सुपुर्द-ए-खाक हुए मां की महिमा को शायरी में पिरोने वाले शायर मुनव्वर राना; जावेद अख्तर ने जनाजे को दिया कंधा
Munawwar Rana Death: शायर मुनव्वर राना के लखनऊ स्थित लाल कुआं घर में गीतकार जावेद अख्तर, पूर्व सीएम अखिलेश यादव सहित तमाम लोग अंतिम दर्शन करने के लिए पहुंचे। गीतकार जावेद अख्तर मीडिया से कहा कि मुनव्वर का निधन शायरी और उर्दू के लिए बड़ी क्षति है।
Munawwar Rana Death: मां पर अंलकारों से सजे शब्दों की शायर गुथने वाले देश के मशहूर उर्दू शायर एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता मुनव्वर राना को सोमवार को लखनऊ स्थित ऐशबाग कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया है। जिस वतन के लिए उनके वालिद बंटवारे के समय हिंदुस्तान की धरती को चुना आज उसी धरती की माटी में मुनव्वर राना मिल गए हैं। सोमवार सुबह राना का जनाजा ऐशबाग कब्रिस्तान के लिए उनके आवास लालकुआं से निकला, तो जनाजे में प्रसिद्ध फिल्म लेखक व गीतकार जावेद अख्तर शामिल हुए और उन्हें मुनव्वर राणा के जनाजे को कंधा दिया। उनके अंतिम दर्शन के लिए जावेद अख्तर सोमवार को लखनऊ आए थे। जनाजे में कई प्रमुख लोग भी शामिल हुए।
गीतकार जावेद अख्तर पहुंचे राना के आवास, दिया जनाजे को कंधा
इससे पहले शायर मुनव्वर राना के लखनऊ स्थित लाल कुआं घर में गीतकार जावेद अख्तर, पूर्व सीएम अखिलेश यादव सहित तमाम लोग अंतिम दर्शन करने के लिए पहुंचे। गीतकार जावेद अख्तर मीडिया से कहा कि मुनव्वर का निधन से शायरी और उर्दू के लिए बड़ी क्षति है। मुझे इसका बेहद अफसोस है। यह नस्ल एक-एक करके जा रही है और इसकी भरपाई नहीं हो पाएगी। उन्होंने कहा कि उनकी कमी हमेशा खलेगी। उनकी शायरी प्रेरक है। उनके लिखने का अपना अंदाज था। अच्छी शायरी करना मुश्किल है, लेकिन उससे भी ज़्यादा मुश्किल है अपनी शायरी करना।
अखिलेश ने दी राना को श्रद्धांजलि
आखिरी दर्शन के बाद मीडिया से बात करते हुए सपा अध्यक्ष मुनव्वर राना देश के बड़े शायर थे। ऐसे शायर बहुत कम होते हैं जो कई मौकों पर बहुत स्पष्ट होते हैं। मैं प्रार्थना करूंगा कि भगवान उनके परिवार को यह दुख सहने की हिम्मत दें।
विवादित बयानों के चलते रहे चर्चों में
मुनव्वर राना मां पर शायरी करने के लिए तो लोकप्रिय ही थे, लेकिन आम लोग उन्हें तब पहचाने, जब उन्होंने भाजपा सरकार के खिलाफ बयान बाजी करना शुरू किया। बीते कुछ सालों से वे सरकार के खिलाफ मुखर रहे और अक्सर अपने बयान की वजह से वह विवादों में रहे। फिर चाहे वह सीएए कानून हो, या फिर किसान आंदोलन या फिर यूपी विधानसभा चुनाव में दौरान दिया हुआ उनका बयान, अक्सर सुर्खियां में रहा। यूपी विधानसभा चुनाव में पलायन के मुद्दे पर उन्हें योगी सरकार के खिलाफ यह तक कह दिया था, अगर सूबे में फिर से योगी सरकार आई, मैं यहां से पलायन कर लूंगा। हालांकि उसके बाद आखिरी सांस तक वह उत्तर प्रदेश में ही रहे।
1952 में हुआ जन्म, साल 2014 में मिला साहित्य पुरस्कार
मुनव्वर राना का जन्म साल 1952 में उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद में हुआ था, लेकिन भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान उनके परिवार करीबी लोग पाकिस्तान का रुख कर गए। हालांकि उनके पिता ने भारत में रुकने का फैसला किया। जन्म राना का भले ही रायबरेली में हुआ हो, लेकिन उनकी शुरुआती शिक्षा-दीक्षा कोलकाता में हुई। साल 2014 में मुनव्वर राणा को कविता शाहबाद के लिए देश में हिन्दी के क्षेत्र में दिए जाने वाले सबसे बड़े सम्मान साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया, लेकिन साल 2015 में छिड़ी देश में सहिष्णुता और असहिष्णुता विवाद में उन्हें असहिष्णुता का समर्थन देते हुए सम्मान को ठुकरा दिया था।
पीजीआई में हुआ था कल निधन
1952 के जन्मे मुनव्वर राणा का निधन बीती रविवार रात को हो गया था। वह किडनी और दिल की बीमारियों से लंबे समय से पीड़ित थे। उनका इलाज लखनऊ के पीजीआई में चल रहा था। फेफड़ों में इंफेक्शन की वजह से वह वेंटिलेटर पर थे, लेकिन रविवार शाम हालत और गंभीर हो गई थी और रात 11 बजे 71 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।