेशभर की स्कूलों में परीक्षा में नकल नहीं हो पाया, जहां राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने नकलविहीन परीक्षा कराकर कल्याण की उम्मीदों पर खरा उतर गए थे। आज भी कल्याण सिंह के वक्त में परीक्षा पास हुए बच्चें खुद को गौरवांवित महसूस करते है।

राममंदिर जन्मभूमि आंदोलन में किया था जनसभा को संबोधित

वरिष्ठ पत्रकार सलिल पाण्डेय (Senior Journalist Salil Pandey) बताते है कि देशभर में जब राम जन्मभूमि को लेकर आंदोलन चल रहा था, तब कल्याण सिंह जिले में जनसभा को संबोधित करने के लिये आये थे। जुबली कॉलेज के मैदान में उन्होंने जनसभा को संबोधित किया था, जहां पूरा मैदान खचाखच भीड़ से भरा था। दूसरी बार कल्याण सिंह प्रांतीय अधिवेशन में शामिल होने के बाद राजस्थान इन्टर कॉलेज में आयोजित जनसभा में आये। इस जनसभा में जब लाल कृष्ण आडवाणी आये तो कोई हलचल नही हुआ, लेकिन जैसे ही कल्याण सिंह मंच पर आये कि भीड़ जय श्री राम के उद्घोष करने लगी। आज भी वो उद्घोष राजस्थान इंटर कॉलेज में जीवित है। एक तरीके से कह लीजिए तो कल्याण सिंह अपने उद्घोष में राजनैतिक तुकबंदी का जमकर प्रयोग करते थे, जहां उद्घोष कहानी में परिवर्तित हो जाती थी। वरिष्ठ पत्रकार सलिल पाण्डेय बताते है कि कल्याण सिंह मुख्यमंत्री रहते हुए एक पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे, जहाँ पर उन्होंने कहा कि मां विंध्यवासिनी के विकास के लिए जो होगा वो मैं करूंगा। इसी बीच जब हमने कंतित शरीफ के विकास को लेकर सवाल पूछा तो वो नाराज हो गए। बाद में उन्होंने हल्की से मुस्कान के साथ सभी को ध्यान में रखने की बात भी कही थी।

पुजारी को डीएम ने गाड़ी में नहीं दी जगह तो कर दिया तबादला

वरिष्ठ पत्रकार सलिल पाण्डेय (Senior Journalist Salil Pandey) ने बताया कि एक बार कल्याण सिंह दर्शन के मां विंध्यवासिनी मंदिर में आये हुए थे, जहां पर उन्होंने दर्शन के बाद अपने पुरोहित को पीछे की गाड़ी में बैठने को लेकर बात कही। पीछे की गाड़ी में बैठे डीएम ने उन्हें बैठने का स्थान नहीं दिया, जिसके बाद वो दूसरी गाड़ी में बैठकर अष्टभुजा पहुंचे, ऐसे में जब इस बात की जानकारी कल्याण सिंह को हुई तो उन्होंने तुरंत तात्कालीन डीएम का अन्यत्र तबादला कर दिया था। एक बार कल्याण सिंह के साथ जिले में लखनऊ की एक सभासद आई थी, जिसके बाद कल्याण सिंह काफी विवादों में घिर गए थे।

विकास की पटरी पर लौट आया मिर्जापुर

जब कल्याण सिंह मुख्यमंत्री हुआ करते थे, तब जिले में विकास को लेकर कुछ खास ध्यान नही दिया था। कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बनने के बाद जिले अनेकों विकास के कार्य कराए। कल्याण सिंह के द्वारा मिर्ज़ापुर मंडल को विंध्याचल मंडल किया गया। विध्याचल के शिवपुर में राजकीय बालिका इंटर कालेज का निर्माण कराया गया। विंध्याचल के बरतर स्थित राही यात्री निवास का निर्माण उन्हीं के कार्यकाल में कराया। विध्यधाम में 50 मीटर लंबा व 50 मीटर चौड़ा पक्का घाट का निर्माण कराया। उस समय मां विध्यवासिनी मंदिर के सुंदरीकरण के लिए 51 लाख रुपये दिया। ओझला के पास स्थित विष्णु मंदिर व कंतित स्थित नागकुंड निर्माण के लिए भी कल्याण सिंह ने रुपया दिया था। जनपद से गहरा नाता होने के साथ ही उन्होंने जनपद को विकास की पटरी पर भी लाया था।

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