लखीमपुर खीरी हिंसा: आशीष मिश्र की जमानत रद्द याचिका पर सुनवाई, SC ने सुरक्षित रखा फैसला

Lakhimpur Kheri Violence: आशीष मिश्र ने गाड़ी द्वारा किसानों को कुचलकर मारने के बाद भड़की हिंसा में 4 किसानों सहित कुल 8 लोगों की मौत हो गई थी।

Written By :  Rajat Verma
Published By :  Monika
Update:2022-04-04 13:51 IST

आशीष मिश्र की जमानत रद्द याचिका पर सुनवाई (photo : social media )

Lakhimpur Kheri violence: लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri violence)  मामले में किसानों को गाड़ी से रौंदकर मारने के मामले में मुख्य अभियुक्त केंद्र गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्र (Ashish Mishra) की जमानत रद्द करने की याचिका के तहत सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में सुनवाई आयोजित हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मौके पर दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जमानत के फैसले को सुरक्षित रख लिया है।

आपको बता दें कि बीते 3 अक्टूबर 2021 को लखिमपुर के तिकुनिया में आयोजित भाजपा की सभा के दौरान आरोपी मंत्री के बेटे की गाड़ी द्वारा किसानों को कुचलकर मारने के बाद भड़की हिंसा में 4 किसानों सहित कुल 8 लोगों की मौत हो गई थी। मामले में अभियुक्त आशीष मिश्र को इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा जमानत दी गई है तथा आशीष को जमानत मिलने के बाद याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में आशीष मिश्र को मुख्य किसानों की हत्या मामले में मुख्य अभियुक्त बताया है। एसआईटी ने अपनी 5000 पन्नों की दाखिल रिपोर्ट में यह दावा भी किया है कि आशीष मिश्र घटना स्थल पर मौजूद था। इसके बाद आशीष को हिरासत में लिया गया था, जिसके तहत इलाहाबाद हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई करते है न्यायालय ने आशीष को जमानत दे दी।

मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित

फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एक कमेटी इसकी जांच कर रही है। कमेटी द्वारा सुप्रीम कोर्ट को हाल ही में एक रिपोर्ट सौंपी गई है। जिसमें यूपी एसआईटी द्वारा की गई जांच और कार्यवाही का ज़िक्र है।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है प्रदेश सरकार द्वारा गठित एसआईटी ने आशीष मिश्र की जमानत रद्द करने वाली याचिका को दायर करने के लिए दो बार सिफारिश की थी। आपको बता दें कि हाई कोर्ट से आशीष को जमानत मिलने के बाद याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय की ओर रूख किया है।

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