Meerut News: 7.20 करोड़ का फर्जी स्टाम्प घोटाला, आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर एसएसपी से मिले पीड़ित और व्यापारी

Meerut News: व्यापारियों की अगुवाई कर रहे शैंकी वर्मा ने बताया कि वह 2 महीने से पुलिस वह प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काटकर स्टांप घोटाला के आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है।

Report :  Sushil Kumar
Update:2024-12-30 14:22 IST

7.20 करोड़ का फर्जी स्टाम्प घोटाला   (photo: social media )

Meerut News: जिले में सात करोड़ बीस लाख के फर्जी स्टाम्प पर लगभग 1000 लोगों की रजिस्ट्री कराने वाला विशाल वर्मा को पुलिस ने अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है, जिसको लेकर व्यापारियों के साथ पीड़ितों ने सोमवार को एसएसपी विपिन ताड़ा से मुलाकात कर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की और स्टांप घोटाले को बड़ा घोटाला बताते हुए पूरे मामले की जांच की मांग करते हुए एसएसपी को शिकायती पत्र सौंपा है। एसएसपी ने उन्हें जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी का आश्वासन दिया है।

एसएसपी से मुलाकात के बाद व्यापारियों की अगुवाई कर रहे शैंकी वर्मा ने मीडिया को बताया कि गढ़ रोड के रहने वाले विशाल वर्मा ने करोड़ों रुपए का स्टांप घोटाला किया है। उसके खिलाफ मुकदमा कायम हो चुका है। लेकिन पुलिस आरोपी विशाल वर्मा को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। शैंकी ने बताया कि पुलिस ने गिरफ्तारी तो दूर की बात है मामले में अभी जांच तक नहीं की है। अगर विशाल वर्मा की जांच की जाए तो स्टांप घोटाला कई सौ करोड रुपए का निकलेगा। उन्होंने कहा कि पुलिस विशाल वर्मा को गिरफ्तार नहीं करना चाह रही है अगर विशाल वर्मा पुलिस को नहीं मिल रहा है तो पुलिस उसके परिवार वालों को गिरफ्तार कर उनसे उसके बारे में जानकारी ले सकती है।

स्टांप घोटाला के आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग 

शैंकी वर्मा ने बताया कि वह 2 महीने से पुलिस वह प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काटकर स्टांप घोटाला के आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने सोमवार को भी एसएसपी को शिकायती पत्र देकर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है। व्यापारी नेता के अनुसार एसएसपी ने उन्हें आरोपी की जल्द गिरफ्तारी का आश्वासन दिया है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के स्टांप और न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल को 2023 में मेरठ में हुए दो बैनामों की शिकायत मिली थी। जिसमें कहा गया कि जो स्टांप लगे हैं, वे फर्जी हैं। मंत्री इस संबंध में लखनऊ में उच्च अधिकारियों से फर्जी स्टाम्प को लेकर जवाब मांगा था, जिसके बाद मेरठ में जांच शुरू हुई। दोनों बैनामों में लगे स्टांप फर्जी मिलने पर गठित की गई टीम द्वारा तीन साल के बैनामों में लगे सभी स्टांप चेक किए गए तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. जांच में 997 बैनामों में फर्जी स्टांप लगे मिले और रजिस्ट्री ऑफिस के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। ये सभी बैनामे एक ही अधिवक्ता विशाल वर्मा द्वारा कराये गये थे

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