Mahoba: सरकारी स्कूल में छुआछूत और दलित महिला रसोईया को प्रताड़ित करने का मामला पहुंचा डीएम के पास

Mahoba News: गीता का आरोप है कि अक्सर उसे जाति सूचक शब्दों से बच्चों के सामने ही अपमानित किया जाता है और स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से भी उसे अपमानित कराया जाता है, जिससे वह मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रही है।

Report :  Imran Khan
Update:2023-09-17 16:47 IST

Mahoba primary school untouchability and harassment with Scheduled Caste cook Case (Photo-Social Media)

Mahoba News: महोबा के प्राथमिक विद्यालय में छुआछूत और अनुसूचित जाति की रसोइया को प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका पर महिला रसोईया को जाति सूचक शब्दों से अपमानित करने और बच्चों में भी छुआछूत को बढ़ावा देने का गंभीर आरोप लगा है। पीड़िता ने पूरे मामले की लिखित शिकायत जिला अधिकारी से करते हुए विद्यालय की प्रधानाचार्य पर उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं और कानूनी कार्यवाही की मांग की है। मामले को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने बीएसए को मामले में निष्पक्ष जांच कर कार्यवाही के निर्देश दिए है।

क्या है पूरा मामला?

पूरा मामला जनपद के कुलपहाड़ कोतवाली कस्बा अंतर्गत कटवरिया मोहल्ले में संचालित प्राथमिक विद्यालय का है। जहां शिक्षा के मंदिर में छुआछूत और मिड डे मील का खाना बनाने वाली रसोईया का उत्पीड़न करने का मामला जिला अधिकारी के पास पहुंचा है। जिला अधिकारी मृदुल चौधरी को प्रार्थना पत्र देते हुए पीड़ित रसोईया ने विद्यालय की प्रधानाचार्य पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आपको बता दें कि कुलपहाड़ कस्बे के कटवरिया मोहल्ले में प्राथमिक विद्यालय संचालित है जहां पर अनुसूचित जाति की विधवा महिला गीता और स्नेहलता पाठक नाम की दो महिलाएं मिड डे मील का खाना बनाती हैं।

गीता बताती है कि वह 14 वर्षों से लगातार विद्यालय में बच्चों के लिए खाना बनाती चली आ रही है इस दौरान कई प्रधानाचार्य और अध्यापक यहां से चले गए लेकिन कोई समस्या उत्पन्न नहीं हुई। गीता का आरोप है कि अक्सर उसे जाति सूचक शब्दों से बच्चों के सामने ही अपमानित किया जाता है और स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से भी उसे अपमानित कराया जाता है, जिससे वह मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रही है। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के मन में भी छुआछूत को बढ़ावा देने का आरोप प्रधानाचार्य पर लगा है।

आरोप है कि उसके हाथ का बना खाना ना तो खुद प्रधानाध्यापक खाती है और ना ही बच्चों को खाने देती हैं और कई बार तो ऐसा हुआ की बने बनाए खाने को सड़क पर जानवरों के सामने फेंक दिया गया और हम रसोइयों को भी खाना नहीं दिया जाता। हमें घिन्हापन, गंदगी में रहने और जाति सूचक शब्दों से अपमानित करने का आरोप प्रधानाध्यापिका पर पीड़ित रसोईया गीता ने लगाया है। पीड़िता ने पूरे मामले की शिकायत जिला अधिकारी से करते हुए कार्रवाई की मांग की। उसने कहा कि हम गरीब महिलाओं के ऊपर विद्यालय में भेदभाव हो रहा हैं और उन्हें आए दिन अपमानित किया जा रहा है। जबकि आरोपी प्रधानाध्यापिका पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही। रोती बिलखती रसोइयों ने जिलाधिकारी के सामने ही प्रधानाध्यापिका के इस उत्पीड़न की शिकायत की है। पीड़िता बताती है कि मामले की पूर्व में भी शिकायत की गई थी लेकिन अधिकारी इस मामले में कुछ भी करने से कतरा रहे हैं और उन्होंने न्याय नहीं मिल पा रहा।

पीड़िता नें लगाए आरोप

वहीं इसी विद्यालय में तैनात दूसरी रसोईया स्नेहलता पाठक बताती है कि उसकी साथी रसोइया गीता को जातिसूचक शब्दों को बच्चों के सामने ही अपमानित किया जाता है। यही नहीं बच्चों के मिड डे मील में भी मानक की अनदेखी की जा रही है। भोजन के नाम पर सड़ी हुई सब्जी का जबरन प्रयोग कराने के भी आरोप लगे है। भोजन आधी अधूरी सामग्री और कम मात्रा में बनवाया जाता है जिसका विरोध करने पर उसे भी प्रताड़ित किया जा रहा है। दूध के नाम पर एक पैकेट दूध में पानी मिलाकर कुछ बच्चों को दें दिया जाता है।

दोनो ही पीड़ितों ने जब डीएम से शिक्षा के मंदिर में बरती जा रही अनिमित्ताओं और उत्पीड़न की शिकायत की तो डीएम मृदुल चौधरी ने उक्त मामले को गंभीरता से लेते हुए बीएसए अजय मिश्रा को जांच कर कार्यवाही के निर्देश दिए है। वहीं इस मामले को लेकर बीएसए ने विद्यालय पहुंचकर जांच की है। बीएसए अजय मिश्रा ने बताया कि शिकायत के आधार पर जांच की जा रही है। प्रधानाध्यापिका और रसोइयों के बीच आपसी मतभेद है जिसको लेकर दोनो पक्षों को समझाया गया है। विद्यालय में शिक्षा कार्य पर काम करने के निर्देश दिए है।

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