UP NEET Admission Fraud: आयुष कॉलेजों में दाखिले की जांच HC लखनऊ बेंच ने CBI को सौंपा, सख्त कार्यवाही के दिए निर्देश
UP NEET Admission Fraud: हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी और तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की भूमिका संदिग्ध पाने पर कठोर कार्यवाही करने के भी आदेश दिए हैं।
UP NEET Admission Fraud: उत्तर प्रदेश में आयुष कॉलेजों में दाखिले की जांच को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने CBI को सौंप दिया है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि अब आयुष कॉलेज में दाखिले की जांच सिर्फ सीबीआई एजेंसी करेगी। हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी और तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की भूमिका संदिग्ध पाने पर कठोर कार्यवाही करने के भी आदेश दिए हैं। बता दें कि धर्म सिंह सैनी पर आरोपी है कि बिनी NEET की काउंसलिंग करवाए ही बिना पांच-पांच लाख रूपयों में सीटें बेंची गईं।
दरअसल 2022 में आयुष कॉलेजों में घोटाले की बात सामने आई थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे मामले की जांच कराने के लिए दो बार सीबीआई की मांग कर चुकी है। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के जस्टिस राजीव सिंह ने याचिकाकर्ता डॉ. रितु गर्ग को सशर्त जमानत देते हुए CBI जांच को यह आदेश दिए। अब हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश के बाद सीबीआई पूरे मामले की जांच करेगी।
सैनी के निजी सचिव ने ही लगाया है घूस लेने का आरोप
इस पूरे मामले में पूर्व मंत्री धर्म सिंह सैनी का नाम सामने आया है। वहीं, हाईकोर्ट ने सख्त आदेश देते हुए धर्म सिंह सैनी और तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। माना जा रहा है कि धर्म सिंह सैनी की मुश्किलें इसलिए और ज्यादा बढ़ सकती है, जब उनके ही निजी सचिव राजकुमार दिवाकर का बयान कोर्ट में दाखिल हुआ है। सैनी के निजी सचिव का आरोप है कि आयुष में यूजी की मान्य के लिए 1 करोड़ 10 लाख घूस दी गई। इसके अलावा पीजी के लिए 50 लाख घूस दी गई।
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क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि, होम्योपैथी, आयुर्वेद और यूनानी के स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिले के लिए आयुर्वेद निदेशालय (Directorate of Ayurveda) ही काउंसलिंग प्रक्रिया आयोजित करवाता रहा है। साल 2016 से पहले BAMS, BUMS और BHMS कोर्सों में दाखिले के लिए राज्य अलग से परीक्षाएं आयोजित करवाता था। मगर, 2016 में इन कोर्सों में दाखिले के लिए भी NEET को ही अनिवार्य कर दिया गया था। इस बार काउंसलिंग के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने फर्जीवाड़े की शिकायत की। शिकायतकर्ताओं ने पहले कम्प्लेन राज्य के आयुष विभाग और आयुर्वेद निदेशालय में की। मगर, यहां के अधिकारी सुस्त बने रहे। अधिकारियों ने शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया। कार्रवाई न होता देख शिकायतकर्ताओं ने केंद्रीय आयुष मंत्रालय में अपनी शिकायत दी।