Kannauj News: चाइनीज दीयों और झालरों ने फीकी की कुम्हारों की दिवाली
Kannauj News: दीपावली को लेकर दुकानों पर महंगी झालरें और चाइनीज दिये दीपावली को चमकाने के लिए बाजारों में मौजूद है। वहीं इस चकाचौंध जगमगाती जिंदगी में इन चाइनीज आइटमों के आगे अब देशी मिट्टी के दीपक की बिकी पर फर्क पड़ा है।;
कन्नौज में चाइनीज दीयों ने फीकी की कुम्हारों की दिवाली (न्यूजट्रैक)
Kannauj News: जहां एक ओर दीपावली को लेकर दुकानों पर महंगी से महंगी झालरें और चाइनीज दिये दीपावली को चमकाने के लिए बाजारों में मौजूद है। तो वहीं दूसरी तरफ इस चकाचौंध जगमगाती जिंदगी में इन चाइनीज आइटमों के आगे अब देशी मिट्टी के दीपक की बिकी पर फर्क पड़ा है। चाइनीज दीपक की अच्छी डिमांड होने के कारण देशी मिट्टी के दिये बनाने वाले कुम्हारों की दीपावली फीकी पड़ने लगी है। कुम्हारों का कहना है कि जो आमदनी उनको पहले होती थी। आज वह आमदनी भी नहीं हो रही है और मिट्टी भी अब आसानी से उपलब्ध नहीं होती है। जिसकी वजह से दीपावली का त्योहार उनके लिए अब फीका होता चला जा रहा है।
दीवाली की तैयारी में जुटे लोग
बताते चलें कि 12 नवंबर को दीपावली का पर्व है। इस पर्व की तैयारियों को लेकर सभी लोग जुटे हुए है। घरों में साफ-सफाई और रंग-रोगन का कार्य हो रहा है तो दुकानों पर भी दीपावली की धूम देखी जा सकती है। ऐसे में दीपावली को जगमगाने वाले मिट्टी के दीपक को लेकर आज के इस दौर में लोग पुरानी परम्परा को भूलते जा रहे है। मिट्टी के दीपक की जगह आजकल लोग मोमबत्ती और चाइनीज दीये का इस्तेमाल करने लगे है। इसके साथ ही लोग घरों को सजाने के लिए चाइनीज झालरों का भी उपयोग कर रहे है। जिसको लेकर मिट्टी के देशी दीपक बनाने वाले कुम्हार के चाक का जादू खत्म होता जा रहा हैॉ जिससे कुम्हार को भविष्य की चिंता भी सताने लगी है।
दूसरों के घर में उजाला करने वाला आज खुद अंधेरे में
अपने हाथों की कारीगरी के जरिये चाक पर गीली मिट्टी से तरह-तरह के दीपक व दीपावली में पूजन के समय काम आने वाले गोरी डब्बे बनाने वाले कुम्हार बेचेलाल प्रजापति ने कहा कि अब चाइनीज आइटमों ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। जिससे उनका व्यापार दिनों-दिन कम होता जा रहा है। ऐसे में खुद दीपावली में महंगाई होने के कारण वह स्वयं दीपक तक नहीं जला पाते है। त्योहार में खर्चे ज्यादा और व्यापार कम होता है। इस करण परिवार को भी देखना पड़ता है। जिससे उनको परेशानी का भी सामना करना पड़ता है।
कुम्हारों को होती है मिट्टी मिलने की परेशानी
धीरे-धीरे तालाब भी शहरों में समाप्त होते जा रहे है। जिससे कुम्हारों के चाक पर उपयोग होने वाली मिट्टी भी अब आसानी से उपलब्ध नहीं होती है। जो लोग मिट्टी का ठेका भी लिए है। ऐसे ठेकेदार भी मिट्टी के मुह मांगे दाम लेते है। जिससे कभी-कभी लागत के अनुसार भी कमाई नहीं हो पाती है। मकरंद नगर रोड पर चिरैयागंज के रहने वाले कुम्हार रामशंकर प्रजापति का कहना है कि मिट्टी अब हम लोगों को आसानी से उपलब्ध नही होती है। पहले तो हम लोग खुद ही मिट्टी ले आते थे और अपने यहां जमा कर लेते थे। जिसका समय आने पर उपयोग करते रहते थे लेकिन अब मिट्टी खनन पर रोक लगने के कारण मिट्टी भी मिलना मुश्किल हो गया है और तालाब भी शहरों में नही रहे है। हर जगह मकान बन गये है प्लाटिंग हो गयी है। इस कारण मिट्टी की समस्या उपत्पन्न हो जाती है। दूर-दूर से मिट्टी मंगानी पड़ती है।
मिट्टी के दीपक की जगह चाइनीज दीयों की होती है अधिक बिक्री
मिट्टी के दीपक की बिक्री करने वाले लोगों की मानें तो पहले की अपेक्षा उनकी दुकानदारी दिनों दिन कम होती जा रही है। जिसकी खास वजह मार्केट में चाइनीज दीपक आना है। बाजारों में अलग-अलग डिजाइनों में चमकदार और देखने में सुंदर होने के कारण लोग आज कल चाइनीज दीपकों की खरीद्दारी करने लगे है। केवल पूजन के लिए ही मिट्टी के कुछ दीपक खरीदकर ले जाते है।
बड़ा बाजार में मिट्टी के दीपक की दुकान लगाये राजकुमार प्रजापति ने बताया कि हर साल बिक्री पर फर्क पड़ता जा रहा है। पहले लोग घरों में हजारों की संख्या में मिट्टी के दीपक ले जाते थेॉ जिससे पूरे घर और छतों पर भी दीपक जलाकर रखते थे। लेकिन अब लोग चाइनीज दीपक और झालरों का इस्तेमाल कर रहे है। बेंचेलाल प्रजापति का कहना है कि चाइना आइटम बिकता है इससे हम लोगों को परेशानी होती है जिससे बहुत नुकसान हम लोगों को होता है। चाइना से यह नुकसान होता है कि यह मिट्टी वाले दीपक नही बिकते है और चाइना की लाइट लगने से आंखों की रोशनी भी खराब होती है।