कुम्भ सप्तरंगी इन्द्रधनुष है जो सम्पूर्ण विश्व को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है: नायडू
देवभक्ति से पहले देशभक्ति का संदेश देते हुए इस आध्यात्मिक कार्यक्रम की शुरूआत राष्ट्रगान के साथ हुई तथा पुलवामा में शहीद हुये भारत के वीर जवानों को श्रद्धाजंलि अर्पित की।
उत्तरप्रदेश के राज्यपाल राम नाईक एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया सहभाग
आशीष पाण्डेय
कुम्भ नगर: तीर्थराज प्रयाग के कुम्भ नगर में अरैल क्षेत्र सेक्टर 18 परमार्थ निकेतन शिविर में आयोजित कीवा फेस्टिवल का भव्य महोत्सव मनाया गया। जिसमें मुख्य अतिथि भारत के उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू तथा उत्तरप्रदेश के राज्यपाल राम नाईक , मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अन्य विशिष्ट अतिथियों और विश्व के 42 देशों से आये आदिवासी, जनजाति और आदिम जाति के लोगों ने सहभाग किया। सभी विशिष्ट अतिथियों ने श्रद्धांजलि, शान्ति और शक्ति हेतु किये जा रहे हवन में आहुतियां प्रदान की। परमार्थ निकेतन में किये जा रहे शादी को ना और पढ़ाई को हां कैम्पेन की दीवार पर उपराष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया।
भारत के उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू , उत्तरप्रदेश राज्यपाल राम नाईक , मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ , चिदानन्द सरस्वती , कैबिनेट मंत्री नंद कुमार नंदी , कथाकार मुरलीधर , डॉ साध्वी भगवती सरस्वती , जर्मनी एवं कोलम्बिया से आये स्वामी परमाद्वैती , निदेशक ज्रूट आफ द अर्थ हेरीबेरतो ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती ने सभी अतिथियों का अभिनन्दन एवं स्वागत करते हुये कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी। देवभक्ति से पहले देशभक्ति का संदेश देते हुए इस आध्यात्मिक कार्यक्रम की शुरूआत राष्ट्रगान के साथ हुई तथा पुलवामा में शहीद हुये भारत के वीर जवानों को श्रद्धाजंलि अर्पित की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा, हम आज संगम के तट पर अदृभुत संगम देख रहे है, हम सभी संगम के तट पर एक हो रहे है, संगम में डुबकी लगा रहे हैं। साथ ही यहां से सरलता, सात्विकता और शुद्धता का संदेश लेकर जायेंगे। आज पूरे विश्व को समन्वय का संगम और सर्व समावेशी का संगम की आवश्यकता है।
उन्होने कहा कि आज हम संगम के तट पर वास्तव में वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश साकार होते देख रहे हैं। संगम के तट पर एक अद्भुत संगम देख रहे है। विश्व की विभिन्न संस्कृतियों के मिलन को देख रहे हैं। यही तो हमारी सनातन संस्कृति है जो हमें विभिन्नता में एकता का संदेश देती है। संगम का तट भी आज यही संदेश दे रहा है वास्तव में यह अद्भुत और अवर्णनीय दृश्य है। डॉ साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा, हम प्रयागराज में पवित्र नदियों के संगम के तट पर विश्व की विभिन्न संस्कृतियों, रंगों, पंथों का अद्भुत संगम देख रहे है। यह प्रार्थना का एक दिव्य संगम है, लोग यहां पर
मानवता, हमारे जलस्रोत्रों, प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए एकत्र हुए है। उन्होने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार वर्ष 2030 तक भारत के पास पीने हेतु जितना पानी है। उसका केवल आधा ही हिस्सा बचा होगा। अतः हमें प्रार्थना के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के लिये एक साथ आना होगा तभी हम अपने कल और भविष्य को सुनिश्चित कर सकते है।
