AKTU: संगोष्ठी-सम्मेलन कराने पर कॉलेजों को मिलेगी दो लाख की ग्रांट, भारतीय भाषाओं में कराना अनिवार्य
प्रो. राजीव कुमार के मुताबिक सेमीकंडक्टर्स, नेक्सट जेन कम्युनिकेशन, डिजास्टर मैनेजमेंट एंड रेजिलेंट इंफ्रास्ट्रक्च, एग्रोटेक एंड फूड प्रोसेसिंग, एडवांस्ड कंप्यूटिंग, ब्लू इकोनॉमी, एनर्जी और स्मार्ट सिटीज एंड मोबिलिटी जैसे क्षेत्रों पर संगोष्ठी या सम्मेलन आयोजित करने पर वानी योजना के तहत अनुदान दिया जाएगा।
AKTU: अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) की ओर से वानी योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के जरिए एकेटीयू से संबद्ध कॉलेजों और संस्थानों को उभरते क्षेत्रों पर भारतीय भाषाओं में संगोष्ठी, सम्मेलन या कार्यशाला करने पर ग्रांट दी जाएगी। वानी योजना के तहत कॉलेजों और संस्थानों को दो लाख रुपए अनुदान के रुप में दिए जाएंगे।
आवेदन करने के लिए 10 अप्रैल तक मौका
एआईसीटीई (AICTE) की वानी योजना के जरिए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों और संस्थानों को संगोष्ठी या सम्मेलन करने पर दो लाख रूपये का फंड दिया मिलेगा। इस योजना के अंतर्गत कॉलेजों को कुल 12 उभरते क्षेत्रों पर 12 भारतीय भाषाओं में संगोष्ठी, कार्यशाला या सम्मेलन का आयोजन करने पर फंड मिलेगा। इसमें आवेदन करने के लिए अंतिम तिथि दस अप्रैल तय की गई है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) के अभियांत्रिकी एवं तकनीकी संकाय के डीन प्रो. राजीव कुमार ने इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया है।
12 क्षेत्रों में संगोष्ठी कराने पर मिलेगी ग्रांट
एकेटीयू के अभियांत्रिकी एवं तकनीकी संकाय के डीन प्रो. राजीव कुमार के मुताबिक सेमीकंडक्टर्स, नेक्सट जेन कम्युनिकेशन, डिजास्टर मैनेजमेंट एंड रेजिलेंट इंफ्रास्ट्रक्च, सस्टेनबिलिटी एंड क्लाइमेट चेंज, मैन्यूफैक्चरिंग एंड इंडस्ट्री 4.0, स्पेस एंड डिफेंस, हेल्थ केयर एंड मिड टेक, एग्रोटेक एंड फूड प्रोसेसिंग, एडवांस्ड कंप्यूटिंग, ब्लू इकोनॉमी, एनर्जी और स्मार्ट सिटीज एंड मोबिलिटी जैसे क्षेत्रों पर संगोष्ठी या सम्मेलन आयोजित करने पर वानी योजना के तहत यह अनुदान दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि संस्थानों के लिए सम्मेलन या संगोष्ठी का आयोजन भारतीय भाषाओं में कराना अनिवार्य है। जिसमें हिंदी, आसामी, मलयालम, पंजाबी, उर्दू, उड़िया, कन्नड़, गुजराती, मराठी, बंगाली, तमिल, पंजाबी, तेलेगू जैसी कुल बारह भारतीय भाषाएं शामिल हैं। इन्ही भाषाओं में संगोष्ठी आयोजित करने पर संस्थाओं को ग्रांट मिलेगी।