Kalyan Singh: सोनभद्र से कल्याण सिंह का था खास रिश्ता, इस ऐतिहासिक फैसले के लिए हमेशा किए जाएंगे याद

Kalyan Singh: जन-जन की आस्था के केंद्र भगवान राम के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी न्यौछावर करने वाले और हिंदुत्व के प्रखर चेहरे की पहचान रखने वाले कल्याण सिंह भले ही शनिवार की रात शरीर त्याग कर अनंत लोक की यात्रा पर निकल गए हों।

Published By :  Divyanshu Rao
Update:2021-08-22 14:41 IST

Kalyan Singh: जन-जन की आस्था के केंद्र भगवान राम के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी न्यौछावर करने वाले और हिंदुत्व के प्रखर चेहरे की पहचान रखने वाले कल्याण सिंह भले ही शनिवार की रात शरीर त्याग कर अनंत लोक की यात्रा पर निकल गए हों। लेकिन सोनभद्र में निजी हाथों में गई डाला सीमेंट फैक्ट्री को वापस सरकारी नियंत्रण में लेने का ऐतिहासिक फैसला यहां के लोगों के जेहन में उन्हें सदैव जिंदा रखेगा। 

1990 के दशक में जब सूबे की कमान मुलायम सिंह ने संभाली तो घाटे में चल रही डाला सीमेंट फैक्ट्री को, घाटे की आड़ लेकर निजी हाथों में सौंपने का फैसला ले लिया। सीमेंट फैक्ट्री कर्मचारियों ने पुरजोर विरोध किया। धरना-प्रदर्शन कर भी आवाज उठाई। दो जून 1991 को रविवार का दिन था। जब डाला सीमेंट फैक्ट्री के गेट के पूरब में बसे बाजार में आसपास के गांवों के हजारों आदिवासी और ग्रामीण जरूरत का सामान खरीदने के लिये जुटे हुए थे।

धरने पर बैठे फैक्ट्री कर्मियों पर पुलिस ने गोलियां चलाई मची चीख पुकार

उसी समय दोपहर बाद 2.20 बजे धरने पर बैठे सीमेंट फैक्ट्री के कर्मियों और उनके परिवारी जनों पर पुलिस ने अपनी राइफलों का मुंह खोल दिया। गोलियों की आवाज के साथ ही पूरा बाजार चीख-पुकार से गूंज उठा। इससे जहां धरने पर बैठे सीमेंट फैक्ट्री कर्मियों में भगदड़ मच गई। वहीं बाजार जा रहे निरीह ग्रामीण भी चपेट में आ गए थे। सरकारी आंकड़ों में उस गोलीकांड में मरने वालों की संख्या नौ दर्ज है। आज भी डाला सीमेंट फैक्ट्री कर्मी और आसपास के रहवासी दो जून का दिन 'शहीद दिवस' के रूप में मनाते हैं। यहां स्थापित शहीद स्तंभ पर उस दुःख की घड़ी को याद कर शांति पाठ करते हैं।

गोलीकांड के बाद हिंदुत्व के मुद्दे ने जोर पकड़ा

इस गोलीकांड के बाद हिंदुत्व के मुद्दे पर ज़ोर पकड़ने के कारण 24 जून 1991 को कल्याण सिंह पहली बार सूबे के सीएम बने और रामलहर पर सवार भाजपा पहली बार राज्य की सत्ता में आई। लेकिन कल्याण सिंह एक साल, 165 दिन ही मुख्यमंत्री रह सके। छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचे के विध्वंस के बाद उनकी सरकार बर्खास्त कर दी गई। इसी के साथ ही उनका मुख्यमंत्री का सफर भी यहीं ब्रेक हो गया।

कल्याण सिंह की तस्वीर (फोटो:न्यूज़ट्रैक)


कल्याण सिंह ने राम मंदिर के लिए मुख्यमंत्री पद त्याग दिया

जिस तरह से उन्होंने राम मंदिर के लिए अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी न्यौछावर कर दी थी। उसी तरह उद्योगपति डालमिया के हाथों बिक चुकी डाला सीमेंट फैक्ट्री को वापस राज्य के स्वामित्व में लेकर सोनभद्र के लिए भी एक नया इतिहास रच दिया था। उसके बाद की सरकारें इस निर्णय को बरकरार नहीं रख पाई और फैक्ट्री फिर से निजी हाथों में चली गईं। सियासत वदानों के लिए भी यह मुद्दा नहीं बन पाया और फैक्ट्री निजी हाथों में जाने के बाद बेरोजगार हुए सैकड़ों परिवारों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया।

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