BSP Meeting: मायावती ने बीजेपी पर बोला जमकर हमला, कथनी और करनी में बताया अंतर, गठबंधन न करने की भी बताई वजह
BSP Meeting Today: आम चुनाव के मद्देनजर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बहुजन समाज पार्टी के नेताओं की एक बड़ी बैठक आज यानी बुधवार 23 अगस्त को राजधानी लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में आहूत की है।
BSP Meeting Today: अगले साल यानी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में करीब-करीब आठ माह का वक्त शेष बचा है। इस बीच कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। लेकिन सियासी दल फिलहाल आम चुनाव की तैयारियों को लेकर ज्यादा गंभीर दिख रहे हैं। संसद में सबसे अधिक सांसदों को भेजने वाले उत्तर प्रदेश में तो महीनों पहले से इसकी तैयारी शुरू हो गई है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी की अति सक्रियता के बीच अब राज्य की तीसरी बड़ी सियासी शक्ति मायावती भी अपने कैडर को ग्राउंड पर एक्टिव करने में जुट गई हैं।
आम चुनाव के मद्देनजर पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बहुजन समाज पार्टी के नेताओं की एक बड़ी बैठक आज यानी बुधवार 23 अगस्त को राजधानी लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय में आहूत की। इस बैठक में मायावती के भतीजे आकाश आनंद, भाई आनंद कुमार सहित नेशनल कोऑर्डिनेडेटर सतीश चंद्र मिश्रा, प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल, यूपी विधानसभा में पार्टी के इकलौते विधायक उमाशंकर सिंह, एमएलसी भीमराव अंबेडकर, सभी मौजूदा एवं पूर्व सांसद, सभी रीजनल कोऑर्डिनेडेटरों और प्रभारी शामिल हुए। मायावती ने बैठक में जमीन पर संगठन की मौजूदा स्थिति को लेकर फीडबैक लिया। पार्टी द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों की समीक्षा की।
बीजेपी पर जमकर बरसीं मायावती
बसपा सुप्रीमो मायावती पर विरोधी पार्टियां अक्सर पिछले दरवाजे से बीजेपी की मदद करने का आरोप लगाते रहती हैं। लेकिन बुधवार को पार्टी नेताओं के साथ लखनऊ में हुई बैठक के दौरान बसपा मुखिया केंद्र और उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भगवा दल पर खासतौर पर हमलावर दिखीं। पूर्व मुख्यमंत्री ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आज बीजेपी की संकीर्ण, जातिवादी, सांप्रदायिक एवं नफरत भरी राजनीति से लोग त्रस्त हैं
इस कारण भाजपा लोगों के बीच अपना प्रभाव ही नहीं बल्कि जनाधार भी गंवाते जा रही है। यह प्रक्रिया आगे जारी रहने वाली है। इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव यूपी में एकतरफा न होकर काफी दिलचस्प व देश की राजनीति को नया करवट देने वाला साबित होगा। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी की तरह बीजेपी की भी कथनी और करनी में जमीन-आसमान का फर्क है।
मायावती ने कहा कि आज बीजेपी के शासनकाल में लोगों की आमदनी अठन्नी और खर्चा रूपया है। महज कुछ मुठ्ठीभर लोगों को छोड़कर बाकी सभी लोग अर्थात देश के बहुजन लोगों को परिवार का पालन-पोषण करने में कठिन विपत्ति का सामना करना पड़ रहा है। जिस सबका अगले लोकसभा चुनाव पर प्रभाव पड़ने से क्या कोई इनकार कर सकता है ?
बीएसपी को गठबंधन से लाभ के बजाय हुआ नुकसान
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आगामी आम चुनाव में अपने एकला चलो के फैसले को सही ठहराते हुए दलील दी की यूपी में बीएसपी को गठबंधन करके लाभ के बजाय नुकसान ही हुआ है। उन्होंने कहा कि बीएसपी का वोट गठबंधन के दूसरे साझीदार के उम्मीदवारों को ट्रांसफर हो जाता है किन्तु दूसरी पार्टियां अपना वोट बीएसपी उम्मीदवारों को ट्रांसफर नहीं करा पाती हैं। बकौल मायावती उनके पास न इतनी क्षमता होती है और न ही उनकी नीयत होती है। जिससे अंततः पार्टी के लोगों के मनोबल पर असर पड़ता है। इसलिए बीएसपी ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के गठबंधन से दूरी बना ली है।
लोकसभा चुनाव के लिए जुट जाने का दिया निर्देश
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने बैठक में पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर तन,मन,धन से जुट जाने का आह्वान किया। उन्होंने कार्यकर्ताओं से संगठन को गांव-गांव तक पहुंचाने और नए-नए लोगों को कैडर से जोड़ने को कहा। पूर्व मुख्यमंत्री ने लोकसभा चुनाव में अकेले अपने दम पर लड़ने की बात दोहराते हुए सर्वसमाज में जनाधार बढ़ाने के निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने लोकसभा उम्मीदवारों के चयन में खास सावधानी बरतने के निर्देश भी दिए।
2024 में क्या 2019 वाला प्रदर्शन दोहरा पाएगी बीएसपी ?
देश की राष्ट्रीय पार्टियों में शुमार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का सियासी वजन एक जमाने में इतना होता था कि किसी भी राजनीतिक गोलबंदी के लिए पार्टी का समर्थन काफी जरूरी होता था। लेकिन मौजूदा समय में बीएसपी अपनी वो साख लगभग गंवा चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के सामने कई बड़ी चुनौतियां मुहं बाये खड़ी हैं। उनका नेता और जनाधार दिन-प्रतिदिन बीजेपी और सपा जैसी विरोधी पार्टियों की ओर खिसकता जा रहा है। बसपा प्रमुख के सामने न केवल इन्हें रोकने की चुनौती है बल्कि यूपी में एक बड़ी जीत हासिल कर फिर से देश में खुद को एक प्रमुख राजनीतिक शक्ति के तौर पर स्थापित करना है।
साल 2014 के आम चुनाव में शून्य पर सिमटने वाली बसपा ने पांच साल बाद यानी 2019 में यूपी से अपने 10 सांसद दिल्ली भेजे थे। वहीं, सपा के महज पांच सांसद ही जीत पाए थे। हालांकि, तब बुआ और बबुआ यानी सपा, बसपा और रालोद का गठबंधन था। अब वह गठबंधन टूट चुका है। मायावती आगामी लोकसभा चुनाव अपने दम पर अकेले लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं। चुनाव में उनके सामने इंडिया और एनडीए नामक दो ताकतवर गठबंधन होगा। ऐसे में पूर्व सीएम मायावती 2024 में 2019 का प्रदर्शन दोहरा पाता हैं या नहीं ये देखना दिलचस्प होगा।