Sonbhadra News: यूपी-एमपी से जुड़े मिले कोलकाता कोल स्कैम के तार, बंगाल में चल रही पूछताछ में कई नए खुलासे

Sonbhadra News: कोलकाता में सामने आए कोल स्कैम के तार, जहां यूपी-एमपी तक जुड़े होने के बाद इसमें गोदावरी कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड का नाम सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है।

Update:2022-08-08 20:50 IST

सोनभद्र: यूपी-एमपी से जुड़े मिले कोलकाता कोल स्कैम के तार

Sonbhadra News: बंगाल में शिक्षक भर्ती के घोटाले (teacher recruitment scam) में वहां के मंत्री पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) और उनकी करीबी आरती की गिरफ्तारी के दौरान ईडी की पूछताछ में कोयले की काली कमाई को सफेद करने का कथित खेल सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। कोलकाता में सामने आए कोल स्कैम (coal scam) के तार, जहां यूपी-एमपी तक जुड़े होने की बात सामने आने लगी है। वहीं इसमें गोदावरी कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड का नाम सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है।

कोल ट्रेडिंग के खेल से जुड़ी है पूरी कहानी

बताते चलें कि ईडी की पूछताछ में अर्पिता मुखर्जी को अनंत टैक्स फैब प्राइवेट लिमिटेड का सौ प्रतिशत शेयरधारक होने की बात सामने आई है। वहीं सूत्रों के मुताबिक अनंत टैक्स फैब कंपनी के निदेशक मृण्मय मालाकार से पूछताछ में ईडी को जो जानकारी मिली हैं, उससे कोल स्कैम का बडा सिंडीकेट सामने आया है। मृण्मय की तरफ से ईडी को बताया गया है कि उनकी कंपनी कोल ट्रेडिंग का काम करती है। इसके लिए विभिन्न कोल खदानों से निलामी में कोयला खरीदते हैं और उसे बेचकर मुनाफा कमाते हैं।

बताया जा रहा है कि मृण्मय ने जहां 17 वर्ष तक गोदावरी कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में काम करने की बात स्वीकार की। वहीं यह भी बताया कि उनकी कंपनी से जुड़े मनोज जैन के संबंध सीधे गोदावरी कमोडिटीज के मालिकों से जुड़े हुए हैं। ईडी को पूछताछ में ब्यू हाइट्स प्राइवेट लिमिटेड नामक शेल कंपनी का भी पता चला है, जिसके निदेशक देबाशीष देवनाथ बताए जा रहे हैं।

सूत्रों की मानें तो देवनाथ ने भी ईडी को पूछताछ में बताया है कि वह मनोज जैन के लिए काम करते हैं और वह गोदावरी कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड के साथ भी काम कर चुके हैं। बता दें कि कोयले की खरीद-आपूर्ति में गोदावरी कंपनी की गतिविधियां यूपी के सोनभद्र और एमपी के सिंगरौली में भी बनी हुई हैं। इसको देखते हुए माना जा रहा है कि, किसी भी दिन ईडी की टीम यहां भी कोल स्कैम का तार खंगालने धमक सकती है। वहीं शेल कंपनी एक ऐसी कंपनी होती है, जिसका ज्यादातर कारोबार कागजों पर ही संचालित होता है।



अवैध भंडारण पकड़े जाने के बाद ही शुरू हो गई थी चर्चाएं

बता दें कि जुलाई के आखिरी सप्ताह में जिला प्रशासन की छापेमारी में कृष्णशला रेलवे साइडिंग पर मिले लगभग दस मिलियन टन कोयले के अवैध भंडारण के बाद जहां यूपी-एमपी से लेकर कोलकाता तक कोल स्कैम सिंडीकेट की जड़़ें फैले होने की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। वहीं झारखंड के बरकाकाना रेलवे साइडिंग से कृष्णशिला और सिंगरौली के बरगवां कोल साइडिंग तक रिजेक्टेड कोयला लाकर, उसे कोयले में मिला परियोजनाओं को दी जाने वाली आपूर्ति के खेल में कोलकाता की गोदावरी कमोडिटीज का नाम भी तेजी से चर्चा में आया था। इस दौरान चार दिन तक कृष्णशिला रेलवे साइडिंग पर रिजेक्टेड कोल से भरी रैक खड़ी रहने और रेलवे की सख्ती के बाद उसकी अनलोडिंग में भी गोदावरी कंपनी से ही जुड़े लोग सामने आए थे।

हर माह आ रही थी 15 से 20 रिजेक्टेड कोल की रैक

रिजेक्टेड कोल रैक का खेल दो-चार माह नहीं बल्कि 2018 से खेला जा रहा था। इस बात की जानकारी जहां पिछले दिनों एनसीएल के सीएमडी भेाला सिंह के कृष्णशिला रेलवे साइडिंग के दौरे और पूर्व मध्य रेलवे के जीएम आशुतोष कुमार के दौरे के दौरान सामने आई थीं। वहीं रिजेक्टेड कोल की हकीकत क्या है? इसकी जांच के लिए सैंपल भी उठाए गए थे।

इसका परिणाम क्या आया, यह तो नहीं पता लेकिन औसतन पांच से आठ हजार टन प्रति रैक आना वाला कोयला आखिर खप कहां रहा था? यह बड़ा सवाल बन गया है। किए जा रहे दावों पर ध्यान दें तो हर माह सोनभद्र और सिंगरौली में लगभग एक लाख 20 हजार टन रिजेक्टेड कोयला लाया जा रहा था और इसे परियोजनाओं को जाने वाली आपूर्ति में मिलाकर, आसान से खप दिया जा रहा था। वहीं इसकी जगह बचे कोयले को स्थानीय सिंडीकेट के जरिए कोयला मंडी एवं अन्य जगहों पर भेजकर दोगुना से तिगुना मुनाफा कमाने का खेल धड़ल्ले से जारी था।

अर्थव्यवस्था को प्रतिमाह 35 से 36 करोड़ की लग रही थी चपत

अगर 1.20 लाख टन रिजेक्टेड कोयले को लोकर खपाए जाने के दावे को सच मानें तो सोनभद्र और सिंगरौली से विभिन्न बिजली परियोजनाओं को जाने वाली आपूर्ति से बिजलीघरों यानी सरकारी अर्थव्यवस्था को प्रति माह 35 से 36 करोड़ की सीधी चपत लग रही थी। मिलावट के जरिए मुनाफाखोरी के खेल की मौजूदा स्थिति क्या है? यह तो नहीं मालूम। अलबत्ता इसको लेकर चर्चाएं बनी हुई हैं। बता दें कि बिजली परियोजनाओं को जहां लगभग तीन हजार टन की दर से कोयला मिलता है। वहीं बाजार में अच्छे क्वालिटी की कीमत छह हजार से आठ हजार प्रति टन के लगभग है।

Tags:    

Similar News