राष्ट्र निर्माण में भक्ति और तप संग करना होगा कार्य...BBAU में आयोजित भारतीय शिक्षण मंडल की प्रांतीय संगोष्ठी में बोले मुख्य अतिथि

Lucknow News: मुख्य अतिथि ने कहा कि किसी भी कार्य को करने के लिए तप का होना आवश्यक है और तप के लिए आवश्यक है कि हमारी उस कार्य के प्रति भक्ति होनी चाहिए। इसी प्रकार राष्ट्र निर्माण में हमें भक्ति और तप के साथ एकजुट होकर कार्य करना होगा तभी हम विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।;

Report :  Abhishek Mishra
facebook icontwitter icon
Update:2024-10-25 20:15 IST
राष्ट्र निर्माण में भक्ति और तप संग करना होगा कार्य...BBAU में आयोजित भारतीय शिक्षण मंडल की प्रांतीय संगोष्ठी में बोले मुख्य अतिथि
  • whatsapp icon

Lucknow News: बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में भारतीय शिक्षण मंडल, अवध प्रांत की प्रांतीय संगोष्ठी एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन हुआ। यहां भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री बी. आर. शंकारानंद मुख्य अतिथि रहे। 


संगोष्ठी का हुआ आयोजन 

बीबीएयू के अटल बिहारी बाजपेयी ऑडिटोरियम में गृह विज्ञान विद्यापीठ, बीबीएयू एवं भारतीय शिक्षण मंडल, अवध प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में प्रांत स्तरीय संगोष्ठी एवं पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित हुआ। सम्मानित अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो. ए.के. वर्मा एवं भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संयुक्त महामंत्री सुनील शर्मा उपस्थित रहे। 

भारत को वैचारिक और बौद्धिक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ बनाना होगा

मुख्य अतिथि ने कहा कि किसी भी कार्य को करने के लिए तप का होना आवश्यक है और तप के लिए आवश्यक है कि हमारी उस कार्य के प्रति भक्ति होनी चाहिए। इसी प्रकार राष्ट्र निर्माण में हमें भक्ति और तप के साथ एकजुट होकर कार्य करना होगा तभी हम विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। हमें जात-पात , ऊँच – नीच जैसे अन्य विभाजनकारी दुर्भावनाओं और विचारों से ऊपर उठना होगा । साथ ही एकजुट होकर और निरंतर प्रयास करते हुए, निर्भीकता के साथ भारत को वैचारिक और बौद्धिक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ बनाना होगा, तभी हम वैश्विक स्तर पर भारत को विश्व गुरु के रूप में स्थापित कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी के संस्मरणों की चर्चा एवं युवाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, कि युवा देश का आने वाला कल है अतः आपसे अपेक्षा की जाती है कि आप अपने जीवन में हर कार्य को करने से पहले यह चिंतन अवश्य करे कि मेरे द्वारा किया जाने वाला हर कार्य समाज को किस दिशा में ले जाएगा तथा कितने लंबे समय तक समाज को प्रभावित करेगा। हमें सतत प्रयासों से सतत विकास की ओर सृजनशील एवं सकारात्मक मार्ग से चलना होगा।


आज का समय नवाचारों का 

सुनील शर्मा ने कहा कि शोध केवल अध्ययन की दृष्टि से ही नहीं अपितु समाज की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है । हमारे प्रत्येक शोध में यह विजन निहित होना चाहिए कि शोधार्थी के रूप में हम देश के विकास में क्या योगदान कर रहे हैं। साथ ही हमारे शोध का केंद्र बिन्दु भारत होना चाहिए। प्रो ए. के. वर्मा ने कहा कि यह नवाचारों का समय है। अतः हमें अपने शोध कार्यों का मूल्यांकन करना होगा तथा कड़ी मेहनत करनी होगी। हमें यह चिंतन करना होगा कि शोध और नवाचार की दिशा क्या हो ? हमारे शोध इस राष्ट्र को क्या दे रहे हैं तथा यह राष्ट्रीय विकास और राष्ट्रीय मूल्यों की रक्षा में कैसे मदद करेंगे। हमें सदैव यह याद रखना चाहिए कि जीवन एक प्रतिध्वनि है, हम वही पाते हैं जो हम करते हैं। हम आज जो हैं, वह इस बात पर निर्भर करता है कि हमने कल क्या किया तथा हम कल क्या बनेंगे, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम आज क्या कर रहे हैं।

ए‌आई पर कम निर्भर रहें

कुलपति प्रो एन.एम.पी. वर्मा ने कहा कि हमें उन्मुख शिक्षा की आवश्यकता है क्योंकि यह बदलती रहती है। हमें अपने मस्तिष्क को सक्रिय और सृजनात्मक बनाने और ए‌आई पर कम निर्भर रहने की आवश्यकता है। ए आई हमारी बौद्धिक क्षमताओं को कम कर रहा है। उन्होंने पुरस्कार विजेताओं और प्रतिभागियों को बधाई दी एवं अतिथियों और आयोजकों को धन्यवाद दिया। आयोजक मंडल के सदस्यों में अवध प्रांत के प्रांत अध्यक्ष प्रो. कमल जायसवाल, प्रांत मंत्री डॉ. धर्मेन्द्र पाठक, प्रांत शोध प्रमुख एवं गृहविज्ञान विद्यापीठ की संकायाध्यक्ष प्रो. यू.वी. किरन एवं प्रांत युवा आयाम प्रमुख डॉ. रचना गंगवार सम्मिलित रहीं। 

                  

Tags:    

Similar News