Meerut: जेल से पांच करोड़ की रंगदारी मांगने का मामला, नहीं सुधर रही योगी की पुलिस

Meerut: जेल से पांच करोड़ की रंगदारी मांगने के मामले में मेरठ की योगीपुरम चौकी पर तैनात सिपाही का नाम आने के बाद एक बार फिर यूपी पुलिस की खूब किरकिरी हो रही है।

Report :  Sushil Kumar
Update: 2022-06-14 15:27 GMT

उत्तर प्रदेश पुलिस (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Meerut News Today: जेल से पांच करोड़ की रंगदारी (Extortion) मांगने के मामले में उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद (Meerut) की कंकरखेड़ा (Kankarkhera) की योगीपुरम चौकी (Yogipuram Police Station) पर तैनात सिपाही का नाम आने के बाद एक बार फिर यूपी पुलिस (UP Police) की खूब किरकिरी हो रही है।

दिल्ली की मंडोली जेल (Mandoli Jail) से करोल बाग (Karol Bagh) के गॉरमेंट्स व्यापारी से 5 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने का मामला सामने आया था, तभी से दिल्ली की स्पेशल सेल (Delhi Police Special Cell) इस मामले की तहकीकात में लगी थी। बताया गया कि दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को जानकारी मिली है कि रंगदारी के लिए उपयोग में लाया गया सिम कंकरखेड़ा थाने की योगीपुरम चौकी पर तैनात सिपाही दीपक मलिक (Deepak Malik) ने लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) के शूटर को खरीदवाया था।

गौरतलब है कि इस पूरे मामले से सिपाही ने अपने अफसरों से छिपाए रखा। उसके बाद दिल्ली पुलिस ने कंकरखेड़ा थाने में सिपाही के बयान कराने के लिए नोटिस भेजा। तब जाकर कंकरखेड़ा पुलिस और अफसरों को मामले की जानकारी हुई।

जांच रिपोर्ट आने के बाद सिपाही के खिलाफ की जाएगी कार्रवाई

एसपी क्राइम अनित कुमार (SP Crime Anit Kumar) कहते हैं, सिपाही की मंशा भी ठीक नहीं थी। राकेश ने किस उददेश्य से सिम लिए थे, शायद इसकी जानकारी सिपाही दीपक मलिक को थी। पुलिस इस तथ्य की विस्तार से जांच कर रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद सिपाही के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि अपराधियों के साथ पुलिस की मिलीभगत का यह कोई पहला मामला नही है।

इन मामलों ने कराई यूपी पुलिस की किरकिरी

मेरठ की ही बात करें तो मेरठ पुलिस ने कुछ महीने पहले एक ऐसे मामले का खुलासा करते हुए मुकदमा दर्ज कराया है, जिसने करोड़ों की प्रॉपर्टी के लिए पुलिस के साथ गठजोड़ करके फर्जी मुकदमे की साजिश रच डाली। गैंगस्टर के इशारे पर एक व्यक्ति ने खुद पर ही हमला कराकर दूसरे पक्ष को गिरफ्तार करा दिया और फर्जी मुकदमे में आरोपियों को जेल भिजवाकर उनकी करोड़ों की जमीन पर कब्जा कर लिया। पुलिस अफसरों को इस मामले में अब अपने ही एक इंस्पेक्टर और एक दरोगा पर मिसकंडक्ट की कार्रवाई करनी पड़ी थी।

पड़ोस के जनपद बागपत में भी पुलिस व अपराधियों के गठजोड़ का मामला सामने आ चुका है। यहां सिघावली अहीर थाना में तैनात रहे हेड मोहर्रिर हेड कांस्टेबल सत्यवीर सिंह संदिग्ध व आपराधिक प्रवृत्तियों के व्यक्तियों से मेल-मिलाप रखने के आरोप निलंबित किया गया था। बागपत के ही एक पुलिसकर्मी ने अपराधियों के साथ मिलकर मेरठ की एक पुलिस चौकी में चोरी की मोटर साइकिल ही कटवा दी थी। पुलिस की छापामारी के दौरान आरोपित पुलिसकर्मी फरार हो गया था। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। बाद में उसको सलाखों के पीछे जाना पड़ा था।

बागपत में लंबे समय तैनात रहने वाले एक पुलिसकर्मी ने रालोद नेता एवं पेट्रोल पंप स्वामी से कुख्यात अजित उर्फ हप्पू के नाम से मांगी गई रंगदारी की घटना में भूमिका निभाई थी। हालांकि उस समय सिपाही बागपत में तैनात नहीं था। बड़ौत पुलिस ने आरोपित पुलिसकर्मी को गिरफ्तार किया था।

पिछले साल मेरठ में कुख्यात अपराधी सुशील मूंछ और उसके बेटे की जमानत भी पुलिस की मिलीभगत से जमानत कराई गई थी। मुजफ्फरनगर पुलिस चूंकि जमानत के नाम पर अलर्ट हो जाती, इसलिए मूंछ ने अपने खासम खास इंचौली के मसूरी निवासी यशपाल को सामने किया। मेरठ के तीन थानों में सेटिंग की गई और जमानत देने वालों का सत्यापन कराते हुए सारे दस्तावेज हाईकोर्ट में जमा कराए गए। इस दौरान पुलिस को सब कुछ पता था, लेकिन किसी ने भी आला अधिकारियों तक सूचना नहीं दी।

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