Meerut News: ..तो लोकसभा चुनाव नतीजे के बाद शुरू होगा ऐतिहासिक नौचंदी मेला

Meerut News: मेला नौचंदी को लेकर पुरानी रिवायत रही है कि इसका उद्घाटन होली बाद आने वाले दूसरे रविवार को किया जाता है। इस बार भी इस परम्परा को निभाया गया।

Report :  Sushil Kumar
Update:2024-05-28 17:19 IST

तो लोकसभा चुनाव नतीजे के बाद शुरू होगा ऐतिहासिक नौचंदी मेला (न्यूजट्रैक)

Meerut News: उत्तर भारत का ऐतिहासिक नौचंदी मेला अगले महीने यानी जून में शुरू करने की तैयारी है। हालांकि अभी मेला आयोजकों ने इसकी तिथि घोषित नहीं की है। लेकिन सूत्रों से पता चला है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के एक सप्ताह के अंदर नौचंदी मेले का आयोजन किया जा सकेगा। सूत्रों की माने तो मेले की अनुमति के संबंध में जिला प्रशासन के पास चुनाव आयोग की ओर से पत्र प्रेषित कर दिया गया है। इसी के साथ प्रशासन के स्तर से मेले के आयोजन की तैयारियों को अमलीजामा पहनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

मेला नौचंदी को लेकर पुरानी रिवायत रही है कि इसका उद्घाटन होली बाद आने वाले दूसरे रविवार को किया जाता है। इस बार भी इस परम्परा को निभाया गया। बीती सात अप्रैल को मेले का परंपरागत रूप से उद्घाटन किया गया था। बता दें कि पड़ोस के जनपद बुलंदशहर की नुमाइश के समापन के बाद ही नौचंदी मेला लगता है, लेकिन इस बार दोनों मेले जून के महीने में ही लगाए जाने का संयोग बन रहा है। आपसी सौहार्द्र के प्रतीक मेला नौचंदी का आयोजन एक वर्ष जिला पंचायत और एक वर्ष नगर निगम के माध्यम से किए जाने की भी परंपरा बन चुकी है। 


वर्ष 2022 में नौचंदी मेले को प्रांतीयकृत दर्जा दिया जा चुका है। इस साल मेला आयोजन करने की जिम्मेदारी जिला पंचायत को दी गई है। जहां तक मेले की शुरुआत की बात है तो 1672 में मेले की नौचंदी मेले की शुरुआत शहर स्थित मां नवचंडी के मंदिर से हुई थी। शुरुआत में इसका नाम नवचंडी मेला था, जो बाद में नौचंदी के नाम से जाना गया। जानकार बताते हैं कि नवरात्र के नौवें दिन यहां मेला भरना शुरू हुआ था। धीरे-धीरे मेला बड़ा होता गया और इसका स्वरूप एक दिन से निकल कर दिनों में तब्दील हो गया।

नौचंदी मेला हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक भी माना जाता है। मेला परिसर में हजरत बाले मियां की दरगाह एवं नवचण्डी देवी (नौचन्दी देवी) का मंदिर एक दूसरे के निकट ही स्थित हैं। जहाँ मंदिर में भजन कीर्तन होते रहते हैं वहीं दरगाह पर कव्वाली आदि होती रहती है। मेले के दौरान मंदिर के घण्टों के साथ अज़ान की आवाज़ एक सांप्रदायिक अध्यात्म की प्रतिध्वनि देती है।

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