कुशीनगर हादसा: एक साथ जलती तेरह चितायें देख नदी भी रोयी, घाट भी रोया

कुशीनगर में शादी समारोह के दौरान कुएं का स्लैब टूटने से एक बड़ा हादसा हो गया। कुशीनगर के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र में हुए इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गयी है।

Published By :  Bishwajeet Kumar
Written By :  Mohan Suryavanshi
Update: 2022-02-17 10:24 GMT

कुशीनगर हादसे में मृतकों का अंतिम संस्कार 

कुशीनगर। जनपद के नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के नौरंगिया गांव में वैवाहिक कार्यक्रम की रस्म मटकोर अदा करते समय हुए हादसे में 13 लोगों की मौत हुई। मरने वालों में महिलाएं किशोरियों और बच्चियां थी। गुरुवार को दोपहर बाद गंडक नदी( नारायणी) के पनियहवा घाट पर तेरह चितायें एक साथ चली तो घाट पर गए सभी लोग रोने लगे वहीं नदी के में अस्थि प्रवाहित होने पर नदी भी विलख उठी।

बुधवार रात्रि जनपद के नौरंगिया गांव में मटकोर रस्म कुए के निकट हो रहा था। कुएं की जगत और स्लैब पर लगभग दो दर्जन से अधिक महिलाएं और बच्चियां रस्म को देख रही थी। इसी बीच अचानक स्लैब भहरा गया और कुएं में 23 लोग गिर गए।

स्थानीय लोगों और पुलिस की मदद से लोगों को कुएं से बाहर निकाला गया उन सब को जिला अस्पताल लाया गया जहां चिकित्सकों ने परीक्षण उपरांत 13 को मृत घोषित कर दिया। जिला अस्पताल के मर्चरी हाउस में इन शवो को रखा गया। इन्हीं लोगों का आज का अंतिम संस्कार हुआ है। गांव में परिजनों के रुदन से सन्नाटा छाया हुआ है। जो भी नात रिश्तेदार पूछताछ करने आ रहे हैं उनकी भी आंखों से आंसुओं की धारा बह जा रही है।

चिकित्सा व्यवस्था पर उठा सवालिया निशान

जनपद के नौरंगिया थाना क्षेत्र के नौरंगिया गांव में मटीकोड़ रस्म के दौरान हुए हादसे में स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल कर रख दी है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय से एंबुलेंस आ गई होती तो कई की जान बच गई होती। ग्रामीणो द्वारा फोन करने के लगभग ढाई घंटे बाद एंबुलेंस पहुंची। हादसे में शिकार लोगों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटवा ले जाने के बाद वहां भी किसी जिम्मेदार डॉक्टर का न मिलना चिकित्सा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।

नौरंगिया गांव के स्कूल टोला के ग्रामीणों ने बताया कि हादसे के बाद रात में 9:15 से लगातार एंबुलेंस को फोन किया गया लेकिन एंबुलेंस रात्रि 11:00 के बाद आया। जब ग्रामीण येन केन प्रकरण घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोटवा लेकर पहुंचे तो वहां इमरजेंसी में कोई चिकित्सक नहीं था।

ग्रामीणों ने बताया कि वहां कार्यरत कुछ कर्मचारी अटपटा सवाल कर इलाज नहीं करना चाह रहे थे। यदि वहां भी सही से फर्स्ट इलाज मिल गया होता तो कई की जान बच गई होती। एक ग्रामीण ने बताया कि पुलिस के गाड़ी से जिला अस्पताल ले गये जिसमे तीन लड़कियों की सांसे चल रही थी। लेकिन जिला अस्पताल में भी चिकित्सको ने सीरियस नही लिया जिसके चलते दम तोड़ दी।

गुस्साए ग्रामीणों ने किया चक्का जाम

नौरंगिया के हादसे में चिकित्सा विभाग की लापरवाही पर नाराज ग्रामीण एवं परिजनों ने गुरुवार को नेशनल हाईवे 28 बी को जाम कर दिया। ग्रामीण एंबुलेंस सेवा के जिम्मेदारों और लापरवाह चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। जाम की जानकारी मिलने पर स्थानीय सांसद विजय कुमार दुबे मौके पर पहुंचकर परिजनों को समझा-बुझाकर गुस्सा शांत कराया और तब जाकर जाम खत्म हुआ।

बहादुर बेटी ने उतार दिया दूध का कर्ज कुशीनगर जनपद के नौरंगिया हादसे में मरने वालों में 13 लोगो में उसी गांव की बहादुर बेटी पूजा भी थी। जिसने अपनी मां सहित पांच लोगों की जान बचायी। लेकिन छठवे को बचाने में जिंदगी हार गई। जिंदगी हारती हुए भी पूजा ने मां के दूध का कर्ज अदा कर दिया। आर्मी मैन बलवंत यादव की 21 वर्षीय पुत्री पूजा बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और आर्मी में भर्ती होने के लिए तैयारी कर रही थी।

घटना के बाद पूजा पर लोगों की बचाने का धुन सवार हो गया पूजा ने 5 लोगों की जान बचा दी थी लेकिन छठवीं के बचाने में संतुलन खो दिया और काल के गाल में समा गई। आज इस बहादुर बेटी को लाल चुनरी के साथ अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही है।

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