UP: महिला काजी बोलीं- जब साथ भोजन करना नाजायज है, तो हज साथ क्यों जाते

Update: 2018-02-16 12:25 GMT
UP: महिला काजी बोलीं- जब साथ भोजन करना नाजायज है, तो हज साथ क्यों जाते

कानपुर: बरेली की स्थित प्रसिद्ध दरगाह से एक फ़तवा जारी हुआ जिसमें कहा गया था, कि शादी समारोह व जलसों के मौके पर मर्द और औरतों का साथ में खाना नाजायज है। इस फतवे का अब मुस्लिम समाज के ही लोग विरोध में आ गए। शिया महिला शहर काजी ने इस फतवे का जवाब देते हुए कहा, कि 'जब हम साथ में हज करने जा सकते हैं, तो खाना क्यों नहीं खा सकते?'

शिया महिला शहर काजी डॉ. हिना जहीर ने कहा, कि 'यह मामला जब सामने आया, इसमें जो मसला पूछा गया था कि क्या ऐसी शादी जहां पर डीजे बज रहा हो संगीत बज रहा हो, वहां मर्द और औरत खाना साथ में खा रहे रहे है, तो क्या यह इस्लाम में जायज है? अब इसका एक पहलू तो उजागर किया और दूसरा पहलू छोड़ दिया गया।'

डॉ. हिना जहीर कहती हैं, सवाल यह है कि मुसलमानों की शादी में अगर संगीत हराम है तो कोई भी ऐसी शादी जहां उलेमा या बड़े शादी में जाते हैं और वहां म्यूजिक का इंतजाम है तो वह वहां निकाह पढ़ाने से मना कर दें।

साथ-साथ नमाज पढ़ सकते हैं तो...

दूसरा पहलू जो उजागर हुआ वो ये है कि क्या मर्द और औरत साथ खाना खा सकते हैं? अब यह बहुत ही संवेदनशील मसला है। यहां हराम और हलाल कहकर अपने दामन नहीं बचा सकते। उन्होंने कहा, कि 'अल्लाह मर्दों को यह तो नहीं कह रहे हैं कि कानेकाबा के हरम में एक तरफ दीवार खड़ी करें, जिसमें एक तरफ मर्द हज करेंगे और दूसरी तरफ महिलाएं। जब हम साथ-साथ नमाज पढ़ सकते हैं तो साथ खाना क्यों नहीं खा सकते।'

...तो क्यों नहीं उठ जाते पैनल से

उन्होंने कहा, कि 'औरत यदि पूरे हिजाब में है तो कोई हर्ज नहीं, चाहे खाना साथ खा रहे हैं या नहीं। एक-दूसरे पर यदि आप दूर से भी नजर डालते हैं तो आपके लिए हराम है। उलेमा जब पैनल पर आकर डिस्कशन करते हैं वहां औरतें भी होती है तब उन्होंने कभी इस बात पर ऐतराज नहीं किया कि हम यहां नहीं बैठेंगे। जिस तरह कोई चीज महिलाओं के लिए हराम है, उसी तरह मर्दों के लिए भी हराम है।'

आखिर यह कौन सा इस्लाम फैला रहे हैं?

उन्होंने कहा, कि आपकी नजर साफ-सुथरी होनी चाहिए। औरतों को भी पूरा हिजाब रखना चाहिए। जब आप हज करने जाते हैं तो वहां साथ में खाने का इंतजाम नहीं होता है। आखिर यह कौन सा इस्लाम फैला रहे हैं? डॉ. हिना जहीर ने सवाल किया जो उलेमा इस तरह के फतवे जारी कर रहे हैं क्या वो ये जिम्मेदारी लेंगे?

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