Lucknow Bulldozer Action: 'बाबा' के बुलडोजर एक्शन से दहशत में लोग, बोले- हमारे पास रजिस्ट्री फिर भी घरों पर लगे लाल निशान
Lucknow Bulldozer Action: हमारे पास घरों की रजिस्ट्री है, वैध दस्तावेज हैं, हाउस टैक्स और बिजली का बिल देते हैं लेकिन अब हमारे घरों को तोड़ने के लिए सरकार निशान लगा रही है।
Lucknow Bulldozer Action: हमारे पास घरों की रजिस्ट्री है, वैध दस्तावेज हैं, हाउस टैक्स और बिजली का बिल देते हैं लेकिन अब हमारे घरों को तोड़ने के लिए सरकार निशान लगा रही है। अधिकारी आते हैं नक्शे में कुछ देखते हैं और निशान लगा देते हैं। जब उनसे पूछा जाता है कि निशान क्यों लगा रहे हैं। हमारे घर क्यों तोड़े जा रहे हैं तो वो कुछ नहीं बताते सिर्फ कहते हैं कि ऊपर से आदेश है। यह दर्द है राजधानी के पंतनगर, रहीम नगर और खुर्रम नगर के लोगों का जिनके घरों को कुकरैल रिवरफ्रंट विकसित करने के लिए तोड़ने की तैयारी की जा रही है। बुधवार को उनके मकानों को तोड़ने के लिए विभिन्न विभागों द्वारा गठित संयुक्त टीम ने सर्वे किया और मकानों को चिन्हित कर निशान लगाए।
बताते चलें कि कुकरैल नदी के किनारे सरकार रिवरफ्रंट बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए नदी के किनारे अवैध रूप से बसे अकबरनगर को पहले ही जमींदोज किया जा चुका है। अब उसके आगे बसे इंद्रप्रस्थ नगर, रहीम नगर, अबरार नगर आदि इलाकों में कार्रवाई की तैयारी चल रही है। मंगलवार को भी सर्वे टीम इलाके में मकानों का चिन्हीकरण करने पहुँची थी लेकिन लोगों के विरोध के कारण उन्हें बेरंग लौटना पड़ा था। बुधवार को फिर नगर निगम, एलडीए, सिंचाई, राजस्व आदि विभागों की करीब 50 अधिकारियों की संयुक्त टीम ने पंतनगर, अशोक विहार फेज 2 में पीएसी के साथ पहुंचकर मकानों का सर्वे किया। इस दौरान टीम ने एरियल सर्वे के मुताबिक मकानों पर लाल रंग की पेंट से ध्वस्तीकरण करने के लिए निशान लगाए। पंत नगर निवासी वकील इमरान ने कहा कि हम लोग बीते कई वर्षों से यहां रह रहे हैं। मकानों की बकायदा रजिस्ट्री है, बिजली का बिल और हाउस टैक्स भी जमा होता है। अब अगर इसे अवैध बताकर तोड़ा जाएगा तो यह सरासर अनुचित कार्रवाई होगी।
कोर्ट जाने की तैयारी में जुटे लोग
पंत नगर निवासी इमरान ने कहा कि अभी सिर्फ हमारे मकानों का चिन्हीकरण हुआ है कोई नोटिस और किसी प्रकार के लिखित दस्तावेज अधिकारियों की तरफ से नहीं दिए गए हैं। अधिकारियों से जब पूछा जाता है तो वो ऊपरी आदेश का हवाला देते हैं। अभी तक कोई स्पष्ट जवाब कहीं से नहीं दिया जा रहा है। नतीजतन, पशोपेश की स्थिति बनी हुई है। अब आगे क्या होगा यह किसी की समझ में नहीं आ रहा है। अगर अधिकारियों का यही रवैया रहा तो हम लोग कोर्ट का रुख करेंगे। आगे की रणनीति तय करने हेतु बुधवार की शाम स्थानीय लोगों ने ट्रांस गोमती संघर्ष समिति के बैनर तले एक बैठक का भी आयोजन किया है।