KGMU में किसी संसाधन की कमी नहीं होने देंगे...पैलेटिव केयर सम्मेलन में बोले डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक

Lucknow News: उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि केजीएमयू द्वारा अपनी प्रतिष्ठा एवं परम्परा का निर्वहन किया जा रहा है। राज्य सरकार केजीएमयू के कार्यों से प्रसन्न है एवं हरसंभव सहयोग चाहे वित्तीय हो अथवा प्रशासनिक, केजीएमयू को प्रदत्त करने हेतु कटिबद्ध है।

Report :  Abhishek Mishra
Update:2024-10-21 18:00 IST

केजीएमयू में आयोजित पालेटिव केयर सम्मेलन में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Photo Source: Ashutosh Tripathi)

Lucknow News: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के शताब्दी अस्पताल में सोमवार को रेडियोथैरेपी विभाग की ओर से पैलेटिव केयर पर सम्मेलन आयोजित हुआ। यहां डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि कुलपति केजीएमयू प्रो. सोनिया नित्यानंद रहीं। मुख्य अतिथि ने कहा कि केजीएमयू में किसी प्रकार के संसाधनों की कमी नहीं होने देंगे। 


 केजीएमयू को मिलेंगे सभी संसाधन

केजीएमयू में आयोजित सम्मेलन में मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि केजीएमयू द्वारा अपनी प्रतिष्ठा एवं परम्परा का निर्वहन किया जा रहा है। राज्य सरकार केजीएमयू के कार्यों से प्रसन्न है एवं हरसंभव सहयोग चाहे वित्तीय हो अथवा प्रशासनिक, केजीएमयू को प्रदत्त करने हेतु कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि केजीएमयू में किसी भी प्रकार के संसाधनों की कमी नहीं होने दी जाएगी। विशिष्ट अतिथि ने कहा कि केजीएमयू राज्य सरकार एवं माननीय उपमुख्यमंत्री जी का बहुत आभारी है। उनके प्रयासों के कारण ही हमें अपने एक्सटेंशन के लिए जमीन प्राप्त हो पाई है। शीघ्र ही रेडियोथेरेपी विभाग में एक नया लीनियर एक्सीलरेटर लगाया जाएगा।


अंतिम समय में मरीज की देखभाल मुश्किल

सम्मेलन में प्रो. राजेंद्र कुमार ने कहा कि जीव दया फाउंडेशन के सहयोग से वर्ष 2016 में पैलेटिव केयर प्रोजेक्ट की शुरूआत हुई। 5 साल की समयावधि पूरी होने के बाद सिप्ला फाउंडेशन द्वारा इसे चलाया जा रहा है। 21000 रोगियों को चिकित्सा सेवा देने के साथ साथ सैंकड़ों रोगियों को मानसिक चिकित्सा, पोषण सुविधा, घाव की देखभाल, सांस और खाने की नली लगवाने में सहायता उपलब्ध कराई जाती है। प्रो. शालीन कुमार ने कहा कि अंतिम समय में मरीज की देखभाल करना काफी मुश्किल का काम होता है। हमारे देश में इच्छामृत्यु कानूनन नहीं है। किन्तु जिन रोगियों में जीवन की संभावना शून्य है उनका उपचार बेहद चुनौतियों से भरा है। तीमारदार से मृत्यु की संभावना की सूचना साझा करते हुए मार्मिक एवं दार्शनिक दृष्टिकोण अपनाना होगा।

छह गुना बढ़ाई जा सकती नारकोटिक दवाएं

प्रो. संजय धीराज ने कहा कि नारकोटिक्स की दवाएं जैसे अफीम इस प्रकार के रोगियों को उपलब्ध कराई जाती हैं। इसे 2.5 से 5 मिलीग्राम से आरंभ किया जाता है। इसकी खुराक 6 गुना तक बढ़ाई जा सकती है। इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव कब्ज है। यहां मुख्य रूप से प्रो विनीत शर्मा, प्रो अपजीत कौर, प्रो राजीव गुप्ता, प्रो अभिनव सोनकर, प्रो संदीप तिवारी, प्रो बीके ओझा, प्रो क्षितिज श्रीवास्तव, प्रो आनंद मिश्रा, प्रो पवित्र रस्तोगी एवं अन्य संकाय सदस्य उपस्थित रहे। 


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