इलाहाबाद: केंद्रीय कानून मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने संक्षिप्त पत्रकार वार्ता में कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हाईकोर्ट में नियुक्ति के लिए लाए गए कानून राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को सुप्रीम कोर्ट ने रद कर दिया है। कोर्ट को न्यायिक पुनर्विलोकन का अधिकार प्राप्त है।
कानून मंत्री ने कहा कि देश के विभिन्न हाईकोर्टों में रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए लागू पुरानी प्रक्रिया के तहत काम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से सहमति बन गई है। वे इलाहाबाद हाईकोर्ट के 150वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे।
पुरानी पद्धति से की जा रही जजों की नियुक्ति
सदानंद गौड़ ने कहा कि देश के विभिन्न हाईकोर्टों में 150 जजों की नियुक्ति के लिए नाम आ चुके हैं जिस पर नियुक्ति का काम चल रहा है। 89 युक्त जजों को स्थाई जज के रूप में नियुक्त करने की भी प्रक्रिया पुरानी पद्धति से की जा रही है।
राज्यों और कानूनविदों से लेनी पड़ेगी राय
विधि मंत्री ने कहा कि नई एमओपी बनने में राज्यों से मशविरा लेना पड़ेगा और उसमें कानूनविदों की राय भी लेनी होगी। इस प्रक्रिया में समय लगेगा। इस कारण यह निर्णय लिया गया है कि लंबित मुकदमों को देखते हुए तथा हाईकोर्ट में रिक्त पड़े जजों की नियुक्ति के लिए फिलहाल पुरानी पद्धति से नियुक्ति की जाए।
वेस्ट UP में बेंच बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं
यह पूछने पर कि क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की खण्डपीठ स्थापित करने की कोई प्रक्रिया केन्द्र सरकार के समक्ष विचाराधीन है। इस पर जवाब देते हुए विधि मंत्री ने कहा कि पश्चिमी यूपी में बेंच बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। राज्य सरकार इस संबंध में अगर कोई प्रस्ताव भेजेगी तो केंद्र इस पर नियमानुसार आगे विचार करेगा।