Kanpur News: मिट्टी में खेलने वाला बच्चा बन गया मूर्ति कलाकार, आज बच्चों को सिखा रहा कला, विदेशों में भी जाती हैं मूर्तियां
Kanpur News: स्वतंत्र कुमार मालवीय को लोग आजाद मूर्ति कार के नाम से जानते है। इस मूर्ति कलाकार के पास लोग मूर्ति खरीदने ही नहीं मूर्ति बनाने की कला को सीखने आते है।
Kanpur News: पढ़ने की उम्र में पढ़ाई के साथ मिट्टी में खेल एक बच्चा मूर्ति कलाकार बन गया। ऐसा ही कुछ बर्रा में रहने वाले मूर्ति कलाकार की कहानी है। इस मूर्ति कलाकार के पास लोग मूर्ति खरीदने ही नहीं मूर्ति बनाने की कला को सीखने आते है। नाम है आजाद मूर्तिकार। वैसे इनकी पढ़ाई लिखाई में नाम स्वतंत्र कुमार मालवीय है।
मूलरूप से प्रयागराज के रहने वाले है आजाद
स्वतंत्र कुमार मालवीय को लोग आजाद मूर्ति कार के नाम से जानते है। पिता सिंचाई विभाग में थे। बीते वर्ष पिता की मृत्यु हो गई। आजाद चार भाईयों और दो बहनों में सबसे छोटे है। आजाद का मन पढ़ाई में न लगकर खेलने में रहता था। बचपन में पढ़ाई के साथ घर के बाहर मिट्टी में खेला करते थे। मिट्ठी के खिलौने बनाया करते थे। जैसे जैसे आजाद बड़े होते गए तो पढ़ने की रुचि के साथ साथ वह चित्रकला में माहिर हो गए। आज आजाद एक मूर्ति कार बन गए।
संघर्ष कर बनाया अपना नाम व काम
आजाद ने बताया कि परिवार बड़ा था। पिता के वेतन से परिवार का खर्चा नहीं चल पाता था। जब मैं 14 वर्ष की आयु में स्कूल पढ़ने जाता था तो रास्ते में साकेत नगर स्थित रोड किनारे लोग मूर्ति बनाकर बेचते थे। मैं वहीं रुक कर मिट्ठी से बन रही मूर्ति को देखने लगता था। फिर घर आकर छत पर मिट्ठी की मूर्ति बनाता था। कुछ माह बीत जानें के बाद मैं स्कूल की छुट्टी होने के बाद में वहीं मूर्ति बनाने लगता था। जब धीरे धीरे मैं मूर्ति बनाना सीख गया तो मुझको वहां से कुछ खर्चा मिलने लगा। फिर मैं पढ़ाई के साथ साथ यह कार्य करने लगा। मैं खुद मूर्ति बनाकर बेचने लगा। मेरी कमाई से मेरी पढ़ाई व मेरा खर्चा निकलने लगा। और आज हमको लोग आजाद मूर्तिकार के नाम से जानते है। बड़ा कारोबार बना दिया।
20 वर्षों से बनाकर बेच रहे मूर्ति
आजाद ने बताया कि 20 वर्षों से मिट्ठी की मूर्ति बनाकर बेच रहे है। इनके पास लोग देश विदेश से भी मूर्ति का ऑर्डर करते है। और कानपुर शहर से करीब 1000 किलोमीटर दूरी से लोग मूर्ति लेने आते है। गणेश चतुर्थी व नवरात्र में मूर्ति बनाने के अलावा भी पूरे वर्ष ऑर्डर पर मूर्ति बनाते हैं। हाल में ही गणेश कोतवाल की मूर्ति बनाई थी। जो शहर में चर्चा का केन्द्र रही थी। आजाद ने बताया कि इस नवरात्र में मूर्ति की कीमत 2100 से लेकर 50000 रुपए तक का ऑर्डर मिला है।
युनिवर्सिटी के स्टूडेंट को सीखा रहे कला
मूर्ति की कला व पेंटिग को सीखने के लिए यूनिवर्सिटी के आर्ट स्टूडेंट और एनजीओ के आर्ट स्टूडेंट को यह कला सीखा रहे है। और इसका कोई शुक्ल भी नहीं ले रहे है। वहीं आजाद का इन स्टूडेंट से कहना है कि जो आप शुल्क हमको देंगे वह पैसा आप गरीब बच्चों में बांट देना। क्योंकि मैंने गरीबी देखी है। आज उस गरीबी से मैं बाहर निकल कर आया हूं।
खड़ा किया बड़ा कारोबार
14 वर्ष की आयु से काम करने के बाद आजाद ने धीरे धीरे अपना काम बढ़ाया। आजाद ने अकेले कुछ वर्षों तक खुद अकेले काम किया। वहीं साकेत नगर रोड किनारे अपना व्यापार बनाया। कभी कभी रोड किनारे मूर्ति बनाने के दौरान त्योहार पर अतिक्रमण वाले आ जाते थे। जिससे काम में नुकसान हो जाता था। इसको देख बर्रा में एक किराए का मकान लिया। जिसमें बीते करीब 8 वर्षों से अपना काम कर रहे है। आजाद ने बताया कि आज मेरे पास करीब एक दर्जन कारीगर है।
आजाद ने बना डाली है तीन लाख प्रतिमाएं
आज़ाद ने अभी तक गणेश प्रतिमा और नवरात्र दुर्गा पूजा की क़रीब तीन लाख प्रतिमाएं बना दी हैं। इसमें इनके साथ बंगाल के कारीगर भी साथ देते हैं। इनकी प्रतिमा साउथ अफ्रीका तक जहाज के माध्यम से गई है। सबसे पहले आजाद ने ढाई फिट की मूर्ति बनाई थी। जो बर्रा में दूर्गा पूजा के दौरान रख पूजा अर्चना की गई थी।