Meerut News: पश्चिमी उत्तर प्रदेश को लेकर भाजपा परेशान, जाट नेता की तलाश में पार्टी
Meerut News: भाजपा रणनीतिकारों का मानना है कि जयंत चौधरी से गठबंधन का फायदा अकेले उत्तर प्रदेश ही नही बल्कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भी मिल सकता है।
Meerut News: 2024 के मद्देनजर भाजपा ऐसे जाट नेताओं के लिए जूझ रही है,जिनकी जाटों में स्वीकार्यता हो। लेकिन,काफी कोशिशों के बाद भी भाजपा की यह तलाश अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। फिलहाल,भाजपा का ध्यान पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर केन्द्रित है, जहां पर जाटो के लिए कहा जाता है 'जिसके जाट, उसके ठाठ', ये सिर्फ एक कहावत नहीं बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इतिहास का सच है। इस बात से कौन इंकार कर सकता है कि 1960 के दशक में अगर चौधरी चरण सिंह ने उत्तर प्रदेश से कांग्रेस की राजनीति को समेटा तो उसके पीछे उनका जाट राजनीति के मुखिया के तौर पर उभरना था।
चौधरी चरण सिंह के बाद उनके पुत्र चौधरी अजीत सिंह का और अब मात्र जयंत चौधरी ऐसे जाट नेता हैं जिनकी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा भी जाटों में स्वीकार्यता है। यही वजह है कि जयंत की कई बार ना के बाद भी भाजपा ने उनको लेकर अपनी उम्मीद छोडी नहीं है। इसका पता इस बात से भी चलता है कि भाजपा नेता अभी भी जयंत चौधरी पर सीधा हमला करने से बच रहे हैं। भाजपा रणनीतिकारों का मानना है कि जयंत चौधरी से गठबंधन का फायदा अकेले उत्तर प्रदेश ही नही बल्कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भी मिल सकता है।
ऐसा नहीं है कि भाजपा के पास जाट नेताओं की कोई कमी है। केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान,सांसद सत्पपाल मलिक,रालोद से आयातित पूर्व एमएलसी जगत सिंह और चौधरी यशवीर सिंह जिन्हें हाल ही में उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण एवं श्रम विकास सहकारी संघ के चेयरमैन चुना गया है। उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण एवं श्रम विकास सहकारी संघ के चेयरमैन को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के अलावा, हरियाणा के ओपी धनकड़ और राजस्थान के सतीश पूनिया भी जाट बिरादरी से संबंध रखने वाले नेता हैं। यही नहीं, हाल ही में चुने गए देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ भी इसी समुदाय से संबंध रखते हैं। लेकिन, इनमें एक भी नेता की जाटों स्वीकार्यता नहीं है। जाटों में वोट की दृष्टि से देखें तो हरियाणा में प्रभावशाली जाट मतदाताओं की आबादी लगभग 27 प्रतिशत है। राजस्थान में 12 प्रतिशत और उत्तरप्रदेश में लगभग 6 प्रतिशत है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यही संख्या 17 फीसदी के करीब है। लोकसभा की 18 और विधानसभा की 120 सीटों पर इनका प्रभाव है। सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत,बिजनौर, गाजियाबाद, मुरादाबाद, अमरोहा, गौतमबुद्धनगर से लेकर मथुरा तक यह समाज निर्णायक भूमिका में है।
पार्टी द्वारा कराए गए हालिया अंदरुनी सर्वे पार्टी के लिए चिंता का सबव बने हैं,जिनके अनुसार जाटों का रुझान एक बार फिर रालोद की तरफ बढ़ रहा है। बहरहाल,जाटों में स्वीकार्यता वाले नेता की तलाश को पूरी करने के लिए ही भाजपा पार्टी पुराने और निष्ठावान नेताओं की परवाह ना कर दूसरे दलों से आयातित जाट नेताओं को संगठन और सरकार में समायोजित कर रही है। लेकिन,इसके बावजूद उसके लिए यूपी सहित चार राज्यों में जाट समुदाय को साधना बड़ी चुनौती बनी हुई है।