वास्तव के कुम्भ मेला के अवसर पर कीवा फेस्टिवल का आयोजन एक ऐतिहासिक कार्यक्रम है। जिसके माध्यम से दुनिया की विभिन्न संस्कृतियों का संगम हो रहा है। यह प्रयाग की धरती पर संस्कृतियों का अद्भुत संगम है। जिसमें इजरायल में रहने वाले चेरोकी, पेरू से आने वाले कैकेटाइबो, इस्कोहनुया, मैसिगेन्का, बोलिविया से अयमर्स, आस्रोगोत्स, मरकॉमनिक्स, फैंक्स वंडल्स, जर्मनी से नवाजो, चेरोकी अमेरिका से अट्रेबट्स, बेलगैस एवं यू. के. से कान्तरि असिस एवं नवाजो जनजातीय समुदाय के लोग तथा सुदूर उत्तर भारत में रहने वाले खासी और गारो जनजातीय समुदाय के लोग मिलकर अपनी संस्कृतियों के आदान-प्रदान के साथ नदियों, जलस्रोत और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं।
कुंभ एक इन्द्रधनुष की तरह है जहां सभी जाति, धर्मों का संगम है: नायडू
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति एक इन्द्रधनुष की तरह है जिसमें अनेक, जाति, धर्म एवं संप्रदायों व भाषाओं का समावेश है। भारतीय परम्पराओं, यहां की संस्कृतियों को देखने के लिए आज पूरा विश्व टकटकी
लगाए हैं और यह सब हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ के अथक प्रयासों का परिणाम हैं और उन्होंने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष चिदानन्द सरस्वती को भारतीय
संस्कृति एवं धरोहरों के प्रचार के लिए ना ना प्रकार के किए जा रहे आयोजनों के लिए शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा" एकम सत विप्रा बहुधा वदन्ति, अर्थात सत्य एक है लेकिन हम कई नामों से बुलाते हैं और यही कुम्भ की दिव्यता है और भव्यता है।
परमार्थ निकेतन से बह रही ज्ञान की गंगा: नाइक
राज्यपाल राम नाइक ने कहा कि परमार्थ निकेतन में ज्ञान की गंगा बह रही है और यहां से विदेशों तक भारतीय संस्कृति और आध्यात्म की ज्योति जलाई जा रही है जो अत्यन्त सराहनीय है और कुम्भ में योग और संस्कृति के संगम का दृश्य दिखाने एवं जनमानस को इसके प्रति जागरूक करने के लिए मैं बधाई देता हूं। कीवा फेस्टिवल में आये विश्व के 42 देशों से आये जनजाति लीडर्स को उपराष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया। हेरिबेतरो विलेसेनर, ज्रूट्स आफ अर्थ, चिली, कोलंबिया, आस्ट्रिया, पेरू और हॉलैंड के निदेशक है। नूबिया रोड्रिगेज, रूट आफ अर्थ की संस्थापक, अबुइला टोनाल्मिटल, मैक्सिकन आध्यात्मिक नेता, टाटा गोरीला, एल्डर टोल्टेका जनजाति, चेरिल एंजल, जल संरक्षण हेतु अद्भुत कार्य मारिया हुइनिनुर, गायक, मार्टिना मामानी, प्राचीन ऐडियन परम्परा ,तैता जूलियो मुनोज़, माराकामे अल्फोंस गोंजालेज, लोरेंजो सेउनी इजक्विएर्डो अर्रोयो शर्ली क्रेनेक, द क्रेनाक लोग, ब्राज़ील ताइता उल्लपु, द ओल्ड विसिस नेशन, राउल कैसिलस गुटीरेज़ मारिया लुइसा, इवान कोन्युकर, फिलिप केल्टिक, लियोनार्डो डुर्टे ,मिशेल वृंदा देवी, जुआन कार्लोस, अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में आये विख्यात योगाचार्यो को सम्मानित किया।
भारत, अर्जेन्टीना, अफ़गानिस्तान, बोलीविया, ब्राजील, बुल्गारिया, कनाडा, चिली, कोलम्बिया, चेक गणराज्य, इक्वेडोर, इंग्लैंड, फ्रांस, जमर्नी, ग्रीस, हॉलैंड, इजरायल, इरान, इटली, मैक्सिको, नीदरलैंड, नेपाल, नार्वे, पेरू, परागुआ, पोलैंड, पुर्तगाल, रूस, स्पेन, श्रीलंका, स्विट्जरलैण्ड, टर्की, अमेरिका, यूके, वेनेजुएला और विश्व के अन्य देशो से आये श्रद्धालुओं ने भी सहभाग किया।