Meerut News: शुरु हुआ मतगणना का काउंट डाउन, उम्मदवारों की बढ़ी धड़कनें
Meerut News: मेरठ में लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब परिणाम का इंतजार है। उम्मीदवार और पार्टी कार्यकर्ता अपनी जीत का दम भर रहे हैं।
Meerut News: लोकसभा चुनाव में अभी तीन चरणों का मतदान हुआ है और मतगणना को कई दिन शेष हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम का काउंट डाउन शुरू हो गया है। जैसे-जैसे मतगणना की तारीख नजदीक आ रही है, प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ने लगी है। हार-जीत को लेकर चुनावी चर्चा व सट्टा बाजार गर्मा रहा है। जिला प्रशासन ने मतगणना की तैयारियां इसी सप्ताह पूरा होने का दावा कर रहा है।
मंथन में जुटी पार्टियां
राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता, समर्थक और प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत को लेकर बूथवार मंथन करने में जुटे हैं। अब प्रत्याशी अपने एजेंट भी तैयार करने में जुट गए है। मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट पर गठबंधन व भाजपा आमने-सामने हैं। प्रत्याशियों ने अपनी-अपनी जीत के लिए समीकरण लगाए हैं तो वहीं समर्थक व कार्यकर्ता रोजाना जीत के दावे कर रहे हैं। जीत के लिए प्रत्याशियों के समर्थक आश्वस्त हैं, लेकिन असल तस्वीर चार जून को ही साफ होगी। किसकी किस्मत में हार होगी और कौन कुर्सी हासिल करेगा।
भाजपा और सपा उम्मीदवार भर रहे जीत का दम
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मेरठ सीट पर बीजेपी ने टीवी के राम अरुण गोविल को मैदान में उतारा है। अरुण गोविल यूं तो मेरठ के हैं लेकिन मुंबई में रहने की वजह से उन्हें बाहरी उम्मीदवार माना जा रहा है। हालांकि अरुण गोविल जिन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान लगातार रामराज्य लाने का वादा किया था अपने बाहरी होने के सवाल पर इतना ही कहते हैं कि जनता मुझे यहां से संसद भेजेगी, मैं यहां लोगों के बीच रहकर ही काम करूंगा। हिंदुत्व की लहर पर सवार बीजेपी के अरुण गोविल से मुक़ाबला करने के लिए इंडिया गठबंधन ने सामाजिक और जातिगत समीकरणों को साधने की रणनीति पर काम करते हुए समाजवादी पार्टी ने दो उम्मीदवारों को बदलने के बाद सुनीता वर्मा को मैदान में उतारा था। सुनीता वर्मा चुनाव में अपनी जीत का दावा करते हुए कहती हैं कि उन्हें सर्व समाज के साथ-साथ अपने दलित वोटर वर्ग का भी वोट मिला है। मेरठ नगर निगम की मेयर रहीं सुनीता वर्मा के पति योगेश वर्मा पूर्व विधायक हैं।
बसपा भी कर रही मजबूती से लड़ने का दावा
चुनाव में बसपा के देव व्रत त्यागी भी मैदान में थे। वें खुद को कमजोर मानने के तैयार नहीं है। वो कहते हैं, ‘वोटर ये तय करेंगे कि कौन उम्मीदवार जीत रहा है। जहां तक चुनावी मैदान में लड़ने का सवाल है तो हमने पूरी मज़बूती से चुनाव लड़ा है। वैसे,इस बार चुनाव में न तो कोई ऐसा मुद्दा हावी दिखा जिससे विपक्ष की हवा मजबूत मानी जाए और न ही ऐसा कोई मामला सामने आया कि जमीन पर ध्रुवीकरण हुआ हो और चीजें भाजपा के पक्ष में जाती दिखाई दी हों। चुनाव से पहले तक जातीय समीकरण जरूर कुछ हद तक हावी दिखे, लेकिन चुनाव के जातीय आधार पर वोटिंग होती कम नजर आई।