Mayawati Successor: मायावती ने घोषित किया अपना उत्तराधिकारी, BSP मीटिंग में भतीजे को सौंपी विरासत, जानें कौन हैं आकाश आनंद?

BSP Meeting: राजधानी लखनऊ में बसपा कार्यालय में आयोजित बैठक में सभी वरिष्ठ नेताओं और पार्टी पदाधिकारियों की मौजूदगी में उन्होंने भतीजे आकाश को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है।

Update:2023-12-10 12:56 IST

Mayawati Successor (सोशल मीडिया) 

BSP Meeting: बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने अपनी विरासत भतीजे आकाश आनंद को सौंप दी है। राजधानी लखनऊ में बसपा कार्यालय में आयोजित बैठक में सभी वरिष्ठ नेताओं और पार्टी पदाधिकारियों की मौजूदगी में उन्होंने आकाश को अपना सियासी उत्तराधिकारी घोषित किया है।

कौन हैं आकाश आनंद ?

आकाश आनंद मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। उनकी स्कूली पढ़ाई हरियाणा के गुरुग्राम में हुई है। इसके बाद उन्होंने एमबीए लंदन से किया है। कॉरपोरेट क्षेत्र में नौकरी करने वाले आकाश ने साल 2017 में राजनीति में प्रवेश किया। मायावती ने बीएसपी की एक बड़ी रैली में उन्हें लॉन्च किया था। उस साल विधानसभा चुनाव में आकाश बीएसपी के युवा चेहरे के तौर पर उभरे थे और जमकर सभाएं की थीं।

2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान एक बार फिर उनकी सक्रियता दिखी। मायावती के साथ अक्सर वह रैलियों में दिखते थे। उस साल बीएसपी ने सपा और रालोद के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। इसी तरह उनकी सक्रियता 2022 के विधानसभा चुनाव में भी दिखी। आकाश आनंद फिलहाल बसपा में नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद पर हैं। मार्च 2023 में आकाश की बीएसपी के पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ की बेटी डॉक्टर प्रज्ञा से शादी हुई थी।


आकाश आनंद के सामने चुनौतियां

आकाश आनंद के कंधे पर उस पार्टी की जिम्मेदारी आई है, जिसके पास दो राष्ट्रीय दलों कांग्रेस और बीजेपी के बाद हिंदी पट्टी में सबसे अधिक जनाधार है। 2012 से लगातार चुनावों में मिल रही करारी मात के बावजूद बसपा ने राष्ट्रीय दल होने का दर्जा बरकरार रखा है। एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में भले बीएसपी ने कोई सीट न जीती हो लेकिन इसे वोट बढिया मिला है। पार्टी ने एमपी और राजस्थान में कई सीटों पर दूसरे नंबर पर रहकर कांग्रेस का खेल बिगाड़ा है।

बसपा को एक कैडर वाली पार्टी माना जाता है, जिसका जनाधार खासतौर पर दलितों और पिछड़ों में समाहित है। लेकिन हाल के दिनों में पार्टी का ये वोट बेस तेजी से खिसका है। उत्तर प्रदेश में ही दलित मतदाताओं के एक बड़े हिस्से में बीजेपी सेंध लगा चुकी है। वहीं, मुस्लिम मतदाता छिटककर पूरी तरह से समाजावादी पार्टी के खेमे में जा चुके हैं। ऐसे में नौजवान आकाश आनंद के सामने बसपा के परंपरागत वोटरों को फिर से साधने की चुनौती होगी, तभी उनकी मुख्यधारा की सियासी लड़ाई में एंट्री हो पाएगी। आकाश आनंद खुद भी अपने आप को अभी तक साबित नहीं कर पाए हैं। 2017 से लेकर अब तक जो तमाम बड़े चुनाव हुए हैं, उनमें बीएसपी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।


मायावती ने उन्हें एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन आकाश इन राज्यें कोई कमाल नहीं दिखा सके। राजस्थान को छोड़कर बाकी के तीनों राज्यों में पार्टी का एक भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका। ऐसे में मायवाती का ये सियासी फैसला बीएसपी के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है, ये आने वाले लोकसभा चुनाव में पता चल जाएगा, जो महज चंद माह बंद होने जा रहा है।

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