Meerut: खत्म हुआ सौ साल पुराना अप्सरा सिनेमा हाल, बिल्डिंग को तोड़ने की कार्रवाई शुरू

Meerut: मेरठ शहर के घंटाघर में स्थित सौ साल पुराना अप्सरा सिनेमा हाल में उन हजारों सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों की कतार में शामिल हो गया, जो पिछले कुछ सालों में बंद हुए हैं। इसकी बिल्डिंग को तोड़ने की कार्रवाई शुरू करा दी गई।

Report :  Sushil Kumar
Update: 2022-05-22 11:04 GMT

अप्सरा सिनेमा हाल। 

Meerut: उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर के घंटाघर में स्थित सौ साल पुराना अप्सरा सिनेमा हाल (Apsara Cinema Hall) में उन हजारों सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों की कतार में शामिल हो गया, जो पिछले कुछ सालों में बंद हुए हैं। बता दें कि दर्शकों की कमी के कारण ही अप्सरा सिनेमा (Apsara Cinema Hall) पहले अनिश्चितकाल के लिए बंद हुआ और अब इसकी बिल्डिंग को तोड़ने की कार्रवाई शुरू करा दी गई। अप्सरा शहर के पुराने सिनेमाहाल में था। अप्सरा नाम से इसकी शुरुआत 1964 में हुई। अप्सरा से पहले इसे नावल्टी, आनंद और रामनिवास हाल के नाम से जाना जाता था। बता दें कि पिछले कुछ सालों में राज्य में सात सौ से अधिक सिंगल स्क्रीन सिनेमा हॉल बंद हुए हैं, जिसके कारण कम कीमत में फिल्में देखने का विकल्प बंद हो गया है।

सिंगल स्क्रीन के पतन का सिलसिला करीब तीन दशक पूर्व शुरु

मेरठ की बात की जाए तो सिंगल स्क्रीन के पतन का सिलसिला करीब तीन दशक पूर्व शुरु हुआ था। बदलते वक्त और टेक्नोलॉजी का पहिया कुछ ऐसा घूमा की दर्शकों ने धीरे-धीरे सिनेमाघरों से मुंह मोड़ लिया। मल्टीप्लैक्स के जादू ने सिनेमाघरों के सम्मोहन को खत्म कर दिया। नतीजा यह हुआ कि सिनेमाघर खंडहरों में तब्दील हो गए। शहर की घनी आबादी वाले इलाके में स्थित अप्सरा सिनेमा (Apsara Cinema Hall) को पिछले दिनों जब तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई तो सिनेमा से लगाव रखने वाले लोगों का दुःखी होना लाजिमी था। लोंगो का कहना है कि अप्सरा जैसे सिनेमा घर के टूटने का मतलब साफ है कि मेरठ में अब सिंगल स्क्रीन सिनेमा का भविष्य खत्म होने की कगार पर है। यानी, मेरठ में सिंगल स्क्रीन सिनेमा के इतिहास की बात होने में देर नहीं रह गई है।


वर्ष 1898 में रामनिवास हाल के नाम से अप्सरा सिनेमा हाल की शुरुआत

अप्सरा सिनेमा (Apsara Cinema Hall) हाल की शुरुआत वर्ष 1898 में रामनिवास हाल के नाम से हुई थी। इसके सुनहरे पन्नों पर न जाने कितने ही बॉलीवुड कलाकारों के नाम दर्ज हैं। इन कलाकारों ने यहां आकर न सिर्फ अभिनय किया, बल्कि फिल्में भी देखीं। सुनील दत्त, राजेश खन्ना और चेतन आनंद फिल्म आखिरी खत की रिलीज के समय यहां आए थे। यहां तक कि इस सिनेमाघर में अभिनेता पृथ्वीराज कपूर (Actor Prithviraj Kapoor) भी थिएटर किया करते थे। इसी तरह बंद हो चुके नंदन में 'हम आपके हैं कौन' लगातार 60 हफ्ते चली। 'शोले' मेनका में लगातार एक साल यानि 52 हफ्ते चली। निशात में 39 हफ्ते तक 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' को पसंद किया गया। निगार में 'मुग़ल ए आज़म' और मदर इंडिया के लिए एक दिन पहले रात में ही दर्शकों की कतार लगती थी। 1940 में जगत में 'हातिम ताई' फिल्म लगी। सात घंटे की फिल्म को देखने के लिए लोग रजाई, गद्दे, कंबल घर से लाते थे। नौचंदी मेले के दौरान सिनेमा के छह शो तक चला करते थे। रात में 12 से 3 और 3 से 6 में भीड़ जुटती थी।



इन सिनेमाघरों के गिरे शटर

बता दें कि 1970 के दशक में मेरठ में अजंतास (माधुरी), अनुराग, मधुबन, रमेश, प्लाजा (बंसल), निशात, जगत, रिवोली, रीगल (फोनिक्स), मेफेयर, नटराज, मेघदूत, नंदन, आम्रपाली, ओडियन, पैलेस, फिल्मीस्तान, निगार, मेहताब, मेनका, अप्सरा (नॉवल्टी) व गुलमर्ग समेत कुल 22 सिनेमाघर थे। इनमें से रीवोली, ईव्ज, प्लाजा, मधुबन, मेफेयर, पैलेस, नटराज, आम्रपाली, फिल्मिस्तान, मेघदूत, मेनका, ओडियन व रमेश थियेटर, अंजता,महताब सिनमाघरों के शटर गिर चुके हैं।

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