Lucknow News: इस शिव मंदिर की बड़ी मान्यता, पूरी होती हैं भक्तों की मुरादें, जानिए क्या है इतिहास

Lucknow News: स्थानीय राजेश तिवारी ने बताया कि कभी यहां के राजा साहब ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। ग्रामीणों की मान्यता है कि दर्शन के लिए आने वालों की हर मुराद पूरी होती है।

Report :  Abhishek Mishra
Update:2024-08-05 17:15 IST

इस शिव मंदिर की बड़ी मान्यता, पूरी होती हैं भक्तों की मुराद (Photo Source: Ashutosh Tripathi) 

Shiv Temple in Sisendi: भगवान भोलेनाथ का पवित्र माह सावन चल रहा है। तीसरे सोमवार के अवसर पर शहर के शिव मंदिरों में भारी भीड़ देखने को मिल रही है। मोहनलालगंज क्षेत्र में स्थित एक पौराणिक मंदिर में भी शिव भक्तों का जमावड़ा रहा। मंदिरों के बाहर भोले के उपासक अपने आराध्य देव के एक बार दर्शन पाने के लिए घंटों-घंटों लंबी कतारों में इंतजार करते हैं। एक हाथ में बाबा के लिए जल तो दूजे हाथ में फूलों से सजी हुई टोकरी के बीच बम बम भोले और हर हर महादेव जैसे नारे गूंज रहे हैं। आसपास के पूरे वातवरण भक्तिमय माहौल छाया हुआ है।

सिसेंडी गांव का पौराणिक शिव मंदिर

मोहनलालगंज से जब आप मौरांवां जाने वाले रास्ते पर निकलते हैं। तब बीच में अंबालिका इंस्टीट्यूट से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर सिसेंडी गांव है। महादेव का मंदिर इसी गांव में स्थित है। स्थानीय राजेश तिवारी ने बताया कि कभी यहां के राजा साहब ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। ग्रामीणों की मान्यता है कि दर्शन के लिए आने वालों की हर मुराद पूरी होती है। उन्होंने कहा कि हमारे बाबा बताते थे कि ये मंदिर लगभग 4 या 5 सौ साल पुराना होगा। राजा साहब के पारिवारिक सदस्यों में जो मौजूद हैं उन्हीं की देख रेख में इस मंदिर का पुनः रंग-रोगन और जीर्णोद्धार कराया गया।

छत के नीचे बैठे नंदी भगवान

सिसेंडी गांव के निवासी अखिल गौड़ ने बताया कि मंदिर में स्थित शिवलिंग के सामने बैठे नंदी भगवान भी छत के नीचे बने हैं। ऐसा बहुत कम मंदिरों में ही देखने को मिलता है। इससे मंदिर की पौराणिकती साफ झलकती है। उन्होंने कहा कि मंदिर के गर्भग्रह की छत पर हुई नक्काशी में खूबसूरत काम देखने को मिलता है। जो कि इसे और सुंदर बनाता है। शहर के उदयगंज निवासी रोहित मिश्रा ने बताया कि इस मंदिर की महिमा और महत्व की जानकारी लेने के बाद मंदिर की बनावट देखने की जिज्ञासा हुई। पहली बार करीब तीस साल पहले मंदिर गया था। इसके बाद हर सावन में मंदिर जाना होता है। मंदिर की भव्यता और प्राचीनता अकल्पनीय है।

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